राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021 में 13,089 छात्रों की आत्महत्या से मौत हुई थी, जबकि 2011 में यह संख्या 7,696 थी. 2011 के बाद से भारत में छात्रों द्वारा आत्महत्याओं की संख्या हर साल बढ़ी है.
सुप्रीम कोर्ट की जेल सुधार समिति ने आत्महत्या रोधी बैरक के निर्माण की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए शीर्ष अदालत को बताया कि 2017 और 2021 के बीच देश भर की जेलों में हुईं 817 अप्राकृतिक मौतों में से 660 आत्महत्याएं थीं और इस दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 101 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं. इन मौतों में जेल के अंदर 41 हत्याएं भी शामिल हैं.
एनसीआरबी की आंकड़ों के अनुसार, देश भर में 2019 से 2021 तक कुल 10,61,648 महिलाएं लापता हो गईं. इसी अवधि में 2,51,430 लड़कियां भी ग़ायब हुई हैं. देश भर में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं, जहां से इस अवधि में सबसे ज़्यादा लड़कियां और महिलाएं ग़ायब हुईं.
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एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति (एससी) समूहों के लोगों के ख़िलाफ़ अपराध दर सबसे अधिक थी. 2021 में देश में अनुसूचित जाति के ख़िलाफ़ अपराध की 50,900 घटनाएं हुईं. मध्य प्रदेश में यह संख्या 7,214 थी.
घटना मध्य प्रदेश के छतरपुर की है. दलित समुदाय के एक युवक की बीते 28 जून को शादी थी, लेकिन उसे अपनी बारात में घोड़ी पर बैठने के लिए स्थानीय पुलिस की मदद के लिए आवेदन देना पड़ा था, जिसमें बारात में बाधा डालने की धमकियों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी.
वीडियो: हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में एनसीआरबी के हवाले से बताया गया था कि बीते पांच सालों में गुजरात में 40 हज़ार से ज़्यादा महिलाएं लापता हुई हैं. इस बारे में उठ रहे सवालों के बारे में बात का रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान.
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हिरेन बैंकर ने कहा कि भाजपा के नेता केरल में महिलाओं के बारे में बात करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के गृह राज्य गुजरात में 40,000 से अधिक महिलाएं गायब हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2016 में राज्य से 7,105, 2017 में 7,712, 2018 में 9,246 और 2019 में 9,268 महिलाएं लापता हुई हैं.
गुरुवार को एक समाचार चैनल के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक 'चुटकुला' सुनाने की बात कहते हुए एक महिला की आत्महत्या करने का प्रसंग बताया था. विपक्षी नेताओं समेत कई लोगों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आत्महत्या के बारे में चुटकुला सुनाना बेहद असंवेदनशील है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने संसद में एक सवाल के जवाब में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले चार वर्षों में दलित समुदाय के ख़िलाफ़ अपराध के कम से कम 1,89,945 मामले दर्ज किए गए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में पेश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के बाद पिछले पांच साल में महाराष्ट्र में 76, मध्य प्रदेश में 49, उत्तर प्रदेश में 41, तमिलनाडु में 40, बिहार में 38, राजस्थान में 32, पंजाब में 31, पश्चिम बंगाल में 30 और दिल्ली में 29 लोगों की मौत हिरासत में हुई है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने राज्यसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता फ़ौज़िया ख़ान के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों का ब्योरा मांगा था और सरकार से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उठाए जा रहे क़दमों पर प्रकाश डालने का आग्रह किया था.
गृह मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि 2021 तक उत्तर प्रदेश में 90,606 विचाराधीन क़ैदी थे, जिनमें से 21,942 अनुसूचित जाति, 4,657 अनुसूचित जनजाति और 41,678 ओबीसी वर्ग के थे. एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्रालय ने यह भी बताया कि सज़ा पूरी होने के बाद जुर्माना राशि का भुगतान न करने के कारण 1,410 अपराधी देश की जेलों में बंद हैं.
बीते सप्ताह लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बीते छह सालों में राज्य में किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की है. हालांकि, आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2017 से 2021 के बीच राज्य में 398 किसानों और 731 खेतिहर मज़दूरों ने आत्महत्या की.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा को सूचित किया है कि वर्ष 2017 से 2022 के बीच गुजरात में पुलिस हिरासत में 80 लोगों की मौत हुई है. इसके बाद महाराष्ट्र में 76, उत्तर प्रदेश में 41, तमिलनाडु में 40 और बिहार में 38 लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं.