विधि आयोग ने देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं पर विचार कर रही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति से कहा है कि ऐसा 2029 के लोकसभा चुनावों तक ही संभव हो सकेगा क्योंकि राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को बढ़ा या घटाकर सभी चुनावों को एक साथ कराने का फॉर्मूला तैयार करना है.
केंद्र की मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण फेरबदल करते हुए किरेन रिजिजू से क़ानून मंत्रालय का ज़िम्मा ले लिया है. रिजिजू को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय दिया गया है. उनकी जगह अर्जुन राम मेघवाल लेंगे, जिन्हें क़ानून और न्याय मंत्रालय का राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है.
केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा को बताया कि कुल नियुक्तियों में सामान्य श्रेणी के न्यायाधीशों की संख्या 77 प्रतिशत से अधिक है. उन्होंने बताया कि इनमें से 58 न्यायाधीश ओबीसी और 19 अनुसूचित जाति से हैं. अनुसूचित जनजाति से केवल छह और अल्पसंख्यक समुदाय से 27 न्यायाधीश हैं. नियुक्तियों में 84 महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल, जिन्हें दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने की सिफ़ारिश की गई है, की यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद आई है कि उनकी नियुक्ति पर सरकार की एक आपत्ति यह थी कि 'समलैंगिक अधिकारों के प्रति उनके झुकाव' के चलते पूर्वाग्रहों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफ़ारिश दोहराने के साथ ही कॉलेजियम ने सोमशेखर सुंदरेशन को बॉम्बे हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने को लेकर केंद्र द्वारा उनकी 'सोशल मीडिया पोस्ट्स' को लेकर दर्ज करवाई गई आपत्ति को भी ख़ारिज कर दिया.
केंद्रीय क़ानून मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 19 दिसंबर, 2022 तक विभिन्न उच्च न्यायालयों में कुल 537 न्यायाधीश नियुक्त किए गए, जिनमें से 79 प्रतिशत सामान्य वर्ग, 11 फीसदी ओबीसी, 2.6 प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग से थे. अनुसूचित जातियों/जनजातियों की हिस्सेदारी क्रमशः 2.8 प्रतिशत और 1.3 प्रतिशत थी.
कॉलेजियम को लेकर क़ानून मंत्री की टिप्पणियों के बीच एक चैनल से बातचीत में वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सारे सार्वजनिक संस्थानों पर मौजूदा सरकार का नियंत्रण है और यदि वह 'अपने जज' नियुक्त कर न्यायपालिका भी कब्ज़ा लेती है, तो यह लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक होगा.
बीते हफ्तेभर में केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू संसद में सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत अर्ज़ियां और 'दुर्भावनापूर्ण' जनहित याचिकाएं न सुनने को कह चुके हैं, इसके बाद उन्होंने अदालत की छुट्टियों पर टिप्पणी की और कोर्ट में लंबित मामलों को जजों की नियुक्ति से जोड़ते हुए कॉलेजियम के स्थान पर नई प्रणाली लाने की बात दोहराई.
गुरुवार को राज्यसभा में देश की अदालतों में लंबित मामलों के बारे में पूछे गए एक सवाल को केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यायाधीशों के रिक्त पदों से जोड़ते हुए कहा कि यह मुद्दा जजों की नियुक्तियों के लिए 'कोई नई प्रणाली' लाए जाने तक हल नहीं होगा.
सभापति के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हुए अपने पहले संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक आयोग क़ानून ख़ारिज किए जाने को लेकर कहा कि यह ‘संसदीय संप्रभुता से गंभीर समझौता’ और उस जनादेश का ‘अनादर’ है जिसके संरक्षक उच्च सदन व लोकसभा हैं.
कॉलेजियम प्रणाली को लेकर चल रही खींचतान के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 में एनजेएसी अधिनियम रद्द करने को लेकर कहा कि संसद द्वारा पारित एक क़ानून, जो लोगों की इच्छा को दर्शाता है, उसे शीर्ष अदालत ने ‘रद्द’ कर दिया और ‘दुनिया को ऐसे किसी भी क़दम के बारे में कोई जानकारी नहीं है.’
कॉलेजियम को लेकर केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू की हालिया टिप्पणी से असहमति जताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अगर वह सोचते हैं कि सुप्रीम कोर्ट को किसी असंवैधानिक क़ानून को देखते हुए ख़ुद को रोकना चाहिए और उसमें संशोधन के लिए सरकार की दया पर रहना चाहिए, तो यह ग़लत है.
हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी 20 फाइलों को केंद्र सरकार ने पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लौटा दिया है. 20 सिफारिशों में से 11 नई हैं, जबकि कॉलेजियम ने 9 सिफारिशें फिर से दोहराई थीं. दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा कॉलेजियम प्रणाली पर की गई टिप्पणी पर आपत्ति दर्ज कराई है.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए की गई विभिन्न नामों की सिफ़ारिश वाली फाइलों को रोके जाने संबंधी आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कभी नहीं कहा जाना चाहिए, वरना फिर सरकार को फाइल ही न भेजें, ख़ुद ही नियुक्ति कर लें.
संविधान दिवस के उपलक्ष्य में हुए एक कार्यक्रम में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कॉलेजियम के सभी न्यायाधीश संविधान को लागू करने वाले वफ़ादार सैनिक हैं. जब हम ख़ामियों की बात करते हैं, तो हमारा समाधान है- मौजूदा व्यवस्था के भीतर काम करना.