यूपी: गोरखपुर में कई प्रत्याशियों के आंसुओं ने मतदाताओं में पैदा की सहानुभूति

गोरखपुर और बस्ती मंडल की कई विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के प्रति मतदाताओं में उमड़ी हमदर्दी ने राजनीतिक दलों के बने-बनाए समीकरण उलट दिए हैं.

यूपी: ‘नीलगाय अउर गोरू बड़ा तबाह कइले बा, सब खेत बारी चर जात हैं’

महराजगंज ज़िले के वनग्रामों में किसान आवारा पशुओं द्वारा उनके खेतों को नुकसान पहुंचाए जाने की समस्या से जूझ रहे हैं. अब फसल बचाने के लिए उन्होंने स्टन मशीन यानी हल्का झटका देने वाली मशीन इस्तेमाल करना शुरू किया है, हालांकि इसके महंगे होने और एक जगह खेत न होने के चलते यह बहुत लाभकारी नहीं है.

यूपी: चौरी चौरा में एक युवा और उनकी स्पेशल साइकिल बने सपा के ‘स्टार प्रचारक’

नवीं कक्षा में पढ़ने वाले मोहम्मद मेराज अहमद की स्पेशल साइकिल चुनावी मौसम में चौरी चौरा विधानसभा क्षेत्र में एक स्टार प्रचारक का दर्जा पा चुकी है. मेराज अपने गांव और आस-पास के क्षेत्रों में रोज़ इसे लेकर प्रचार को निकलते हैं.

पूर्वांचल में गन्ने की खेती पर गहराते संकट को लेकर चुप क्यों हैं मोदी और योगी सरकार

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर से लेकर कुशीनगर, देवरिया, बस्ती का इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है. गोरखपुर और बस्ती मंडल के कुल सात ज़िलों में कभी 28 चीनी मिलें हुआ करती थीं, लेकिन आज 16 मिलें बंद हैं. लोगों को उम्मीद थी कि डबल इंजन की सरकार पूर्वांचल की बंद चीनी मिलों को शुरू कर इलाके में खुशहाली लाएगी, लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है.

उत्तर प्रदेश: भाजपा के साथ उतरी निषाद पार्टी कितनी कामयाब होगी

बीते कुछ चुनावों में अपनी जीत से सबको चौंका चुकी निषाद पार्टी को भाजपा ने पिछले चुनाव में हारी हुई नौ सीटों को जिताने की ज़िम्मेदारी दी है. गठबंधन में निषाद पार्टी को मिली 16 सीटों में से छह पर प्रत्याशी भाजपा के चुनाव चिह्न पर जबकि 10 प्रत्याशी निषाद पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे हैं.

यूपी: चित्रकूट के रसिन गांव के चित्र और रंग अनेक, चुनाव में अपनी जगह ढूंढती अलग-अलग आवाज़ें

ग्राउंड रिपोर्ट: बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले के कर्वी ब्लॉक का रसिन राज्य के लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय का गांव है. यहां ग्रामीण विस्थापन, बेरोज़गारी, आवारा पशु जैसी कई समस्याएं बताते हैं, हालांकि मतदान को लेकर उनकी राय मुद्दों की बजाय स्पष्ट तौर पर जातिगत समीकरणों पर आधारित है.

यूपी: पूर्वांचल के गन्ना बेल्ट में विस्थापित गन्ना शोध केंद्र की सुध लेने वाला कोई नहीं है

ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्वी यूपी के गन्ना किसानों को उन्नत क़िस्म की प्रजाति मुहैया कराने, सूखा, जलभराव व ऊसर क्षेत्रों में उपयोगी प्रजातियों को विकसित करने जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए 1939 में गोरखपुर के कूड़ाघाट में गन्ना शोध केंद्र की स्थापना की गई. 2017 में केंद्र की ज़मीन एम्स बनाने के लिए देते हुए इसे पिपराइच स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन आज तक वहां शोध केंद्र की एक ईंट भी नहीं रखी गई है.

यूपी: देवरिया में आईटीआई की अधबनी इमारत कई युवाओं के टूटे सपनों की नींव पर खड़ी है

ग्राउंड रिपोर्ट: साल 2014 में देवरिया ज़िले में भाटपाररानी विधानसभा क्षेत्र के भवानी छापर गांव में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आईटीआई का शिलान्यास किया था. ग्रामीण युवाओं को आस थी कि वे तकनीकी हुनर सीखकर आजीविका कमा सकेंगे. सात साल बीतने के बावजूद यह आईटीआई अब तक शुरू नहीं हो सका और रोजी-रोटी की तलाश में स्थानीय युवा अन्य राज्यों में मज़दूरी करने के लिए पलायन को मजबूर हैं.

उत्तर प्रदेश: गोरखपुर ज़िले की निषाद बहुल सीटों का चुनावी समीकरण क्या है

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में नौ विधानसभा क्षेत्र- गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा, चिल्लूपार, बांसगांव और खजनी हैं. बांसगांव और खजनी क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इनमें से पांच- गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा में निषाद समुदाय की अच्छी-ख़ासी संख्या है. चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में भी निषाद मतदाता ठीक-ठाक हैं.

यूपी: भाजपा से सपा पहुंचे स्वामी प्रसाद पडरौना की जगह ​फ़ाज़िलनगर से चुनाव क्यों लड़ रहे हैं

स्वामी प्रसाद मौर्य ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के वक्त भाजपा को छोड़कर उसे क़रारा झटका दिया है. भाजपा ने नुकसान की भरपाई करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री तथा स्वामी प्रसाद मौर्य के प्रतिद्वंद्वी आरपीएन सिंह को अपने साथ लिया है. दोनों कद्दावर नेताओं के जनाधार की परीक्षा इस चुनाव में होनी है.

‘मेरे बेटे ने मोहब्बत की थी लेकिन उस पर रेप का दाग़ लगाया गया, मैं इंसाफ़ के लिए लड़ूंगा’

बीते दिनों गोरखपुर की एक अदालत में 31 वर्षीय दिलशाद की गोली मारकर की गई हत्या को 'बलात्कारी' की हत्या बताया जा रहा है. दिलशाद के पिता ने इसे 'ऑनर किलिंग' बताते हुए कहा कि उनके बेटे के हत्यारोपी भागवत निषाद उनके क़रीबी दोस्त थे और दिलशाद ने हिंदू धर्म अपनाकर उनकी बेटी से शादी की थी. इससे नाराज़ भागवत ने दिलशाद पर अपहरण और पॉक्सो के तहत केस दर्ज करवाया था.

उत्तर प्रदेश: आरपीएन सिंह के भाजपा में आने से कितनी बदलेगी कुशीनगर की राजनीति

योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ सपा में जाने और फिर आरपीएन सिंह के कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद उत्तर प्रदेश में कुशीनगर ज़िले के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह उलट-पुलट गए हैं. आरपीएन के ज़रिये भाजपा मौर्य के राजनीतिक प्रभाव को काटने में लगी है तो सपा मौर्य के साथ अपने पार्टी के बड़े नेताओं के बीच संतुलन बिठाने में लगी है.

उत्तर प्रदेश चुनाव: क्या योगी आदित्यनाथ को उनके गढ़ में घेर सकेगा विपक्ष

गोरखपुर शहर सीट पर विपक्ष बेमन से चुनाव लड़ता रहा है. पिछले तीन दशक से सपा, कांग्रेस, बसपा के किसी भी नेता ने इस सीट को केंद्रित कर राजनीतिक कार्य नहीं किया, न ही इसे संघर्ष का क्षेत्र बनाया. हर चुनाव में इन दलों से नए प्रत्याशी आते रहे और चुनाव बाद गायब हो जाते रहे. इसी के चलते भाजपा यहां मज़बूत होती गई. 

यूपी: गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों-छात्रों ने कुलपति के ख़िलाफ़ मोर्चा क्यों खोल रखा है

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह अपने 15 महीनों के कार्यकाल के दौरान लगातार विवादों में रहे हैं. फैकल्टी सदस्य और विद्यार्थी उन पर अनियमितता, मनमाने निर्णयों और शिक्षकों के साथ बदसलूकी के आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं.

क्या बीआरडी ऑक्सीजन त्रासदी को लेकर डॉ. कफ़ील ख़ान को जानबूझकर निशाना बनाया गया

डॉ. कफ़ील ख़ान की किताब ‘द गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रेजडी: अ डॉक्टर्स मेमॉयर ऑफ अ डेडली मेडिकल क्राइसिस' अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के सच को दफ़न करने की कोशिश को बेपर्दा करती है और व्यवस्था द्वारा उसकी नाकामी को छुपाने की साज़िश को सामने लाती है.

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