वाक्पटु होने का अर्थ ईमानदार होना नहीं है

सीजेआई का इंटरव्यू याद दिलाता है कि वाक्चातुर्य कला है और कोई उसका माहिर हो सकता है लेकिन क्या वह ईमानदारी से बोल रहा है? चतुर वक्ता पक्ष चुनते हैं या दिए हुए पक्ष के लिए तर्क जुटाते हैं. वे यह कहकर अपने कहे की ज़िम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते कि पक्ष उनका नहीं. हम जानते हैं कि उन्होंने अपना पक्ष चुना है.

क्या सपा का धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में मज़बूती से खड़े रहने का साहस जवाब दे गया है?

जो समाजवादी पार्टी 1993 के दौर से भी पहले से धर्म और राजनीति के घालमेल के पूरी तरह ख़िलाफ़ रही और धर्म की राजनीति के मुखर विरोध का कोई भी मौका छोड़ना गवारा नहीं करती रही है, अब उसके लिए धर्म अनालोच्य हो गया है.

प्रधानमंत्री की अयोध्या यात्रा और यहां की चमक-धमक से वंचित आचार्य नरेंद्र देव नगर रेलवे स्टेशन

प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित अयोध्या धाम जंक्शन रेलवे स्टेशन से महज़ पांच किलोमीटर दूर स्थित इसी शहर में आने वाला आचार्य नरेंद्र देव नगर रेलवे स्टेशन बदहाल है. राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले जगमग कर रही अयोध्या की चमक इस स्टेशन तक नहीं पहुंच पाई है, जो सामान्य यात्री सुविधाओं, साफ-सफाई और रंग-रोगन से भी वंचित है.

उदय शंकर भारतीय नृत्य के पारंपरिक रूपाकारों के साथ साहसिक शास्त्रीयता विकसित करना चाहते थे

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: उदय शंकर का नृत्य कम से कम तीन विश्वासों से प्रेरित नृत्य था: शास्त्रीयता में विश्वास, आधुनिकता में विश्वास और आत्मविश्वास. जिन कलाकारों ने भारतीय नृत्य में पश्चिमी रुचि जगाई उनमें उदय शंकर का नाम पहली पंक्ति में आता है.

अयोध्या: आख़िरी ट्रेजेडी झेल रहा है नवाब शुज़ाउद्दौला का ‘दिलकुशा’

बीते दिनों योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोलह करोड़ रुपये ख़र्च कर फ़ैज़ाबाद में अवध के नवाब शुज़ाउद्दौला द्वारा बनवाए गए ऐतिहासिक महल 'दिलकुशा' के जीर्णोद्वार का ऐलान किया, तो लोग चौंके थे. हालांकि इसके बाद ‘दिलकुशा’ को ‘साकेत सदन’ का नाम देकर उसकी पहचान ख़त्म करने में कोई देरी नहीं की गई.

कांग्रेस की भीरुता के बिना राम मंदिर नहीं बन सकता था…

कांग्रेस के लोग यह सही कहते हैं कि उनके बिना राम मंदिर नहीं बन पाता. लेकिन यह गर्व की नहीं, लज्जा की बात होनी चाहिए. कांग्रेस को यह नहीं भूलना चाहिए कि 1949 में बाबरी मस्जिद में सेंधमारी नहीं हुई थी, सेंधमारी धर्मनिरपेक्ष भारतीय गणतंत्र में हुई थी.

यूपी सरकार का फ़रमान- अयोध्या आयोजन से पहले ज़िलों में रामायण पाठ, भजन कार्यक्रम आयोजित करें

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने राज्य के डीएम और कमिश्नरों को भेजे पत्र में कहा है कि वे पूरे राज्य में राम, हनुमान और वाल्मिकी मंदिरों में राम कथा, रामायण पाठ और भजन-कीर्तन आयोजित कराएं. ये सांस्कृतिक कार्यक्रम 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से हफ्ते भर पहले मकर संक्रांति के अवसर पर शुरू होंगे.

बिहार जाति सर्वेक्षण: नालबंदों का पेशा ख़त्म हो रहा है, जातिगत दर्जा नहीं

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग नालबंद जाति के बारे में है.

परवीन शाकिर: मैं अब हर मौसम से सिर ऊंचा करके मिल सकती हूं…

परवीन शाकिर की रचनाएं साहित्य में जिस स्त्री दृष्टि को लाईं, वह निस्संदेह मील का पत्थर है. पश्चिमी नारीवादी अवधारणा या उससे प्रभावित साहित्य की लोकप्रियता तो आम बात है, पर भारत-पाकिस्तान जैसे देशों की कुंठित सामाजिकता और पितृवादी संस्कृति में जब स्त्रियां अपनी अनुभूतियां दर्ज करती हैं, तो वह निज को राजनीतिक बना देने का काम करता है. 

बिहार जाति सर्वेक्षण: कहारों का इतिहास सामंती व्यवस्था द्वारा उत्पीड़न का रहा है

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग कहार जाति के बारे में है.

अयोध्या के मंदिर 1920-21 के किसान विद्रोह से अपना रिश्ता भूल गए…

साल 1920 में अवध किसान सभा ने ब्रिटिश सरकार के किसान विरोधी क़ानूनों व नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष की रणभेरी बजाने के लिए सम्मेलन हेतु अयोध्या के सरयू तट को चुना था. दमनकारी सरकार की निगाहों से बचते हुए सूबे के कोई एक लाख किसान वहां पहुंचे थे, जिनके लिए अयोध्या के संतों ने अपने मठ-मंदिर खोल दिए थे.

बिहार जाति सर्वेक्षण: समाज के हाशिये पर रहा मुसहर समुदाय

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग मुसहर जाति के बारे में है.

यूपी: कुशीनगर में हुई ख़ुदकुशी माइक्रोफाइनेंस क़र्ज़ों में फंसे ग्रामीण गरीबों की त्रासदी की बानगी है

बीते हफ्ते कुशीनगर ज़िले के सेवरही क्षेत्र के मिश्रौली गांव की एक 30 वर्षीय आरती ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंट द्वारा क़र्ज़ वसूली के लिए किए जा रहे उत्पीड़न से आजिज़ आकर ज़हर खा लिया, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई. गांव में ऐसी कंपनी के ऋणजाल में फंसने वाली आरती अकेली नहीं हैं. 

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार…

19 दिसंबर, 1927 को ब्रिटिश सरकार ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के तीन क्रांतिकारियों- रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफ़ाक़ उल्ला खां और रोशन सिंह को क्रमशः गोरखपुर, फ़ैज़ाबाद और इलाहाबाद की जेलों में फांसी दी थी.

अदम गोंडवी: ‘दिल पे रखके हाथ कहिए, देश ये आज़ाद है?’

पुण्यतिथि विशेष: अदम तब भी नहीं हकलाए, जब वंचितों के सारे हक़ों को मारकर बैठे सत्ताधीशों व हाक़िमों ने अपनी भृकुटियां टेढ़ी कर लीं और सबक सिखाने पर आमादा हो गए. अफ़सोसजनक है कि आज सत्ता ने सवालों की राह ऐसी बना दी है कि अनेक सवालिया निगाहें उसकी ओर उठने की हिम्मत तक नहीं कर पा रहीं.

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