हिंदी और उसके साहित्य की विडंबनाएं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विडंबना मनुष्य मात्र की स्थिति का अनिवार्य अंग है, कोई समाज विडंबनाओं में फंसा हो, तो यह अस्वाभाविक नहीं है. हिंदी के सिलसिले में कहूं, तो इस अंचल में जैसे-जैसे शिक्षा, साक्षरता का प्रसार हुआ है वैसे-वैसे उसमें सांप्रदायिकता, धर्मांधता, जातिमूलक कट्टरता भी साथ-साथ बढ़ती गई.

लिव इन संबंध घरेलू हिंसा क़ानून के प्रावधानों के दायरे में आते हैं: केंद्र सरकार

राज्यसभा में केंद्र सरकार ने लिव इन संबंधों को पंजीकृत करने के लिए कोई व्यवस्था शुरू करने और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के बारे में पूछे गए एक सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि लिव-इन संबंध, जो विवाह की प्रकृति के होते हैं, घरेलू हिंसा क़ानून के प्रावधानों के अंतर्गत आते हैं.

अमिताभ बच्चन भारत पर किस ख़तरे की बात कर रहे हैं?

वीडियो: बीते दिनों कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन ने नागरिक स्वतंत्रता और सेंसरशिप पर टिप्पणी की थी, जिसे मुख्यधारा के मीडिया में न के बराबर तवज्जो दी गई. इससे जुड़े व्यापक संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की बातचीत.

2019 से अब तब देश में साइबर अपराध की 6 लाख शिकायतें दर्ज की गईं: केंद्र

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में बताया कि देश में ‘सिटिज़न फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम’ अमल में आने के बाद से 12 दिसंबर, 2022 तक साइबर अपराध की छह लाख से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं.

नेपाल की शीर्ष अदालत ने सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज को रिहा करने का आदेश दिया

‘बिकिनी किलर’ और ‘द सर्पेंट’ के नाम से कुख्यात फ्रांसीसी सीरियल किलर 78 वर्षीय चार्ल्स शोभराज नेपाल में हत्या के आरोप में वर्ष 2003 से उम्रक़ैद की सजा काट रहा था. शोभराज वर्ष 1972 से 76 के दौरान ज़्यादातर एशिया आने वाले पश्चिमी देशों के पर्यटकों को अपने जाल में फंसाता था और उन्हें मादक पदार्थ खिलाकर उनकी हत्या कर देता था.

देश में वर्ष 2021 में प्रतिदिन औसतन 115 दिहाड़ी मज़दूरों, 63 गृहणियों ने आत्महत्या की: केंद्र

लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में 23,179 गृहणियों, 15,870 पेशेवर/वेतनभोगी व्यक्तियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से जुड़े 2,541 कर्मचारियों ने आत्महत्या की. इसी अवधि में 42,004 दिहाड़ी मज़दूरों, 5,563 खेतिहर मज़दूरों और व्यवसाय क्षेत्र के 12,055 लोगों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले सामने आए हैं.

सरकारें अंतरधार्मिक रिश्तों के प्रति चिंतित, ताकि ‘लव जिहाद’ के दुष्प्रचार को ज़िंदा रख सकें

लड़कियां अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती हैं. अपनी मर्ज़ी से रिश्ते बनाना चाहती हैं. इसके लिए उन्हें भागना न पड़े अपने लोगों से, ऐसा समाज बनाने की ज़रूरत है. जब तक वह न बने, तब तक इन औरतों को अगर बचाया जाना है तो उनके परिवारों से, बाबू बजरंगी जैसे गुंडों से और बजरंग दल जैसे हिंसक संगठनों से. लेकिन अब इस सूची में जोड़ना पड़ेगा कि उन्हें राज्य से भी बचाने की ज़रूरत है.

नैतिकता अक्सर प्रभावशाली समूहों द्वारा तय की जाती है: सीजेआई चंद्रचूड़

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कमज़ोर और हाशिए पर रहने वालों को प्रभावशाली समूहों के हिसाब से चलने के लिए मजबूर किया जाता है और उत्पीड़न के कारण उनकी कोई प्रतिसंस्कृति विकसित नहीं हो पाती है. उनके पास अपने अस्तित्व के लिए प्रभावशाली संस्कृति के सामने झुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

जो जनता के हित में अप्रिय सत्य बोलता है, सत्ता उसे जनता का दुश्मन घोषित कर देती है

कोलकाता में हुए एक फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन का सत्यजीत रे की 'गणशत्रु' ज़िक्र करते हुए लगाया गया अनुमान ठीक है कि आज जनता के लिए आवाज़ उठाने वाले रे की फिल्म के 'डॉक्टर गुप्ता' ही हैं, जो जनता को सावधान करना चाहते हैं, मगर सत्ता सफल हो जाती है कि जनता उन्हें ही अपना शत्रु मानकर उनकी हत्या को आमादा हो जाए.

आज हिंदी मध्यवर्ग का असली राजनीतिक प्रतिपक्ष हिंदी साहित्य ही है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: आम तौर पर मध्यवर्ग में प्रवेश ज्ञान के आधार पर होता आया है पर यही वर्ग इस समय ज्ञान के अवमूल्यन में हिस्सेदार है. एक ओर तो वह अपनी मातृभाषा से लगातार विश्वासघात कर रहा है, दूसरी ओर हिंदी को हिंदुत्व की, यानी भेदभाव और नफ़रत फैलाने वाली विचारधारा की राजभाषा बनाने पर तुला है.

क्या ग़ैर हिंदुओं के बारे में न जानकर हिंदू सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हैं या दरिद्र

आज के भारत में ख़ासकर हिंदुओं के लिए ज़रूरी है कि वे ग़ैर हिंदुओं के धर्म, ग्रंथों, व्यक्तित्वों, उनके धार्मिक आचार-व्यवहार को जानें. मुसलमान, ईसाई, सिख या आदिवासी तो हिंदू धर्म के बारे में काफ़ी कुछ जानते हैं लेकिन हिंदू प्रायः इस मामले में सिफ़र होते हैं. बहुत से लोग मोहर्रम पर भी मुबारकबाद दे डालते हैं. ईस्टर और बड़ा दिन में क्या अंतर है? आदिवासी विश्वासों के बारे में तो हमें कुछ नहीं मालूम.

2017 से 2021 के बीच दहेज के चलते प्रतिदिन 20 मौतें हुईं: सरकारी डेटा

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा को बताया कि देशभर में साल 2017 से लेकर 2021 तक दहेज के चलते मौत के कुल 35,493 मामले सामने आए. इस अवधि में उत्तर प्रदेश में दैनिक मृत्यु का आंकड़ा सर्वाधिक रहा, जहां हर दिन छह मौतें दर्ज की गई.

धर्मांतरण के अधिकार पर मोदी सरकार का रवैया विवेक की स्वतंत्रता पर हमला है

बीते दिनों नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक हलफ़नामे में कहा है कि 'धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में अन्य लोगों को किसी विशेष धर्म में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है.'

केंद्र को ‘समान विवाह संहिता’ लाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आज फैमिली कोर्ट युद्ध का मैदान बन गए हैं, जो तलाक़ की मांग करने वाले पक्षों की पीड़ा बढ़ा रहे हैं. अदालत ने तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10ए के तहत एक वर्ष की अलगाव की न्यूनतम अवधि के निर्धारण को चुनौती देने वाली एक याचिका पर अपने फैसले में टिप्पणी की कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

रघुवीर सहाय: कुछ न कुछ होगा, अगर मैं बोलूंगा…

जन्मदिन विशेष: रघुवीर सहाय की कविता राजनीतिक स्वर लिए हुए वहां जाती है, जहां वे स्वतंत्रता के स्वप्नों के रोज़ टूटते जाने का दंश दिखलाते हैं. पर लोकतंत्र में आस्था रखने वाला कवि यह मानता है कि सरकार जैसी भी हो, अकेला कारगर साधन भीड़ के हाथ में है.

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