उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले का प्रवासी मज़दूर मुकेश कुमार पुलवामा के एक ईंट भट्ठे पर काम करते थे. बीते सोमवार को पैसा घर भेजने के लिए बैंक जा रहे थे जब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. मुकेश पहले ग़ैर-स्थानीय व्यक्ति हैं, जिनकी इस साल कश्मीर में लक्षित हत्या की गई है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
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दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के जदूरा गांव के लोगों का आरोप था कि 23-24 जून की दरमियानी रात सेना के कुछ जवानों ने मस्जिद में घुसकर मुअज़्ज़िन समेत नमाज़ियों को ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया. अब ख़ुद को घटना का चश्मदीद बताने वाले एक शख़्स ने द टेलीग्राफ से कहा कि रविवार को सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने ग्रामीणों से माफ़ी मांगी है.
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के जदूरा गांव के लोगों ने आरोप लगाया है कि शनिवार को सेना के जवान एक स्थानीय मस्जिद में घुस गए और लोगों को ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया. जम्मू कश्मीर के विभिन्न नेताओं ने घटना की जांच करने और दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने की मांग की है.
वीडियो: बीते 26 फरवरी को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अचन गांव में कश्मीरी पंडित संजय कुमार शर्मा की आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कश्मीरी पंडितों की निशाना बनाकर लगातार की जा रही हत्या के विरोध में यहां के लोगों में आक्रोश है.
बीते सोमवार को प्रधानमंत्री पैकेज के तहत काम करने वाले प्रदर्शनकारी जम्मू में राहत आयुक्त के कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए और 26 फरवरी को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अचन इलाके में कश्मीरी पंडित संजय कुमार शर्मा की आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया.
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अचन गांव में हुई आतंकी घटना. मृतक की पहचान संजय कुमार शर्मा की रूप में हुई. कश्मीरी पंडितों की निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के बाद प्रशासन द्वारा उनके घर को 24 घंटे सुरक्षा प्रदान की जा रही थी. अचन में संजय का अकेला कश्मीरी पंडित परिवार है, जो घाटी में सशस्त्र विद्रोह शुरू होने पर यहां वापस आ गया था.
घाटी में 1980 के दशक के अंत तक लगभग एक दर्जन सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल थे, लेकिन आतंकवाद के उभार के चलते उन्हें बंद करना पड़ा. अब श्रीनगर में पहला मल्टीप्लेक्स खोला जा रहा है.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, दक्षिण कश्मीर ज़िले के पंपोर इलाके के संबूरा निवासी फ़ारूक़ अहमद मीर की शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात आतंकवादियों ने गोली मारकर तब हत्या कर दी, जब वे अपने धान के खेत में काम करने के लिए घर से निकले थे. वह आईआरपी 23वीं बटालियन में तैनात थे.
दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा में 19 मार्च से 7 अप्रैल के बीच 5 बार प्रवासी मज़दूरों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं. हमलावरों के बारे में पुलिस को कोई सुराग नहीं है. डर और दहशत में प्रवासी मज़दूर पुलवामा छोड़कर घाटी के अन्य इलाकों का रुख कर रहे हैं या फिर अपने-अपने घर लौट रहे हैं.
जम्मू कश्मीर के शोपियां की एक अदालत से ज़मानत मिलने के कुछ घंटे बाद समाचार पोर्टल ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फ़हद शाह को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया. उन्हें बीते शनिवार को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. शाह को आतंकवाद का महिमामंडन करने, फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने और राज्य के लोगों को भड़काने के आरोप में बीते चार फरवरी को गिरफ़्तार किया गया था.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर कहा गया है कि कश्मीर में मीडिया की स्वतंत्रता का दायरा लगातार सिमटता गया है. संगठन ने ‘द कश्मीर वाला’ न्यूज़ पोर्टल के संपादक फहद शाह और इसी संस्थान के एक अन्य पत्रकार सज्जाद गुल की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन से आग्रह किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों का उत्पीड़न बंद करें.
द कश्मीर वाला न्यूज़ पोर्टल के संपादक फहद शाह को गिरफ़्तार करते हुए जम्मू कश्मीर पुलिस ने आरोप लगाया कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट 'आतंकी गतिविधियों का महिमामंडन' करते हैं और देश के ख़िलाफ़ 'दुर्भावना व अंसतोष' फैलाते हैं. पत्रकार संगठनों ने इसकी निंदा करते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है.
पुलवामा ज़िले के अवंतीपोरा इलाके के हरिपारिगाम में हुई घटना. सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर तलाश अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन अभी तक किसी आतंकवादी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. जम्मू कश्मीर के विभिन्न दलों के नेताओं ने इस घटना की निंदा की है.