महाराष्ट्र के ठाणे जिले का मामला. मीरा रोड पर एक निजी कॉलोनी में रहने वाले एक मुस्लिम दंपति ने बकरीद पर कुर्बानी के लिए दो बकरियां अपने फ्लैट में रखी थी. कॉलोनी के कुछ लोगों ने कथित तौर पर इसका विरोध कर उनके साथ मारपीट की. पुलिस ने 11 लोगों के ख़िलाफ़ दंगा और छेड़छाड़ के आरोप में केस दर्ज किया है.
घटना पूर्वी चंपारण ज़िले के एक निजी आवासीय स्कूल की है. आरोप है कि 15 वर्षीय छात्र को बाज़ार में स्कूल के चेयरमैन ने धूम्रपान करते हुए पकड़ लिया था, जिससे आक्रोशित होकर वह उसे घसीटकर स्कूल लाए और अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर उसे बेल्ट से पीटा था.
वीडियो: बीते 6 जून को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सूरजमुखी के बीजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं ख़रीदने के सरकार के फैसले के विरोध में किसानों के आंदोलन को बर्बरतापूर्वक ख़त्म करा दिया था. पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज करने के साथ उन्हें तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था. साथ ही किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत 100 अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया है.
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सूरजमुखी के बीजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदने के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे किसानों पर बीते मंगलवार को पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था. संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन इस घटना की निंदा की है.
जालौन जिले के एट थाना क्षेत्र के एक गांव में एक व्यक्ति ने 15 वर्षीय बेटी से सामूहिक बलात्कार की जांच में देरी के कारण कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. उनके परिवार और पड़ोसियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए पुलिस पर व्यक्ति की शिकायत पर समय पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है.
उत्तर प्रदेश के आगरा शहर का मामला. पुलिस ने बताया कि 10वीं कक्षा की छात्रा को युवक द्वारा पीछा किए जाने के कारण इस साल आगरा में अपना स्कूल और बोर्ड परीक्षा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. परिवार पहले फ़िरोज़ाबाद के एक गांव में रह रहा था और युवक से पीछा छुड़ाने के लिए कुछ महीने पहले आगरा चला आया था.
पुलिस के अनुसार, अजमेर ज़िले के गेगल में एक 22 वर्षीय दलित व्यक्ति को कथित तौर 10 मई को पेट्रोल पंप कर्मियों से उधार लिए गए पांच हज़ार रुपये लौटाने को लेकर हुए विवाद के बाद आग लगा दी गई थी. गुरुवार को अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक भारतीय उपमहाद्वीप में आए दिन किसी न किसी की आहत भावनाओं की बात होती रहती है और उसकी स्वाभाविक प्रतिकिया के तौर पर उत्पाती समूहों द्वारा इसका बदला लेने के लिए की गई हिंसा की ख़बर आती रहती है, लेकिन सवाल है कि आख़िर किसकी भावनाएं आहत होती हैं?
पिछली भाजपा सरकार में कर्नाटक में मोरल पुलिसिंग एक बड़ा मुद्दा बन गया था. नवगठित कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पुलिस के साथ पहली बैठक में कहा है कि हम इसे ख़त्म कर देंगे. लोगों ने बदलाव की उम्मीद में एक नई सरकार चुनी है. अधिकारियों को उनकी शिकायतों का जवाब देना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने भले ही विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के काम को लेकर निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका सुनने से इनकार कर दिया हो, लेकिन द वायर द्वारा पड़ताल किए गए विपक्षी नेताओं से जुड़े मामलों में कई विसंगतियां और सवाल मिले हैं, जिनके जवाब दिए जाने की ज़रूरत है.
26 अप्रैल की सुबह जम्मू के 55 वर्षीय मुख़्तार हुसैन शाह नार के गवर्नमेंट हाईस्कूल के पास बेहोशी की हालत में पाए गए थे, अस्पताल ले जाने के बाद उनकी मौत हो गई. बताया गया है कि उन्होंने कोई ज़हरीला पदार्थ खाया था. उनके परिवार का दावा है कि बीते दिनों पुंछ में सेना के एक वाहन पर हुए आतंकी हमले के संबंध में पूछताछ के लिए पुलिस द्वारा उन्हें बार-बार बुलाया जा रहा था.
ईडी ने अपना दायरा बढ़ाने के लिए एजेंसी द्वारा 2020 में जारी एक सर्कुलर को सीढ़ी बनाया है, जिसका मक़सद इसकी भूमिका को परिभाषित करना था. हालांकि इससे ईडी निदेशक को कई ऐसे अधिकार मिलते हैं, जिससे वे एक तरह से ऐसे किसी भी व्यक्ति को अपने शिकंजे में ले सकते हैं, जिसमें सरकार की दिलचस्पी हो.
उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के पालदा गांव में एक हिंदू व्यक्ति की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनके परिवार ने कुछ मुस्लिम युवकों पर इसका आरोप लगाया था. हत्या मामले में चार लोगों की गिरफ़्तार किया गया है. पुलिस ने कहा है कि मुस्लिमों के घरों में आगज़नी की कोशिश करने वालों की पहचान कर केस दर्ज किया जाएगा.
13 मई, 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों में 71 लोगों की मौत हो गई थी. ट्रायल कोर्ट ने साल 2019 में मामले के चार आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि साक्ष्य का कोई भी पहलू साबित नहीं हुआ और कुछ साक्ष्य मनगढ़ंत भी प्रतीत होते हैं. दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ जांच के निर्देश भी दिए गए.
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने नफ़रती भाषण के ख़िलाफ़ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल से यह सवाल किया. अक्टूबर 2022 में शीर्ष अदालत ने औपचारिक शिकायतों का इंतज़ार किए बिना आपराधिक मामले दर्ज करके नफ़रत भरे भाषणों के ख़िलाफ़ ‘तत्काल’ स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.