नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन सहित अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों ने बड़ी संख्या में लेखकों, पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स को बिना मुक़दमे के लंबे समय तक क़ैद में रखने की आलोचना की और कहा कि ऐसे कारावास को भारतीय संसद द्वारा पारित ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम में संशोधन के माध्यम से विधायी समर्थन दिया गया है.
प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सशस्त्र कैडरों ने 27 दिसंबर 2016 को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले के सूरजगढ़ खदान से लौह अयस्क ले जाने में शामिल कम से कम 39 वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी थी. सुरेंद्र गाडलिंग पर माओवादी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप है. वह एल्गार परिषद मामले में भी एक आरोपी हैं.
2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के लिए एल्गार परिषद के आयोजन को ज़िम्मेदार ठहराते हुए इसके कुछ प्रतिभागियों समेत कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था. मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग के सामने एक पुलिस अधिकारी ने अपने हलफ़नामे में हिंसा में आयोजन की कोई भूमिका होने से इनकार किया है.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ़्तार 34 वर्षीय ज्योति जगताप द्वारा दायर अपील को बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि एनआईए का मामला प्रथमदृष्टया सच है. अपील में विशेष एनआईए अदालत के फरवरी 2022 में जारी एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें जगताप समेत मामले के तीन आरोपियों को ज़मानत देने से इनकार किया गया था.
एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी अरुण फरेरा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में कहा है कि उनका मामला अधिवक्ता सुधा भारद्वाज के समान ही है, जिन्हें अदालत द्वारा दिसंबर 2021 में डिफॉल्ट ज़मानत दी गई थी.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय वरवरा राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें स्थायी चिकित्सा ज़मानत के उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया था. राव अभी चिकित्सकीय आधार पर अंतरिम ज़मानत पर हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव की चिकित्सा आधार पर नियमित ज़मानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी कर अपना रुख़ स्पष्ट करने को कहा. राव ने चिकित्सा के आधार पर स्थायी ज़मानत संबंधी उनकी अपील को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा ख़ारिज किए जाने के फ़ैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाख़िल की है.
एल्गार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा और सागर गोरखे जेल में मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी. सुनवाई के दौरान जेल अधिकारियों ने बताया कि क़ैदियों द्वारा मच्छरदानी का उपयोग देना जोख़िम भरा है, क्योंकि इनका उपयोग कोई व्यक्ति स्वयं या दूसरों का गला घोंटने के लिए कर सकता है. इधर, अदालत ने मामले में शोमा सेन, सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग और महेश राउत की ज़मानत याचिका भी ख़ारिज कर दी है.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय वरवरा राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्थायी चिकित्सा ज़मानत के उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया था. उन्हें चिकित्सा ज़मानत मिली थी और जुलाई में आत्मसमर्पण करना है. याचिका में कहा गया है कि आगे की कोई भी क़ैद उनके ख़राब होते स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते उनके लिए मौत की घंटी होगी.
एल्गार परिषद मामले के आरोपियों- वरवरा राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गॉन्जाल्विस द्वारा दायर याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था, जिसमें उन्हें डिफॉल्ट ज़मानत देने से इनकार किया गया था.
एल्गार परिषद मामले में 83 वर्षीय वरवरा राव पिछले साल फरवरी से अस्थायी चिकित्सा ज़मानत पर जेल से बाहर हैं. उन्होंने ज़मानत पर बाहर रहते हुए अपने गृह नगर हैदराबाद में रहने और सुनवाई पूरी होने तक स्वास्थ्य आधार पर स्थायी ज़मानत का अनुरोध किया था. हालांकि अदालत ने इससे इनकार कर दिया.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय कवि वरवरा राव को फरवरी में मेडिकल आधार पर मिली अंतरिम ज़मानत के बाद पांच सितंबर को आत्मसमर्पण कर न्यायिक हिरासत में लौटना था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा इस अवधि को बढ़ाया गया. राव के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस दौरान राव बीमार थे और उन्हें मुंबई के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी 82 वर्षीय कवि वरवरा राव को फरवरी में मेडिकल आधार पर मिली अंतरिम ज़मानत के बाद पांच सितंबर को आत्मसमर्पण कर न्यायिक हिरासत में लौटना था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा इस अवधि का विस्तार करते हुए उन्हें राहत दी गई है. कोर्ट ने राव से चिकित्सा ज़मानत पर बाहर रहने के दौरान अपने गृहनगर जाने की अनुमति के लिए अलग से याचिका दायर करने को भी कहा है.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी 82 वर्षीय कवि वरवरा राव को इस साल फरवरी में मेडिकल आधार पर अंतरिम ज़मानत मिली थी. उन्हें पांच सितंबर को आत्मसमर्पण कर न्यायिक हिरासत में लौटना था, लेकिन अदालत द्वारा ज़मानत अवधि का विस्तार करते हुए उन्हें राहत दी गई है.
एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी कवि एवं कार्यकर्ता वरवरा राव को इस साल 22 फरवरी को मेडिकल आधार पर अंतरिम ज़मानत दी गई थी. इस मामले में गिरफ़्तार आरोपियों में वह पहले शख्स हैं, जिन्हें अंतरिम राहत दी गई थी. उन्हें पांच सिंतबर को आत्मसमर्पण कर न्यायिक हिरासत में लौटना था.