रामोत्सव बनाम गणतंत्रोत्सव!

भारतीय गणतंत्र इस बात को भी भला कैसे भूलेगा कि इसके लिए प्रधानमंत्री ने ‘धर्माचार्य’ का चोला धारण कर लिया था और उनके ‘सिपहसालार’ उन्हें विष्णु का अवतार और प्राण-प्रतिष्ठा की तारीख को 1947 के 15 अगस्त जितनी महत्वपूर्ण बता रहे थे.

क्या इस समय हिंदुओं में धार्मिकता को राम मंदिर परिभाषित कर रहा है?

अयोध्या को भारत की, या कहें हिंदुओं की धार्मिक राजधानी के रूप में स्थापित करने का राज्य समर्थित अभियान चल रहा है. लोगों के दिमाग़ में 22 जनवरी, 2024 को 26 जनवरी या 15 अगस्त के मुक़ाबले एक अधिक बड़े और महत्त्वपूर्ण दिन के रूप में आरोपित करने को भरपूर कोशिश हो रही है.

अयोध्या: शंकराचार्य ने रामलला की नई मूर्ति, अर्धनिर्मित मंदिर में ‘प्रतिष्ठा’ पर चिंता जताई

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्यगोपाल दास को भेजे पत्र में कहा है कि परिसर में रामलला पहले से ही विराजमान हैं, 'तो यह प्रश्न उठता है कि यदि नवीन मूर्ति की स्थापना की जाएगी तो श्रीरामलला विराजमान का क्या होगा?'

राम मंदिर समारोह के बीच योगी द्वारा गोरखनाथ मठ की समावेशी विरासत के अंत पर बात होनी चाहिए: लालू

अयोध्या में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर चौतरफा माहौल के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि ऐसे समय में जब आस्था और राजनीति के बीच की रेखाएं पहले से कहीं अधिक धुंधली हो गई हैं, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कैसे योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मठ की ‘समावेशिता की विरासत’ को ख़त्म कर दिया.

कोशल में रात गहराती जा रही है!

आज की अयोध्या में बहुसंख्यक सांप्रदायिकता के समक्ष आत्मसमर्पण और उसका प्रतिरोध न कर पाने की असहायता बढ़ती जा रही है. आम लोगों के बीच का वह स्वाभाविक सौहार्द भी, जो आत्मीय रिश्तों तक जाता था, अब औपचारिक हो चला है.

अभी भले एहसास न हो, पर हिंदू जनता सिर्फ़ राजनीतिक लाभ का साधन बनकर रह जाएगी

अगर हिंदू जनता को यह यक़ीन दिलाया जा सकता है कि यह मंदिर उसकी चिर संचित अभिलाषा को पूरा करता है तो इसका अर्थ है कि हिंदू मन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूरी तरह कब्ज़ा हो चुका है.

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जाति सर्वेक्षण डेटा का विवरण सार्वजनिक करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को इसके जाति सर्वेक्षण डेटा का विवरण सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए कहा ऐसा इसलिए किया गया ताकि असंतुष्ट लोग निष्कर्षों को चुनौती दे सकें. 

बिहार जाति सर्वेक्षण: नालबंदों का पेशा ख़त्म हो रहा है, जातिगत दर्जा नहीं

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग नालबंद जाति के बारे में है.

क्यों अलग है उत्तर और दक्षिण भारत का राजनीतिक मिजाज़?

बीते दिनों आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों और उनके प्रतिनिधि चुनने की प्राथमिकताओं पर लंबी बहस चली, तमाम सवाल उठाए गए. क्या वजह है कि इन क्षेत्रों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मिजाज़ में इतना अंतर है?

बिहार जाति सर्वेक्षण: बंजारों की तरह जीने वाला समुदाय है बक्खो

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग बक्खो जाति के बारे में है.

बिहार जाति सर्वेक्षण: नदियों का सगा माना गया है केवट समुदाय

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बिहार जाति सर्वेक्षण: सदा उपेक्षा का शिकार रहा है लालबेगी समुदाय

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बिहार जाति सर्वेक्षण: बहादुर समुदाय माना जाता है पासवान

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बिहार जाति सर्वेक्षण: इतिहास ने कम आंका धोबी जाति का दर्जा

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग धोबी जाति के बारे में है.

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