मांग में अचानक आए उछाल की वजह से मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में कुछ पेट्रोल पंप तेल की कमी का सामना कर रहे हैं. सरकार ने कहा है कि ईंधन की अधिक मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीज़ल की आपूर्ति पर्याप्त है, लेकिन सरकारी पेट्रोल पंपों पर भीड़ ने ग्राहकों के इंतज़ार की अवधि को बढ़ा दिया है.
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दो अंक में यानी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है. अप्रैल 2021 में यह 10.74 फ़ीसदी थी.
भाजपा देर से ही सही नूपुर शर्मा व नवीन जिंदल के विरुद्ध इतनी सख़्त हो गई कि पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए उनके बयानों से ख़ुद को अलग करती हुई उन्हें ‘शरारती तत्व’ क़रार दे रही है. सवाल ये है कि क्या वह अब तक उनका बचाव करते आ रहे नेताओं के साथ भी ऐसी सख़्ती बरतेगी और इनकी तरह उन्हें भी माफ़ी मांगने को मजबूर करेगी?
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, मई में भारत की बेरोज़गारी दर 7.1% रही. आंकड़े मूल रूप से दावा करते हैं कि सही प्रकार की नौकरियां न मिलने से निराश होकर कामकाजी उम्र के 90 करोड़ भारतीयों में से आधों, विशेष रूप से महिलाओं, ने रोज़गार की तलाश करना ही बंद कर दिया है.
'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' और 'सबका साथ-सबका विकास' सरीखे नारे देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने शासन में इस पर अमल करते नज़र नहीं आते हैं.
2016 में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मोदी सरकार द्वारा कोयले का उत्पादन बढ़ाते हुए इसके आयात को ख़त्म करने की ठोस योजना पर काम करने की बात कही थी. लेकिन आज स्थिति यह है कि बिजली की बढ़ी मांग की पूर्ति के लिए सरकार ने राज्यों से महंगा कोयला आयात करने को कहा है. और तो और 2016 की 'योजना' को लेकर कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए इस साल सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की मंशा जताई थी. सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज़ बैंक के निजीकरण की सिफ़ारिश की है.
देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की प्रबंधन समिति के सालाना अधिवेशन में महमूद मदनी ने कहा, 'हमारा मज़हब, लिबास, तहज़ीब, खाना-पीना भी अलग है. और अगर आपको हमारा मज़हब बर्दाश्त नहीं है, तो आप कहीं और चले जाएं. वो ज़रा-ज़रा सी बात पर कहते हैं कि पाकिस्तान जाओ, भइया तुम्हें मौक़ा नहीं मिलेगा पाकिस्तान जाने का, हमें मिला था, हमने रिजेक्ट किया है. इसलिए हम नहीं जाएंगे, जिसको भेजने का शौक़ है वो चला जाए.'
उत्तर प्रदेश के देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के सालाना अधिवेशन को संबोधित करते हुए संगठन के दूसरे धड़े के प्रमुख मौलाना महमूद असद मदनी ने शनिवार को कहा कि सरकार ने देश के मुसलमानों की मुश्किलों के प्रति आंखें मूंद ली हैं. संगठन ने आरोप लगाया कि देश के बहुसंख्यक समुदाय के दिमाग में भाजपा नीत सरकार के संरक्षण में ज़हर घोला जा रहा है.
रेलवे में पदों को ख़त्म करने को लेकर भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा कि समाप्त होती हर नौकरी रेलवे की तैयारी कर रहे करोड़ों युवाओं की उम्मीदें तोड़ रही है. यह ‘वित्तीय प्रबंधन’ है या ‘निजीकरण’ की तरफ बढ़ाया जा रहा कदम? वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार नई नौकरियां देने में नहीं, बल्कि बची हुईं नौकरियां छीनने में सक्षम है.
आमिर लतीफ़ माग्रे उन चार लोगों में से एक थे, जो 15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के बाहरी इलाके हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. एनकाउंटर की प्रमाणिकता को लेकर जनाक्रोश और विरोध के कुछ दिन बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दो मृतकों- अल्ताफ़ अहमद भट और डॉ. मुदासिर गुल के शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया था. हाईकोर्ट ने आमिर का शव उनके परिजनों के सुपुर्द न करने के जम्मू कश्मीर पुलिस के फैसले को संविधान के
मुग़ल शब्द को भारतीय मुसलमानों को इंगित करने वाला प्रॉक्सी बना दिया गया है. पिछले आठ सालों में, इस समुदाय को- आर्थिक, सामाजिक और यहां तक कि शारीरिक तौर पर- निशाना बनाना न सिर्फ उन्मादी गिरोहबंद भीड़, बल्कि सरकारों की भी शीर्ष प्राथमिकता बन गई है.
अगर संघ परिवारी सत्ताधीश और उनके समर्थक समझते हैं कि देश की छवि मध्य प्रदेश में भाजपाइयों द्वारा मोहम्मद होने के संदेह में भंवरलाल को पीट-पीटकर मार दिए जाने से नहीं, बल्कि राहुल गांधी द्वारा लंदन में यह चेताने से ख़राब होती है कि भाजपा ने देश में इस तरह मिट्टी का तेल फैला दिया है कि एक चिंगारी भी हमें बड़ी मुसीबत में डाल सकती है, तो उन्हें भला कौन समझा सकता है!
मोदी सरकार सोचती है कि यह कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार को मनमर्ज़ी ढंग से नियंत्रित कर सकती है और किसानों और व्यापारियों को नुकसान पहुंचाए बगैर अपने फ़ैसलों को रातोंरात बदल सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने राजद्रोह क़ानून को लेकर शीर्ष अदालत के हालिया आदेश को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इस क़ानून में कुछ अपवाद थे जहां राजद्रोह के आरोप लागू नहीं किए जा सकते पर यूएपीए की धारा 13 के तहत कोई अपवाद नहीं हैं. यदि यह प्रावधान बना रहता है, तो यह बद से बदतर स्थिति में जाने जैसा होगा.