अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग नहीं लेने के अपने रुख़ को दोहराते हुए पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि राजनेताओं की अपनी सीमाएं हैं. धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में नियम और प्रतिबंध हैं, इनका पालन किया जाना चाहिए. नेताओं द्वारा हर क्षेत्र में हस्तक्षेप करना पागलपन है.
हाल ही में मुंबई दक्षिण लोकसभा क्षेत्र पर सार्वजनिक रूप से दावा करने वाली शिवसेना (यूबीटी) पर मिलिंद देवड़ा ने नाराज़गी ज़ाहिर की थी. वह 2014 और 2019 में लगातार दो लोकसभा चुनाव शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत से हार चुके हैं. कांग्रेस ने कहा है कि देवड़ा के पार्टी छोड़ने का समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तय किया गया है.
बीते दिनों नई दिल्ली नगर निगम ने यातायात व्यवस्था का हवाला देते हुए सुनहरी मस्जिद को हटाने को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था. इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस ने इसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संरचना बताते हुए कहा है कि हाल के दिनों में हमारी मध्ययुगीन वास्तुकला विरासत को नष्ट करने के लगातार प्रयास हो रहे हैं.
ओडिशा सरकार ने राज्य के डॉक्टरों को ‘न्यायिक प्रणाली में साक्ष्यों के संबंध में’ मेडिको-लीगल रिपोर्ट या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को बड़े अक्षरों में या टाइप किए गए रूप में या पढ़ने लायक लिखावट में लिखने का भी निर्देश दिया. हाल ही में उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा था कि डॉक्टरों के बीच टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट का चलन फैशन बन गया है.
असम कांग्रेस ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में यह बताए जाने की मांग की है कि पिछले विधानसभा चुनाव के फॉर्म-20 या अंतिम परिणाम पत्र में ऐसे बदलाव क्यों किए गए हैं, जिनमें मतदान केंद्रों के नाम और उन राजनीतिक दलों के नाम नहीं बताए गए हैं, जिनके उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. पार्टी ने चुनाव आयोग द्वारा ऐसी जानकारी को हटाने पर सवाल उठाए हैं.
पिछले साल अगस्त में उत्तर प्रदेश मुज़फ़्फ़रनगर के एक निजी स्कूल की शिक्षक तृप्ता त्यागी ने कथित तौर पर होमवर्क नहीं करने पर एक मुस्लिम छात्र को उसके हिंदू सहपाठियों से कक्षा में बार-बार थप्पड़ लगवाए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि सरकार ने वह नहीं किया, जो उससे करने की अपेक्षा की गई थी.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी. राजा ने कहा है कि राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह एक सरकार-प्रायोजित राजनीतिक कार्यक्रम है, जो लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा और आरएसएस द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इन्हीं कारणों से कांग्रेस और माकपा ने भी इस समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर ज़िले के पटेहरा ब्लॉक का मामला. अमोहीपुर गांव के प्राइमरी स्कूल से 23 बोरी गेहूं और 21 बोरी चावल की चोरी के संबंध में आरोपी सहायक शिक्षक ने केस दर्ज कराया था. जांच के दौरान शिक्षक के बैंक खाते और राशन की दुकान से प्राप्त विवरण में अनियमतता पाई गई थीं.
भारतीय वायुसेना के एएन-32 परिवहन विमान ने 22 जुलाई 2016 को चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के लिए उड़ान भरी थी. उड़ान के दौरान यह लापता हो गया था. उसमें 29 लोग सवार थे. अब इसका मलबा चेन्नई तट से लगभग 300 किलोमीटर दूर समुद्र में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के एक ऑटोमैटिक अंडरवॉटर ह्वीकल को मिला है.
गुजरात के द्वारका स्थित शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने के पीछे विवादों और ‘धर्म विरोधी ताकतों’ के इससे जुड़े होने का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि चारों शंकराचार्यों को निमंत्रण मिला है, लेकिन कोई भी 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नहीं जा रहा है.
राजस्थान के जोधपुर शहर स्थित एमडीएम अस्पताल का मामला. कैंसर से पीड़ित मरीज़ अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर पर थे, जब बिजली कटौती से कथित तौर पर ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित होने के बाद उनकी मौत हो गई. मरीज़ के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही से मौत का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया.
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से कहा है कि वे जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मोदी सरकार की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का लोगो परिसर में लगाएं, साथ ही वेबसाइट, पोर्टल, स्टेशनरी आइटम आदि पर भी इसे इस्तेमाल करें.
मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में भाजपा सरकार के कार्यकाल में भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नीतियों के कारण अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा में बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में धार्मिक और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण प्रथाओं को उजागर करते हुए कई घटनाओं को सूचीबद्ध किया गया है.
असम सरकार ने मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता अभियान योजना शुरू की है. सामान्य और ओबीसी श्रेणियों की महिलाएं अगर इस योजना का लाभ उठाना चाहती हैं तो उनके तीन से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं के लिए यह सीमा चार बच्चों की है.