गोरखपुर की रैली से कांग्रेस ने दिखाया है कि अब वह भी भाजपा, सपा, बसपा की तरह बड़ी रैली करने में सक्षम है. पार्टी पूर्वांचल में एक और रैली करने के बाद लखनऊ में बड़ी जनसभा करने की तैयारी में है. बड़ी रैलियां या जनसभाएं चुनावी सफलता की गारंटी नहीं हैं, लेकिन इनके ज़रिये कांग्रेस यह साबित करने की कोशिश करेगी कि लोग उससे जुड़ रहे हैं.
बीते दिनों गोरखपुर ज़िले के उरुवा ब्लॉक में ग्राम पंचायत अधिकारी अनीश कुमार की सरेबाज़ार हत्या कर दी गई थी. अनीश ने अपनी सहकर्मी दीप्ति मिश्रा से अंतरजातीय विवाह किया था. बताया गया है कि दीप्ति के दलित व्यक्ति से विवाह करने से नाराज़ उनका परिवार काफ़ी समय से अनीश को धमका रहा था.
बीते 29 जून को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले के रौनापार के पलिया गांव के एक व्यक्ति से कुछ लोगों का विवाद हो गया था. मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों पर भी कथित रूप से हमला कर दिया गया. आरोप है कि इसके बाद बदले की कार्रवाई करते हुए पुलिस ने इस दलित बाहुल्य गांव में प्रधान समेत कई घरों में जमकर तोड़फोड़ की और उन्हें गिरा दिया गया. पुलिस ने ग्रामीणों के इस आरोप से इनकार करते हुए अज्ञात लोगों
योगी सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग से पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले दो हज़ार से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने की सिफ़ारिश की है. सरकार के पास मुआवज़े के लिए कुल 3,092 आवेदन आए थे, जिनमें से 2,020 को पात्र माना गया है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में निषाद वोट अहम हो गए हैं, जिसे लेकर निषाद पार्टी अपने प्रभुत्व का दावा करती रही है. राज्य में 150 से अधिक विधानसभा सीटें निषाद बहुल हैं, ऐसे में यह समुदाय निर्णायक भूमिका में हो सकता है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट बढ़ते ही निषाद वोटों पर अपने कब्ज़े को लेकर निषाद पार्टी और बिहार की विकासशील इंसान पार्टी के बीच खींचतान शुरू हो गई है.
उत्तर प्रदेश के ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में तिकड़म, धनबल, दबाव आदि के सहारे मिली जीत को जिस तरह 'जनता-जर्नादन का आशीर्वाद' और 'जनविश्वास की जीत' बताया जा रहा है, उससे लगता है कि हमें लोकतंत्र के लिए नई परिभाषा ढूंढना शुरू कर देना चाहिए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों गोरखपुर के दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को गोद लेने की घोषणा की थी. स्थापना के कई साल बाद भी इन केंद्रों में न समुचित चिकित्साकर्मी हैं, न ही अन्य सुविधाएं. विडंबना यह है कि दोनों अस्पतालों में एक्स-रे टेक्नीशियन हैं, पर एक्स-रे मशीन नदारद हैं.
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश भाजपा में ‘राजनीतिक अस्थिरता’ का संक्रमण शुरू हो गया, जिसके केंद्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. भाजपा-आरएसएस के नेताओं के मंथन के बीच सवाल उठता है कि हाल के दिनों में ऐसा क्या हुआ कि उन्हें यूपी का रण जीतना उतना आसान नहीं दिख रहा, जितना समझा जा रहा था.
ग्राउंड रिपोर्ट: बीते दिनों गोरखपुर प्रशासन पर गोरखनाथ मंदिर के पास ज़मीन अधिग्रहण के लिए यहां के रहवासी कई मुस्लिम परिवारों से जबरन सहमति पत्र पर दस्तख़त करवाने का आरोप लगा है. कई परिवारों का कहना है कि उन्होंने एक कागज़ पर साइन तो कर दिए, लेकिन वे अपना घर नहीं छोड़ना चाहते हैं.
स्कूली शिक्षा महानिदेशक की रिपोर्ट के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग में कोविड-19 संक्रमण से शिक्षकों सहित 1,474 कार्मिकों की मृत्यु हुई है. इसके साथ ही पिछले वर्ष से अब तक 812 कर्मचारियों ने नॉन-कोविड कारणों से जान गंवाई है. हालांकि रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं किया गया है कि कोविड से हुईं मौतें किस अवधि की हैं.
उत्तर प्रदेश में बीते साल मई से एस्मा लागू है और इसी हफ़्ते तीसरी बार इसकी अवधि छह महीनों के लिए बढ़ाई गई है. महामारी के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर योगी सरकार से नाराज़ चल रहे कई कर्मचारी संगठनों ने इसे आपातकाल और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला क़रार दिया है.
राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ईडब्ल्यूएस कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर भाई की नियुक्ति संबंधी आरोपों के बाद अब 1.26 करोड़ मूल्य की ज़मीन को 20 लाख रुपये में खरीदने के विवाद में घिर गए हैं. विपक्ष ने उनकी संपत्ति की जांच करवाते हुए उन्हें कैबिनेट से बर्ख़ास्त करने की मांग की है.
सिद्धार्थनगर ज़िले की सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में योगी सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण कुमार द्विवेदी की आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग की श्रेणी में असिस्टेंट प्रोफेसर के बतौर नियुक्ति हुई थी. इसे लेकर हुए विवाद के बाद उन्होंने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और महराजगंज ज़िले के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए गए डोर-टू-डोर और संवेदीकरण अभियान के आंकड़े बताते हैं कि यहां बड़ी संख्या में खांसी, बुखार, सांस फूलने की बीमारी से लोगों की मौत हुई है.
उत्तर प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संघों द्वारा पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान हुए कोविड संक्रमण से जान गंवाने के बाद वाले कर्मचारियों की सूची जारी करने के बाद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी ऐसी ही लिस्ट जारी करते हुए पीड़ित परिवारों को अनुग्रह राशि और आश्रितों की नौकरी देने की मांग की है.