पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश इकाई ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि योगी सरकार ने महाकुंभ में हुई मौतों की वास्तविक संख्या को छिपाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया है, जैसे शवों को दो अलग-अलग पोस्टमॉर्टम केंद्रों में भेजा गया और कुछ मामलों में उनकी पुनर्प्राप्ति की जगह और तारीख में हेरफेर किया गया.