मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के बाद बीते 3 मई को राज्य में इंटनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. पांच महीनों तक चला यह प्रतिबंध किसी भी भारतीय राज्य में लगाए गए सबसे लंबे इंटरनेट प्रतिबंधों में से एक है.
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच असम राइफल्स ने राज्य पुलिस को पत्र लिखकर कहा है कि कुछ मेईतेई उपद्रवियों ने इस्तेमाल किए हुए ट्रक खरीदकर उनका रंग-रोगन करके, उन पर असम राइफल्स का चिह्न लगाकर सैन्य वाहनों के समान बनाया है. ऐसा असम राइफल्स की छवि ख़राब करने के लिए किया जा रहा है.
अत्याधुनिक हथियार रखने और पुलिसकर्मियों का भेस बनाने को लेकर यूएपीए के आरोप में गिरफ़्तार पांच लोगों की रिहाई की मांग करते हुए मेईतेई समूहों ने कई पुलिस थानों पर हमला किया था. इसके बाद इंफाल पूर्व और पश्चिम ज़िलों में दी जाने वाली कर्फ्यू में छूट को बंद कर दिया गया है.
मणिपुर राज्य महिला आयोग ने पिछले साल सितंबर से अब तक राज्य में बलात्कार, यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा सहित महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों से संबंधित कुल 59 मामले दर्ज किए हैं. इनमें से अधिकांश मामले घाटी ज़िलों से आए हैं, जिनमें इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल और काकचिंग शामिल हैं.
मणिपुर के इंफाल पश्चिम ज़िले में डिफेंस सर्विस कॉर्प्स के सैनिक सर्टो थांगथांग कोम का 16 सितंबर को उनके घर से अपहरण कर लिया गया था. कमेटी फॉर ट्राइबल यूनियन की ओर से कहा गया है कि ऐसे बर्बर कृत्य से पता चलता है कि कैसे सशस्त्र मेईतेई बदमाशों को इंफाल घाटी में बिना किसी हिचकिचाहट के आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी गई है.
प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का स्वामित्व असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के परिवार के पास है. 10 नवंबर 2022 को इसकी एक खाद्य प्रसंस्करण परियोजना के लिए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की गई थी. मुख्यमंत्री ने इससे इनकार किया है, लेकिन मामले ने तब तूल पकड़ लिया, जब कांग्रेस ने आधिकारिक दस्तावेज़ पेश कर दिए.
8 सितंबर को हुई एक सशस्त्र समूह और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी की घटना को लेकर मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार ने 'केंद्रीय सुरक्षा बलों' की निंदा की है, वहीं पुलिस द्वारा प्रेस को दिए बयान में इसे 'संयुक्त अभियान' बताया गया है.
हिंसाग्रस्त मणिपुर संबंधी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा अपने खिलाफ दायर की गई एफ़आईआर का सामना कर रहे एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में बतया कि सेना के अनुरोध पर उसकी टीम ने वहां का दौरा किया था. पत्र में सेना ने स्थानीय मीडिया पर एक समुदाय के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाया था.
नगालैंड विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन एनपीएफ विधायक कुझोलुज़ो निएनु ने कहा कि नगाओं को अनुच्छेद 371ए के तहत विशेष सुरक्षा प्राप्त है और इसलिए समान नागरिक संहिता और वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पर चर्चा की ज़रूरत है.
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) का यह बयान केंद्र सरकार द्वारा विद्रोही समूह के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के कुछ दिनों बाद आया है. एनएससीएन-आईएम समेत नगा समूहों का दावा है कि नगा कभी भी भारत का हिस्सा नहीं थे और उन्होंने 14 अगस्त 1947 को ‘स्वतंत्रता’ की घोषणा की थी.
मणिपुर में बीते 3 मई से जारी जातीय हिंसा के बाद कुकी-जो आदिवासी समुदाय से आने वाले 10 विधायक अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं. इनमें से 7 सत्तारूढ़ भाजपा के हैं. भाजपा विधायक और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद राजकुमार इमो सिंह ने कहा कि अगर वे ‘शांति के लिए काम करने’ को लेकर गंभीर नहीं तो ‘इस्तीफा दे दें’.
बीते 8 सितंबर को मणिपुर के टेंगनौपाल ज़िले के पलेल में हुई गोलीबारी की घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए थे. इस दौरान पलेल के पास मोलनोई गांव में सुरक्षा बलों और हथियारबंद लोगों के बीच गोलीबारी हो गई थी. राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार को घटना से अवगत कराने की बात कही है.
असम मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) और अशांत क्षेत्र अधिनियम को पूरे राज्य से वापस लेने की सिफ़ारिश की है. पिछले महीने एक स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि उनकी सरकार इस साल के अंत तक पूरे राज्य से आफस्पा हटाने का प्रयास करेगी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन ने मणिपुर में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पर नियमित रूप से प्राप्त रिपोर्ट पर आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) और धारा 24 के तहत जानकारी देने से इनकार किया है.
असम के बजाली ज़िले के एक व्यवसायी रबीउल इस्लाम ने आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस ने ग़लत तरीके से हिरासत में लिया और 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए कहा, ऐसा नहीं करने पर उन्हें एनकाउंटर में मारने की धमकी दी और उनकी हत्या को ‘जिहादी तत्वों के साथ संबंध’ बताकर उचित ठहराने की बात कही थी.