राम मंदिर समारोह में शामिल न होने पर पुरी शंकराचार्य ने कहा- यह अहंकार का मामला नहीं है

पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि चारों शंकराचार्य अपनी गरिमा बनाकर रखते हैं. यह अहंकार का मामला नहीं है. क्या हमसे उम्मीद की जाती है कि जब प्रधानमंत्री रामलला की मूर्ति स्थापित करेंगे तो हम बाहर बैठेंगे और तालियां बजाएंगे? चारों शंकराचार्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं.

चुनावी मौसम में आदिवासियों को ​‘धोखा​’ देने की कोशिश कर रहे हैं पीएम मोदी: मल्लिकार्जुन खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार चुनावी मौसम में पुरानी विफल योजना का नाम बदलकर आदिवासी समुदाय को ‘धोखा’ देने की कोशिश कर रही है. साथ ही उन्होंने पूछा कि मोदी सरकार के दौरान आदिवासियों के विकास योजना पर किए जाने वाले ख़र्च में भारी कमी क्यों आई है.

हम रामलला की अर्चना रामानंदी परंपराओं से चाहते थे, पर ट्रस्ट ने नज़रअंदाज़ किया: निर्मोही अखाड़ा

निर्मोही अखाड़े के एक वरिष्ठ महंत का कहना है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 'प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पूजा और अनुष्ठानों का पालन करने में 500 साल पुरानी परंपराओं का पालन नहीं किया है. रामलला की अर्चना रामानंदी परंपराओं से की जाती है, लेकिन ट्रस्ट मिली-जुली रीतियां कर रहा है, जो उचित नहीं है.'

​‘चलो लक्षद्वीप​’ अभियान पर सांसद की चेतावनी, कहा- यह बड़ी संख्या में पर्यटक नहीं संभाल सकता

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा और उसके बाद मालदीव के साथ हुए राजनयिक विवाद के बाद लक्षद्वीप काफी चर्चा में है. हालांकि, स्थानीय सांसद मोहम्मद फैज़ल ने कहा कि यह द्वीप बहुत संवेदनशील और पारिस्थितिक रूप से नाज़ुक है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए पर्यटकों की आमद को नियंत्रित करना होगा.

राम मंदिर: पुरी शंकराचार्य ने कहा- धार्मिक आयोजनों में राजनीतिक हस्तक्षेप उचित नहीं

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग नहीं लेने के अपने रुख़ को दोहराते हुए पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि राजनेताओं की अपनी सीमाएं हैं. धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में नियम और प्रतिबंध हैं, इनका पालन किया जाना चाहिए. नेताओं द्वारा हर क्षेत्र में हस्तक्षेप करना पागलपन है.

गुजरात: शारदापीठ के शंकराचार्य ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकराया

गुजरात के द्वारका स्थित शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने के पीछे विवादों और ‘धर्म विरोधी ताकतों’ के इससे जुड़े होने का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि चारों शंकराचार्यों को निमंत्रण मिला है, लेकिन कोई भी 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नहीं जा रहा है.

चंपत राय की जमात को सौहार्द का अभ्यास पहले ही नहीं था, अब हिंदू एकता भी उनसे नहीं सध रही

शैव-वैष्णव संघर्षों की समाप्ति के लिए गोस्वामी तुलसीदास द्वारा राम की ओर से दी गई ‘सिवद्रोही मम दास कहावा, सो नर सपनेहुं मोंहि न पावा’ की समन्वयकारी व्यवस्था के बावजूद चंपत राय का संन्यासियों, शैवों व शाक्तों के प्रति प्रदर्शित रवैया हिंदू परंपराओं के प्रति उनकी अज्ञानता की बानगी है.

अयोध्या: राम, तुम्हारे नाम पर..!

तुलसीदास रामचरितमानस में कहते हैं कि राम के बारे में अब तक जो कुछ भी लिखा-पढ़ा या सुनाया गया है, वह लिखने-पढ़ने-सुनाने वालों की ‘स्वमति अनुसार’ ही है- आधिकारिक या प्रामाणिक नहीं. ऐसी कोई ‘स्वमति’ कुमति में बदल जाए तो उससे किसी भी सभ्य तर्क की कसौटी पर खरी उतरने की अपेक्षा नहीं की जा सकती. 

‘अयोध्या के अधूरे राम मंदिर में धर्म नहीं, अधर्म की राजनीति का यज्ञ हो रहा है’

वीडियो: अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ समारोह को लेकर हो रही राजनीति और इस मंदिर की पृष्ठभूमि को लेकर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद.

प्रधानमंत्री की कई अनैतिक चुप्पियों पर राम नाम का पर्दा डाला जा रहा है, बिलक़ीस ने उसे हटा दिया

बिलक़ीस बानो की जीत भारत की उन महिलाओं और मर्दों को शर्मिंदा करती है जो इस केस पर इसलिए चुप हो गए क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करना पड़ता, उन्हें भाजपा से सवाल करना पड़ता.

राम मंदिर के राजनीतिकरण के ख़िलाफ़ संत, कहा- सब पीएम कर रहे हैं तो धर्माचार्य के लिए क्या रह गया

पुरी के पूर्वाम्नाय गोवर्धन पीठ के 145वें जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि ‘जब मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे, फिर मैं वहां क्या ताली बजाऊंगा... अगर प्रधानमंत्री ही सब कुछ कर रहे हैं तो अयोध्या में 'धर्माचार्य' के लिए क्या रह गया है.’

अयोध्या: चंपत राय बोले- मंदिर रामानंदी संप्रदाय का है, संन्यासियों, शैव-शाक्त का नहीं, संत नाराज़

22 जनवरी के कार्यक्रम के लिए अयोध्या न जाने की पुष्टि करने वाले शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कहा कि आम चुनावों के कारण आयोजन को इतना शानदार बनाया जा रहा है और इसे राजनीतिक शो में तब्दील कर दिया गया है.

लक्षद्वीप को प्रमोट करने की होड़ में भारतीय हस्तियों ने विदेशी द्वीपों की तस्वीरें साझा कीं

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव की जगह देश के द्वीपीय स्थानों पर पर्यटन को बढ़ावा देने की अपील शुरू हो गई थी. इसके बाद मालदीव के नेताओं और अन्य का भारतीयों के साथ सोशल मीडिया पर विवाद हो गया था. इस क्रम में पीएम मोदी पर टिप्पणी के लिए मालदीव सरकार ने अपने तीन मंत्रियों को निलंबि​त कर दिया है.

22 जनवरी, 2024 एक तरह से राजनीति के सत की परीक्षा है

चार शंकराचार्यों ने राम मंदिर के आयोजन में शामिल होने से इनकार कर दिया है. उन्होंने ठीक ही कहा है कि यह धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भाजपा का राजनीतिक आयोजन है. फिर यह सीधी-सी बात कांग्रेस या दूसरी पार्टियां क्यों नहीं कह सकतीं?

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