‘15 दिसंबर जामिया के लिए ऐसा दाग़ है जो कभी मिटाया नहीं जा सकता’

15 दिसंबर 2019 को दिल्ली पुलिस ने सीएए विरोधी प्रदर्शन में पत्थरबाज़ी का हवाला देते हुए जामिया मिलिया इस्लामिया के कैंपस और लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को पीटा था. इस हिंसा के चार साल पूरे होने पर जामिया के छात्र-छात्राओं ने 'जामिया प्रतिरोध दिवस' मनाते हुए परिसर में मार्च निकाला.

बिहार जाति सर्वेक्षण: बंजारों की तरह जीने वाला समुदाय है बक्खो

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग बक्खो जाति के बारे में है.

प्रसारण विधेयक का मसौदा नियमन के बजाय सेंसरशिप लागू करने का ख़ाका है

सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तैयार प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 या प्रसारण विधेयक को सेंसरशिप चार्टर के बतौर देखा जा सकता है, जहां 'केंद्र सरकार' स्वतंत्र समाचारों को सेंसर बोर्ड जैसे दायरे में घसीटना चाहती है.

अयोध्या: अनिमंत्रितों से प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में न आने की अपील का क्या अर्थ है?

राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय की अपील सुनकर बरबस 'अज्ञेय' याद आते हैं, जिनका कहना था कि 'जो निर्माता रहे/ इतिहास में वह/ बंदर कहलाएंगे'. ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के लिए संघर्षरत रहे कारसेवकों व राम सेवकों का ‘बंदर कहलाने’ की नियति से साक्षात्कार क्यों कराया जा रहा है?

बिहार जाति सर्वेक्षण में क्यों शामिल नहीं हैं भिश्ती?

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे के मद्देनज़र जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग भिश्ती जाति के बारे में है. हालांकि बिहार सरकार की रिपोर्ट में ये शामिल नहीं हैं, पर इनकी उपस्थिति अब भी है.

अस्थायी शिक्षकों को बर्ख़ास्त किए जाने पर क्या सोचते हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र

बीते दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों से विभिन्न विभागों के ऐसे एडहॉक शिक्षकों को हटाने की घटनाएं सामने आई हैं, जो एक दशक से अधिक समय से सेवाएं दे रहे थे.

बिहार जाति सर्वेक्षण: नदियों का सगा माना गया है केवट समुदाय

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग केवट जाति के बारे में है.

उम्मीद एक सामूहिक प्रोजेक्ट है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: यह अभी कुछ बरस पहले अकल्पनीय था कि उदार और सम्यक दृष्टि और शक्तियां इतनी तेज़ी से हाशिये पर चली जाएंगी. यह क्यों-कैसे हुआ यह अलग से विचार की मांग करता है. इसके बावजूद अगर उम्मीद बची हुई है तो वह ज़्यादातर साहित्य और कलाओं जैसे सर्जनात्मक-बौद्धिक क्षेत्रों में ही.

विश्वविद्यालयों को ‘सेल्फी पॉइंट’ बनाने के बजाय ‘सेल्फ पॉइंट’ बनने की कोशिश करनी चाहिए

यूजीसी के 'सेल्फी पॉइंट' के आदेश समेत उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए जारी होते विभिन्न निर्देशों को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो लगता है कि ‘आज्ञापालक नागरिक’ तैयार करने का प्रयास ज़ोर-शोर से चल रहा है और इसके लिए विश्वविद्यालयों को प्रयोगशाला बनाया जा रहा है.

बिहार जाति सर्वेक्षण: सदा उपेक्षा का शिकार रहा है लालबेगी समुदाय

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग लालबेगी जाति के बारे में है.

अयोध्या में हो रही मूर्तियों की राजनीति क्या कहती है?

2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या में मूर्तियों की स्थापना की बेहद महत्वाकांक्षी राजनीति भी शुरू की थी. हालांकि अपने अंतर्विरोधों के कारण यह राजनीति अब कई मायनों में उसके लिए फांस बनती दिख रही है.

अब अयोध्या बाबरी ध्वंस के दौर से निकलकर घरों, दुकानों के ध्वस्तीकरण के दौर में आ पहुंची है

आज अयोध्या की ‘बड़ी-बड़ी’ बातों ने कई ‘छोटी’ बातों को इतनी छोटी कर डाला है कि वे न पत्रकारों को नज़र आती हैं, न सरकारी अमले को. ऐसे में उन आम अयोध्यावासियों की तकलीफें अनदेखी की शिकार हैं, जो ‘ऊंची उड़ानों’ पर नहीं जाना चाहते या जिन्हें उन उड़ानों के इंतज़ामकार अपने साथ नहीं ले जाना चाहते. 

मध्य प्रदेश: क्या केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों को चुनाव में उतारने से भाजपा को कोई लाभ हुआ?

मध्य प्रदेश में भाजपा ने 3 केंद्रीय मंत्रियों, 4 सांसदों और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव लड़ाया था. इन आठ नेताओं में से छह अपनी-अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे हैं.

मध्य प्रदेश: भाजपा की जीत के बीच भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए ख़ुश होने की वजह कम हैं

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है, हालांकि ये नतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए निराशाजनक हैं. पार्टी ने सिंधिया के कुल 16 समर्थकों को चुनावी मैदान में उतारा था, उनमें से 8 की हार हुई है. हारने वालों में तीन मंत्री और दो विधायक भी शामिल हैं.

युद्धरत रहना मनुष्य का स्थायी भाव ही बन गया है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: भारतीय समाज की लगभग स्वाभाविक हिंसा को संयमित करने के प्रयत्न अधिकतर विफल ही साबित हुए हैं. कहा जा सकता है कि महाभारत सदियों पहले हुए का मिथक या काव्य भर नहीं है: आज भी हम भारत और महाभारत में एक साथ हैं.

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