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बीते जुलाई में हुई धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत की सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को सौंपी है. केंद्रीय एजेंसी के रवैये से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने पहले कहा था कि उसकी चार्जशीट किसी 'उपन्यास' सरीखी है, जिसे केवल औपचारिकतावश दाख़िल किया गया है.
आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चुनावी बॉन्ड की बिक्री और उन्हें भुनाने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक और केंद्र को साल 2018 में सौंपी गई रिपोर्ट का खुलासा करने की मांग की थी.
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेता केएस शान और भाजपा नेता रंजीत श्रीनिवास की हत्या केरल के अलाप्पुझा ज़िले में हुई. भाजपा ने अपने नेता की हत्या का आरोप एसडीपीआई पर लगाया है, जबकि एसडीपीआई की केरल इकाई ने आरोपों का खंडन किया है.
चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को कानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. इस ‘असामान्य’ पत्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.
पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन के क़रीब 20,000 कर्मचारियों ने जम्मू और कश्मीर डिवीज़नों को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ विलय के फ़ैसले के विरोध में यह प्रदर्शन शुरू किया है. कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि साल 2019 में बिजली विकास विभाग के विभाजन के बाद से कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया गया है.
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ की घोषणा की है. उनके इस क़दम से एसकेएम में उनके भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि मोर्चे के नेता डॉ. दर्शन पाल कह चुके हैं कि राजनीति में जाने वाले किसानों को एसकेएम छोड़ना होगा.
फीस लेकर जासूसी सेवाएं देने वाली ये कंपनियां इंटरनेट पर लोगों की ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने और उनकी डिवाइस व एकाउंट में सेंध लगाने का काम करती थीं. सौ देशों में अपने ग्राहकों के लिए इनके निशाने पर नेता, चुनाव अधिकारी, मानवाधिकार कार्यकर्ता और मशहूर हस्तियां थे. इनमें एक भारतीय फर्म भी शामिल है.
न्यायाधीश नानावटी ने 2002 के गोधरा दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट 2014 में गुजरात की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी. गोधरा दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे, जिसमें से ज़्यादातर लोग मुस्लिम समुदाय के थे. जस्टिस नानावटी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद को दंगों से संबंधित आरोपों में क्लीनचिट दी थी.
यह घटना बीते 18 दिसंबर को उस समय हुई, जब एक व्यक्ति अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में पवित्र स्थल पर रखी महाराजा रणजीत सिंह की तलवार उठाने के बाद उस स्थान के पास पहुंच गया, जहां सिख ग्रंथी पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ कर रहे थे. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कार्यबल के सदस्य जब उसे पकड़कर एसजीपीसी कार्यालय ले जा रहे थे, तब गुस्साई भीड़ ने उसकी बुरी तरह से पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई.