यूपी: ग़ुलामी, उत्पीड़न, बेदख़ली से लड़ते हुए वनटांगियों का संघर्ष आज भी जारी है

गोरखपुर और महराजगंज के जंगल में स्थित 23 वन ग्रामों के वनटांगियों को वन अधिकार क़ानून लागू होने के डेढ़ दशक और कड़े संघर्ष के बाद ज़मीन पर अधिकार मिला. लेकिन आज भी यहां विकास की रफ़्तार धीमी ही है.

आंध्र प्रदेश: रसायन फैक्ट्री में आग लगने से छह लोगों की मौत

आंध्र प्रदेश के एलुरु ज़िले के अक्कीरेड्डीगुडेम में स्थित एक रसायन फैक्ट्री में हुए इस हादसे में कम से कम 12 लोग घायल हुई हैं. अधिकारियों ने आशंका जताई है कि बुधवार देर रात पॉलीमर पावर बनाने वाले संयंत्र के ‘रिएक्टर’ में आग लगने के कारण यह हादसा हुआ.

महाराष्ट्र: चंद्रपुर में सीवेज टैंक की सफाई के दौरान दम घुटने से तीन श्रमिकों की मौत

चंद्रपुर ज़िले के शस्ती-धोपाटला कस्बे में एक भूमिगत सीवेज टैंक की सफाई के दौरान वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के तीन संविदाकर्मियों की दम घुटने से मौत हो गई और दो बीमार हैं. वहीं, बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के मधुबन थानाक्षेत्र में शौचालय की टंकी में दम घुटने से दो मज़दूरों की मौत हुई और दो की हालत गंभीर है. वहीं, ग़ाज़ियाबाद में निर्माणाधीन सीवर के ढांचे की दीवार गिरने से तीन मज़दूरों की मौत हो गई.

भाकपा महासचिव ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर नालको का निजीकरण रोकने का अनुरोध किया

भाकपा महासचिव डी. राजा ने पत्र में कहा कि 1981 में स्थापित नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड नवरत्न कंपनी है और 40 वर्षों से उच्च गुणवत्ता वाले एल्युमिना और एल्युमीनियम उत्पादन व निर्यात करने वाला सबसे शीर्ष केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम रहा है. इसके निजीकरण को लेकर श्रमिकों में व्यापक आक्रोश है.

यूपी: टाइगर रिज़र्व के दिहाड़ी मज़दूरों को 11 महीने से वेतन न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, दुधवा और अमनगढ़ टाइगर रिज़र्व तथा कतरनिया घाट वन्यजीव अभयारण्य का मामला. याचिका में दिहाड़ी मज़दूरों के हवाले से कहा गया है कि पिछले 11 महीनों से उन्हें वेतन का भुगतान न करने के कारण उनके परिवार भुखमरी के कगार पर हैं.

बजट 2022: वित्त मंत्री के चौथे बजट में जनता को क्या मिलेगा

विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि 2020 में महामारी के प्रकोप के बाद आर्थिक व्यवधान के बाद अपर्याप्त राहत पर बढ़ती सार्वजनिक आलोचना के बीच वित्त मंत्री किफायती आवास और उर्वरक के लिए उच्च सब्सिडी के अलावा सड़कों और रेलवे पर अधिक ख़र्च की घोषणा करेंगी.

गुजरात: ज़हरीले धुएं की चपेट में आने से छह मज़दूरों की मौत, 22 अन्य अस्पताल में भर्ती

घटना सूरत के सचिन औद्योगिक क्षेत्र में हुई. एक फैक्टरी के पास खड़े रसायन से भरे टैंकर से कथित तौर पर निकले जहरीले धुएं की चपेट में आने से आसपास के इलाकों में मौजूद 26 मज़दूर बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. 

विकास की धीमी रफ़्तार और बढ़ता नौकरियों का संकट

सांख्यिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन ने 2017-18 में वार्षिक श्रम बल सर्वेक्षण करना शुरू किया, जो अब तक केवल हर पांच वर्षों पर होता था. हाल में एनएसओ ने अपना तीसरा वार्षिक सर्वेक्षण 2019-20 जारी किया, जिसके आंकड़ों से पता चलता है कि श्रम बल भागीदारी की स्थिति अब भी दुरुस्त नहीं है.

एक दिन में सर्वाधिक टीके देने के लिए क्या पहले भाजपा शासित राज्यों ने खुराकों में कमी की थी?

स्क्रोल डॉट इन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले कुछ दिनों में भाजपा शासित राज्यों द्वारा टीकाकरण की गति को धीमा करना सोमवार को भारत के रिकॉर्ड 86 लाख टीके की खुराक देने का कारण हो सकता है.

देश के बड़े अनौपचारिक कार्यबल को कोविड-19 टीकाकरण में प्राथमिकता दी जानी चाहिए

एक अनुमान के अनुसार लगभग 70% शहरी कार्यबल अनौपचारिक रूप से कार्यरत हैं. अनौपचारिक श्रमिकों के काम की अनिश्चित प्रकृति पहले ही जोखिम भरी होती है, जिससे उनके कोविड-19 के संपर्क में आने का ख़तरा बढ़ जाता है. मौजूदा टीकाकरण ढांचे में कई बाधाओं के चलते ऐसे कामगारों के टीकाकरण की संभावना कम है.

गृह मंत्रालय का एफसीआरए संशोधन के दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से इनकार, कहा- राष्ट्रहित में नहीं

आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने दो आवेदन दायर कर इस विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2020 से जुड़े कैबिनेट नोट, पत्राचार और फाइल नोटिंग्स की प्रति मांगी थी. आरोप है कि इस संशोधन क़ानून के चलते कई एनजीओ के काम में बाधा आ रही है.

कोरोना की दूसरी लहर में हिमाचल के प्रवासी मज़दूरों का भविष्य फिर अनिश्चित हो गया है

इस पहाड़ी राज्य में काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को डर है कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर में राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान उन्होंने जो दुख और चुनौतियां झेलीं, इस बार भी वैसा ही होने वाला है.

नया सामाजिक सुरक्षा क़ानून मज़दूरों के हक़ में कितना हितकारी होगा

सितंबर 2020 में भारत सरकार द्वारा मज़दूरों के हित का दावा करते हुए लाए गए सामाजिक सुरक्षा क़ानून में असंगठित मज़दूरों के लिए बहुत कुछ नहीं है, जबकि देश के कार्यबल में उनकी 91 प्रतिशत भागीदारी है.

1971 में एक युवा कम्युनिस्ट और ट्रेड यूनियन का हिस्सा होने के अनुभव

कानपुर जैसे शहर में एक युवा कम्युनिस्ट और ट्रेड यूनियन के सदस्य के बतौर काम करने के दौरान देखे गए पुलिस और प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये ने मेरे लिए वर्गीय दृष्टिकोण और वर्गीय सत्ता की सच्चाई को और प्रमाणित कर दिया.

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