क्लाइमेट रिस्क हॉराइजंस के अध्ययन में कहा गया है कि उत्तराखंड के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में 10,678 मेगावाट की क्षमता वाली कम से कम 15 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिसमें क़रीब 70 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और वे जगहें भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं की ज़द में आ सकती हैं.