23 नवंबर को अजमेर ज़िले की हाई सिक्योरिटी जेल में अधिकारियों द्वारा बिना किसी सूचना के बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई. इस क़दम के विरोध में क़ैदी भूख हड़ताल पर चले गए, लेकिन कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उन्होंने हार मान ली.
अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक्स कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार क़ैदियों के अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन के फोन को कई बार सफलतापूर्वक हैक किया गया था.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी वकील सुरेंद्र गाडलिंग ने तलोजा सेंट्रल जेल के अधीक्षक पर उनकी दवाइयों की सप्लाई रोकने का आरोप लगाया है. बताया गया कि इन दवाइयों के लिए उनके परिजनों ने निचली अदालत से अनुमति प्राप्त की थी, लेकिन अब अदालती आदेशों की भी अवहेलना की जा रही है.
दिल्ली की साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अफ़ग़ानी छात्र, जो इस समय शहर में हैं, उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है और कैंपस में नहीं रहने दिया जा रहा है, जबकि उनके पास रहने की कोई और जगह नहीं है.
दंतेवाड़ा में 'लोन वर्राटू' के तहत पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले कथित पूर्व नक्सलियों के लिए बनाए गए डिटेंशन कैंप ‘शांति कुंज’ का अस्तित्व क़ानूनी दायरों से परे है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज कर्नाटक, ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस, ऑल इडिया पीपुल्स फोरम और गौरीलंकेश न्यूज़ डॉट कॉम ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने सांप्रदायिक तनाव के 71 मामलों की पहचान की है. ये सभी मामले जनवरी 2021 से अगस्त तक के हैं.
कर्नाटक के बेलगावी ज़िले का मामला. 28 सितंबर को 24 साल के अरबाज मुल्ला का क्षत-विक्षत शव ज़िले से लगभग 30 किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक से बरामद किया गया. मृतक की मां ने दक्षिणपंथी संगठन श्रीराम सेना के दो सदस्यों और हिंदू युवती के पिता के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई है.
दिसंबर 2019 में मुंबई के तीन श्रमिकों की सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मौत के बाद उनकी पत्नियों ने अदालत से मुआवज़े और पुनर्वास की मांग की थी. बीते 17 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को चार हफ्ते के भीतर ऐसा करने के निर्देश दिए हैं. यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य में संभवतः यह पहली बार है जब निजी ठेके पर काम काम करते समय हुई मृत्यु के मुआवज़े के मामले में सरकार को ज़िम्मेदार
11 अगस्त को नागपुर के कमिश्नर द्वारा एकाएक शहर के बीचोंबीच बने रेड लाइट एरिया 'गंगा-जमुना' को बंद करने के आदेश के बाद यहां की सेक्स वर्कर्स की आय बंद हो गई. राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर ने इस क़दम की आलोचना करते हुए कहा है कि पुलिस ने उनकी आजीविका के बारे में सोचे बिना यह कार्रवाई की है.
मामला सोलापुर ज़िले के मालेवाड़ी गांव का है, जहां बीते 20 अगस्त को एक दलित वृद्ध की मौत के बाद गांव के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार करने को लेकर ओबीसी माली समुदाय ने विरोध किया था.
निगरानी के लिए संभावित निशाने पर 'कमेटी फॉर द रिलीज़ ऑफ पॉलिटिकल प्रिज़नर्स' भी थी, जिससे जुड़े शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं के फोन नंबर भी पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये हुए सर्विलांस वाले भारतीय फोन नंबरों की लीक हुई सूची में शामिल हैं.
द वायर और सहयोगी मीडिया संगठनों द्वारा हज़ारों ऐसे फोन नंबरों, जिनकी पेगासस स्पायवेयर द्वारा निगरानी की योजना बनाई गई थी, की समीक्षा के बाद सामने आया है कि इनमें कम से कम नौ नंबर उन आठ कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों के हैं, जिन्हें जून 2018 और अक्टूबर 2020 के बीच एल्गार परिषद मामले में कथित भूमिका के लिए गिरफ़्तार किया गया था.
अमेरिका के मैसाचुसेट्स की डिजिटल फॉरेंसिक कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट बताती है कि एल्गार परिषद मामले में हिरासत में लिए गए 16 लोगों में से एक वकील सुरेंद्र गाडलिंग के कंप्यूटर को 16 फरवरी 2016 से हैक किया जा रहा था. दो साल बाद उन्हें छह अप्रैल 2018 को गिरफ़्तार किया गया था.
स्टेन स्वामी उन 16 शिक्षाविदों, वकील और कार्यकर्ताओं में से एक हैं, जिन्हें एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ़्तार किया गया था. उन पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं समेत कठोर यूएपीए क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
दंतेवाड़ा और बीजापुर ज़िले के पहाड़ी सिरे पर बसे गमपुर के नौजवान बदरू माडवी को बीते साल जन मिलिशिया कमांडर बताते हुए एनकाउंटर करने का दावा किया गया था. बदरू के परिजनों और ग्रामीणों ने इन आरोपों से इनकार करते हुए न्याय की लड़ाई के प्रतीक के तौर पर उनका शव संरक्षित करके रखा हुआ है.