द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
वीडियो: बिहार की जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक बहस बढ़ती जा रही है, इसका क्या असर पड़ेगा? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार जावेद अंसारी से बातचीत.
वीडियो: बिहार में जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
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सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को किसी आरोपी की गिरफ़्तारी के लिखित आधार की एक प्रति उसे बिना किसी अपवाद के प्रदान की जानी चाहिए. मामले में एजेंसी के कामकाज की आलोचना करते हुए अदालत ने कहा कि ईडी के आचरण में ‘मनमानेपन की बू आ रही है’.
बिहार सरकार द्वारा जारी जाति-आधारित सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज़्यादा है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने विकास दुबे समेत पुलिस एनकाउंटर में हुईं मौतों और गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ की हत्या की जांच से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल कर कहा है कि वह इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. याचिका में सरकार के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे और अनुचित हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एक दलित महिला सहित तीन उम्मीदवारों को अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया है, जिन्हें इंटरव्यू के दौरान मूल दस्तावेज़ पेश नहीं कर पाने पर नौकरी देने से इनकार कर दिया गया था. अदालत ने 23 मई, 2022 के अपने एक पूर्व फैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि मूल दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है.
केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा पर उन चार किसानों की हत्या का आरोप है, जो 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे. आरोप है कि आशीष मिश्रा से संबंधित और कथित तौर पर उनके द्वारा चलाए जा रहे एक वाहन ने प्रदर्शनकारी किसानों सहित अन्य को कुचल दिया था.
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देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति में सरकार द्वारा की जा रही कथित देरी पर अवमानना की कार्यवाही की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1 नवंबर 2022 से कॉलेजियम द्वारा की गईं 70 सिफारिशें वर्तमान में सरकार के पास लंबित हैं. जब तक इनका समाधान नहीं हो जाता, हर 10 से 12 दिन में सुनवाई होगी.
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मुज़फ़्फ़रनगर के निजी स्कूल में मुस्लिम छात्र को साथी छात्रों द्वारा पीटने के लिए कहने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए और सरकार को आरोपी अध्यापिका के ख़िलाफ़ दर्ज मामले की निगरानी के लिए फ़ौरन एक आईपीएस अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है.
मणिपुर में हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन शवों के परिजनों की पहचान करने के प्रयास करे जो 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से राज्य के मुर्दाघरों में लावारिस पड़े हुए हैं.
एक मामले में हत्या के आरोपियोंं को संदेह के लाभ के आधार पर बरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले की पुलिस जांच पर कई सवाल खड़े किए और कहा कि पुलिस की घटिया जांच के कारण उसके पास अपीलकर्ताओं को संदेह का लाभ देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.