डेमॉगॉग लोगों के भीतर छिपी अश्लीलताओं को उत्तेजित करता है, समाज में विभाजन पैदा करता है और जो अंतर लोगों में है, उनका इस्तेमाल कर उनके बीच खाई खोदता है, वह एक के हित को दूसरे के ख़िलाफ़ खड़ा करता है, ख़ुद को अपने लोगों के रक्षक के तौर पर पेश करता है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल इस समय भाजपा और हिंदुत्व के प्रभाव में है, लगभग चपेट में. इस दौरान सार्वजनिक व्यवहार में कुल पंद्रह क्रियाओं से ही काम चलता है. ये हैं: रोकना, दबाना, छीनना, लूटना, चिल्लाना, मिटाना, मारना, पीटना, भागना, डराना-धमकाना, ढहाना, तोड़ना-फोड़ना, छीनना, फुसलाना, भूलना-भुलाना.
जानना पहली सीढ़ी है. उसके सहारे या उसके बल पर जनतंत्र का रास्ता खुलता है. सत्ता के निर्णय की जांच करने और उसे नकारने का अधिकार जन को जन बनाता है.
हिंदी कविता में जनतंत्र की उपस्थिति को रेखांकित करती इस श्रृंखला की चौथी कड़ी.
अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी कहा था कि ‘अरबों की जिस ज़मीन पर इज़रायल क़ब्ज़ा करके बैठा है वह उसे खाली करनी होगी.’ उस विवेक से हम ऐसी संस्कृति तक आ पहुंचे हैं, जहां अमानवीय इज़रायली हिंसा के बावजूद भारतीय जनमानस का एक बड़ा हिस्सा उसके प्रति चुप्पी या समर्थन का भाव रखे हुए है.
हर राजनीतिक दल जनता को जागरूक करना चाहता है. लेकिन अगर ‘पब्लिक’ सब जानती है तो उसे जागरूक करने की आवश्यकता ही क्यों हो?
आम चुनावों के दौरान जब हमारा देश, ख़ासकर हिंदी प्रदेश कठिन रास्ते से गुज़र रहा है, प्रस्तुत है हिंदी कविता में जनतंत्र की गौरवपूर्ण उपस्थिति की याद दिलाते इस स्तंभ की दूसरी क़िस्त.
जिस वक़्त हमारा चुनावी लोकतंत्र पूरे देश, ख़ासकर हिंदी प्रदेश में कठिन रास्ते से गुज़र रहा है, प्रस्तुत है यह नया स्तंभ जो हिंदी कविता में लोकतंत्र की गौरवपूर्ण उपस्थिति की याद दिलाता है.
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रचार अभियान में पार्टी के स्टार प्रचारक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिमों पर निशाना साध रहे है और कांग्रेस के घोषणा पत्र का नाम लेते हुए भ्रामक और फ़र्ज़ी दावे कर रहे हैं. क्या उनके चुनावी भाषणों का स्तर और नीचे गिरेगा, इस बारे में चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद.
नरेंद्र मोदी द्वारा राजस्थान में दिए गए नफ़रती भाषण की व्यापक आलोचना के बाद निर्वाचन आयोग ने दो लगभग समान पत्र 25 अप्रैल को भाजपा और कांग्रेस के अध्यक्षों- जेपी नड्डा और मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष को मिला पत्र भाजपा द्वारा राहुल गांधी के ख़िलाफ़ दर्ज शिकायत पर आधारित है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनके दल के नेताओं की हेट स्पीच पर चुनाव आयोग की ख़ामोशी से अंदाज़ मिलता है कि भाजपा नेताओं को माहौल सांप्रदायिक बनाने के लिए उसने पूरी छूट दी है.
राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को हज़ारों नागरिकों ने ‘ख़तरनाक और भारत के मुसलमानों पर सीधा हमला’ बताते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है. नागरिकों ने कहा है कि इस भाषण के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न करने से चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और स्वायत्तता कमज़ोर होगी.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक संदेश में कहा कि भाजपा विपक्ष शासित राज्यों में सरकारों को गिराने की कोशिश कर रही है, लेकिन लोकतंत्र को ख़त्म नहीं होने दिया जा सकता. कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ़्तार किया था.
आज जब लोकतंत्र का अस्तित्व संकट में है, तब भी छोटे राजनीतिक कद लेकिन विराट अहंकारी विपक्षी नेता आपसी सहमति और एकजुटता से चुनाव लड़ने को इच्छुक नहीं हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: लोकतंत्र अपने आप सीधी राह पर वापस नहीं आता या आ सकता. हम ऐसे मुक़ाम पर हैं जहां नागरिक के लोकतांत्रिक विवेक की परीक्षा है. उन्हें ही निर्णय करना है कि वे लोकतंत्र पर सीधी राह पर वापस लाने की कोशिश करना चाहते हैं या नहीं.
वीडियो: आगामी 19 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होने हैं. हालांकि, सीएम पेमा खांडू समेत भाजपा के दस प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके निर्वाचन क्षेत्र में उनके ख़िलाफ़ कोई नामांकन ही नहीं हुआ है और वे मतदान से पहले ही 'जीते' हुए माने जा रहे हैं. क्या ऐसा होना लोकतंत्र में जनता के उसके प्रतिनिधि चुनने के अधिकार के लिए ख़तरा है? प्रदेश की राजनीति पर द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से