तमिलनाडु के गांव में बलात्कार और अत्याचार के 30 साल पुराने मामले में 215 अधिकारियों को जेल

तमिलनाडु के धर्मपुरी ज़िले के आदिवासी गांव वाचथी में 20 जून 1992 को वन और पुलिस विभाग के अधिकारियों ने तस्करी के चंदन की लकड़ी की तलाश में छापा मारा था. इस दौरान ग्रामीणों पर अत्याचार करने के अलावा 18 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था. मद्रास हाईकोर्ट ने आरोपियों के दोषी ठहराने के सत्र अदालत के फैसले का बरक़रार रखा है.

जस्टिस चंद्रू जैसी शख़्सियतें भले ही किसी की रोल माॅडल न रह गई हों, लेकिन उन पर चर्चा ज़रूरी है

वकालत की अपनी पारी को विराम देकर जस्टिस के. चंद्रू 31 जुलाई, 2006 को जब मद्रास उच्च न्यायालय के जज बने तो मामलों की सुनवाई और फैसलों की गति ही नहीं तेज की, न्याय जगत की कई पुरानी औपनिवेशिक परंपराओं और दकियानूसी रूढ़ियों को भी तोड़ डाला. साथ ही कई नई और स्वस्थ परंपराओं का निर्माण भी किया.

नेताओं द्वारा आम आदमी की जमीन हड़पना दिनदहाड़े डक़ैती: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट एक वृद्धा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि डीएमके वार्ड सचिव 13 साल से अधिक समय तक उनकी भूमि पर कब्ज़ा कर रखा था. अदालत ने कहा कि राजनीतिक ताक़त का इस्तेमाल करके एक शक्तिहीन आम आदमी से ज़मीन छीनना दिनदहाड़े हुई डक़ैती के अलावा कुछ नहीं है.

हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निकाय चुनाव में ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण देने का निर्देश दिया

मद्रास हाईकोर्ट ने कुड्डालोर ज़िला कलेक्टर को नैनार्कुप्पम ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और सदस्यों को हटाने का भी निर्देश दिया, जिसने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए भूमि आवंटन को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव परित किया था. अदालत ने कहा कि जब तक बहुसंख्यक समाज लिंग के आधार पर अल्पसंख्यक समूह को बहिष्कृत करता रहेगा, यह केवल ख़राब सामाजिक जीवन स्थितियों को बढ़ावा देगा.

बिहार के श्रमिकों पर हमले की फेक न्यूज़ पर कोर्ट ने दैनिक भास्कर से ‘भूल सुधार’ छापने को कहा

तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर हमले की फ़र्ज़ी ख़बर को लेकर तमिलनाडु पुलिस ने दैनिक भास्कर के ख़िलाफ़ दो मामले दर्ज किए थे. इसे लेकर समूह के डिजिटल डिवीज़न के संपादक ने मद्रास हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत मांगी थी. कोर्ट ने इसे मंज़ूर करते हुए कहा कि बिना सत्यता की पुष्टि किए फर्ज़ी ख़बर छापना दुखद है.

मंदिर के पुजारी की नियुक्ति में जाति की कोई भूमिका नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने 2018 में दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि किसी भी जाति या पंथ के किसी भी व्यक्ति को पुजारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, बशर्ते वह मंदिर में किए जाने वाले आवश्यक अनुष्ठानों में पारंगत और निपुण व्यक्ति हो. याचिका में सलेम ज़िले के श्री सुगवनेश्वर स्वामी मंदिर में पुजारियों की भर्ती के लिए निकाले गए एक विज्ञापन को चुनौती दी थी.

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में तमिलनाडु के मंत्री को हिरासत में लिया, विपक्ष ने कार्रवाई की निंदा की

ईडी ने मंगलवार को तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी. सेंथिल बालाजी के घर और परिसरों में तलाशी शुरू करने के बाद बुधवार तड़के उन्हें हिरासत में ले लिया. यह मामला 2011 से 2016 के बीच राज्य के परिवहन विभाग में कथित रूप से नौकरी के लिए कैश के घोटाले से जुड़ा है. तब बालाजी अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे.

ऊटी कोर्ट में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं के अभाव पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया

तमिलनाडु के ऊटी में एक अदालत परिसर में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं की कमी पर प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में मद्रास हाईकोर्ट से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

मद्रास हाईकोर्ट ने विकिपीडिया की जानकारी के आधार दिए एनआईए कोर्ट के आदेश को रद्द किया

राज्य के एक मौलवी को कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के फेसबुक पेज को कथित रूप से ब्राउज़ करने और उसकी पोस्ट साझा करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने उन पर यूएपीए के तहत लगे आरोपों को विकिपीडिया पेज पर उक्त संगठन की परिभाषा पर भरोसा करते हुए सही ठहराया था.

सरकार द्वारा सिफ़ारिश लंबित रखने के बाद कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को वापस लिया

इस सिफ़ारिश को वापस लेने का सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का फैसला केंद्र सरकार के जवाब का छह महीने से अधिक समय तक इंतज़ार करने के बाद आया है. कॉलेजियम ने सितंबर 2022 को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफ़ारिश की थी, तब से यह बिना किसी प्रतिक्रिया के सरकार के पास लंबित है.

अगर भारत की मूल जनसांख्यिकीय रूपरेखा बदल जाती है, तो संविधान नष्ट हो जाएगा: मद्रास हाईकोर्ट जज

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा है कि अगर देश की जनसांख्यिकीय प्रोफाइल बदलती है, तो संविधान नष्ट हो जाएगा. जनसांख्यिकीय प्रोफाइल को बनाए रखने के लिए भारतीय परंपराओं और धर्मों का पालन करना होगा. राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इस टिप्पणी की आलोचना की है.

मुरुगन फैसले को याद करते हुए जस्टिस कौल ने कहा- कला में ‘अश्लीलता’ ख़ुद दर्शक लेकर आते हैं

2016 में पेरुमल मुरुगन की किताब 'मधोरुबगन' पर लगे अश्लीलता के आरोपों के चलते इस पर रोक लगाने की मांग ख़ारिज करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि जिसे किताब नहीं पसंद है वो इसे फेंक दे. इस पीठ में शामिल रहे जस्टिस एसके कौल ने बीते हफ्ते एक कार्यक्रम में कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक सिद्धांत कलाकार के पक्ष में हैं, उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता.

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