इक्कीसवीं सदी अल्पवयस्क अवस्था में ही शर्म से झेंपी सदी बन रही है. अब क्या करे कोई कवि? बेशर्म होकर झंडा फहराए संविधान की धज्जियां उड़ाने वालों का? या कसीदे लिखे बच्चों के हत्यारों के लिए? या युद्ध के सौदागरों के लिए विज्ञापन लिखे? 'रचनाकार का समय' में पढ़िए अनुज लुगुन को.
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असम आंदोलन के शहीदों की स्मृति में भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि असम आंदोलन असमिया लोगों की पहचान की रक्षा के लिए था, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि ख़तरा ख़त्म नहीं हुआ है. हर दिन जनसांख्यिकी बदल रही है.
अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित 11,000 मेगावाट अपर सियांग जलविद्युत परियोजना के लिए सर्वेक्षण शुरू करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती की तैयारी हो रही है. वहीं, नागरिक समूहों ने प्रस्तावित बांध का विरोध करते हुए कहा है कि यह भारत द्वारा हस्ताक्षरित अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करता है.
उमर अब्दुल्ला सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में बढ़ते गुस्से के मद्देनज़र भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर की आरक्षण नीति में किए गए बदलावों पर फिर से विचार करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया है.
ओडिशा के आदिवासी इलाकों में कपास और उसके बाद हुई बीटी कॉटन की खेती ने बेहिसाब त्रासदी को जन्म दिया है. इसने जमीन को किसी अन्य फसल के लायक नहीं छोड़ा, और छिड़के गए कीटनाशकों ने स्थानीय लोगों के बीच कैंसर को जन्म दे दिया. युवा शोधार्थी शुभम सिंह की ज़मीनी रिपोर्ट जो संस्मरण और पत्रकारिता की संधि पर दर्ज होती है.
अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का विवाद कई दशकों बाद शीर्ष अदालत के फैसले से ख़त्म तो हो गया, लेकिन इसके बाद हिंदू पक्ष ने अनेक मस्जिदों में मंदिर की तलाश शुरू कर दी है. यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन ही नहीं, उनका तिरस्कार भी है.
मानवाधिकार संगठनों ने एक पत्र जारी कर जुबैर के खिलाफ दर्ज हालिया एफआईआर को तुरंत वापस लेने और केंद्र सरकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने की मांग की है.