बीते वर्ष अप्रैल में रामनवमी और हनुमान जयंती पर देश के विभिन्न राज्यों में सांप्रदायिक झड़प के मामले देखे गए थे. इस संबंध में ‘सिटीजंस एंड लॉयर्स इनिशिएटिव’ द्वारा द्वारा तैयार एक रिपोर्ट बताती है कि इन घटनाओं में समानताएं पाई गई हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा को अंजाम देने के लिए कैसे धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल किया गया.
असम की हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में बाल विवाह के ख़िलाफ़ अभियान चला रही है. इसके तहत हज़ारों की संख्या में लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. गौहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में हिरासत में लेकर आरोपियों से पूछताछ की कोई ज़रूरत नहीं है.
दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि हिरासत में ली गई एक महिला, जांच के दायरे में आरोपी, पुलिस या न्यायिक हिरासत में गई महिला का कौमार्य परीक्षण असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जिसमें गरिमा का अधिकार भी शामिल है.
बीते दिनों हुई पुलिस महानिदेशकों, महानिरीक्षकों की बैठक में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी शामिल थे. यहां राज्यों के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी चेतावनी दे रहे थे कि हिंदुत्ववादी रैडिकल संगठन देश के लिए ख़तरा बन गए हैं. हालांकि, यह ख़बर बाहर आते ही सम्मेलन की वेबसाइट से यह रिपोर्ट हटा दी गई.
असम की भाजपा सरकार ने बीते 23 जनवरी को फैसला किया था कि बाल विवाह में शामिल लोगों को गिरफ़्तार करने के साथ जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. इस घोषणा के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए हैं. महिलाएं का कहना है कि केवल परिवार के पुरुषों को ही क्यों पकड़ा जा रहा है? हम और हमारे बच्चे कैसे जिएंगे? हमारे पास आय के साधन नहीं हैं.
ओडिशा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री नब किशोर दास को एक पुलिसकर्मी ने उस समय गोली मार दी, जब वह झारसुगुड़ा ज़िले में एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे. पुलिसकर्मी के मनोविकार से पीड़ित होने की बात कही जा रही है. आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है और ओडिशा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंत्री की हत्या की जांच शुरू कर दी है.
बीते कुछ समय में देश के कई राज्यों में कथित तौर पर मुस्लिम पुरुषों के हिंदू महिलाओं से शादी करने की बढ़ती घटनाओं के आधार पर 'लव जिहाद' से जुड़े क़ानून को जायज़ ठहराया गया है. लेकिन क्या इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई वास्तविक सबूत मौजूद है?
ओडिशा के क्योंझर ज़िले के आनंदपुर का मामला. आरोप है कि 37 वर्षीय महिला को बीते 20 जनवरी की सुबह एक पुलिस वैन से आनंदपुर अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी चिकित्सकीय जांच करने से इसलिए इनकार कर दिया, क्योंकि अपराध की घटना सलानिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र के अंतर्गत हुई थी.
हिरासत में मौत के एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि पुलिस के पास लोगों की गतिविधियों और अपराध को नियंत्रित करने की शक्ति है, लेकिन यह अबाध नहीं है. उक्त शक्ति के प्रयोग की आड़ में पुलिसकर्मी किसी नागरिक के साथ अमानवीय तरीके से अत्याचार या व्यवहार नहीं कर सकते हैं.
मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले का मामला. पुलिस के अनुसार, 24 वर्षीय आरोपी युवक ने विवाद के बाद कथित तौर पर अपनी 19 वर्षीय प्रेमिका के साथ बेरहमी से मारपीट की थी. ड्राइवर के रूप में काम करने वाले आरोपी को मिर्ज़ापुर से गिरफ़्तार किया गया है. उसका ड्राइविंग लाइसेंस भी प्रशासन ने कैंसिल कर दिया है.
उत्तर प्रदेश में बरेली ज़िले के फ़रीदपुर स्थित एक सरकारी स्कूल में प्रार्थना के दौरान प्रख्यात कवि इक़बाल की कविता ‘लब पे आती है दुआ’ का पाठ कराने को लेकर विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रिंसिपल और शिक्षामित्र के ख़िलाफ़ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप केस दर्ज कराया था. मामले में प्रिसिंपल को दो दिन पहले निलंबित कर दिया गया था.
राजस्थान के कोटा में 16 वर्षीय छात्र ने अपने छात्रवास के कमरे में कथित तौर पर पंखे से लटक जान दे दी. पुलिस ने मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी अनिकेत कुमार के रूप में की है. इससे पहले 11 दिसंबर को बिहार के दो किशोरों और मध्य प्रदेश के एक किशोर की आत्महत्या का मामला सामने आया था.
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले के फ़रीदपुर स्थित एक सरकारी स्कूल का मामला. विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय पदाधिकारियों ने धर्मांतरण की कोशिश का आरोप लगाते हुए स्कूल की प्रिंसिपल और शिक्षामित्र के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज कराई है.
पुलिस ने बताया कि हरियाणा के हिसार जिले में नारनौंद अनुमंडल के ग्राम कापरो में सीवर की पाइप फिटिंग का काम करने के दौरान बिहार निवासी तीन प्रवासी मजदूरों की जमीन धंसने के कारण दबकर मौत हो गई.
पुस्तक समीक्षा: आंदोलन के साथ ही आंदोलनों का दस्तावेज़ीकरण एक महत्वपूर्ण और ज़िम्मेदारी भरा काम है. पत्रकार मनदीप पुनिया ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन की यात्रा को तथ्यों के साथ रचनात्मक तरीके से दर्ज करते हुए इसी दिशा में प्रयास किया है.