लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि देश भर में साल 2020 में हिरासत में मौत के 1,940 और साल 2021 में 2,544 मामले दर्ज किए गए. सरकारी डेटा के अनुसार, साल 2020 में पुलिस एनकाउंटर में मौत के 82 और साल 2021 में 151 मामले दर्ज किए गए.
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के मंझारी थाना क्षेत्र का मामला है, जहां एक व्यक्ति ने डायन होने के संदेह में कुछ लोगों के साथ मिलकर अपनी 45 वर्षीय चाची की हत्या कर शव को जंगल में छुपा दिया. पुलिस ने बताया कि आरोपियों की तलाश की जा रही है.
झारखंड के गढ़वा जिले के चिनियां थाना क्षेत्र का मामला. जादू-टोना करने के संदेह में किसी व्यक्ति की हत्या कर देना राज्य में एक बड़ी सामाजिक बुराई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, ऐसे मामलों में 2001 और 2020 के बीच कुल 590 लोगों की मौत हुई, जिनमें ज़्यादातर महिलाएं थीं.
वीडियो: बीते दिनों संसद में केंद्र सरकार ने कहा कि उनके पास अलग से मॉब लिंचिंग का कोई आंकड़ा नहीं है. इस मुद्दे पर विशेषज्ञों से बातचीत कि सरकार को क्यों मॉब लिंचिंग के आंकड़े अन्य अपराधों से अलग सामने रखना चाहिए.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एनसीआरबी डेटा के हवाले से बताया कि 2020 में सांप्रदायिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए. एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्र ने बताया कि 2018 से 2020 के बीच देश में एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 1,61,117 मामले दर्ज किए गए.
एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों और इंडिया जस्टिस रिपोर्ट द्वारा उसके विश्लेषण बताता है कि साल 2020 में जेल में बंद विचाराधीन क़ैदियों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है जबकि दोषसिद्धि के आंकड़े में कमी आई है. इसके चलते जेल में बंद कुल क़ैदियों में विचाराधीन बंदियों की संख्या तीन-चौथाई से अधिक है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की वार्षिक ‘जेल सांख्यिकी भारत 2020’ रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के अंत तक देश में भारतीय क़ैदियों की संख्या 4.83 लाख थी. राज्यों में सबसे ज्यादा 1.06 लाख क़ैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में थे. दूसरे नंबर पर बिहार में 51,849 और तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश में 45,456 क़ैदी बंद थे.
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने पूछा गया था कि देश में भीड़ द्वारा पिछले पांच वर्षों में कितने मुस्लिमों और दलितों पर सार्वजनिक रूप से हमला किया गया या गंभीर रूप से घायल किया गया है, जिनकी इसकी वजह से मौत हो गई. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि पुलिस और लोक व्यव्यवस्था राज्य के विषय हैं.
दंतेवाड़ा में 'लोन वर्राटू' के तहत पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले कथित पूर्व नक्सलियों के लिए बनाए गए डिटेंशन कैंप ‘शांति कुंज’ का अस्तित्व क़ानूनी दायरों से परे है.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम क़ानून (यूएपीए) के तहत 80 लोगों को दोषी ठहराया गया, जबकि 2019 में 34 लोगों को दोषी ठहराया गया था. यूएपीए के तहत ज़मानत पाना बहुत ही मुश्किल होता है और जांच एजेंसी के पास चार्जशीट दाख़िल करने के लिए 180 दिन का समय होता है.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो पत्रकारों पर हमले के संदर्भ में विशिष्ट आंकड़े नहीं रखता. गृह मंत्रालय ने मीडियाकर्मियों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से क़ानून का कड़ाई से क्रियान्वयन करने के लिए 2017 में राज्य सरकारों को एक परामर्श जारी किया गया था.
एनसीआरबी और क्राइम इन इंडिया की 2001-2020 की रिपोर्ट्स से तैयार किया गया डेटा बताता है कि कुल 1,888 में से 893 में पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए गए और 358 के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर हुए. हालांकि इन सालों में केवल छब्बीस पुलिसकर्मियों को दोषी साबित किया जा सका.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराधों के 164 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2018 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराधों के 117 मामले सामने आए थे. इससे पहले 2017 में ऐसे 79 मामले दर्ज किए गए थे.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2019 में 9,052 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी, जो साल 2020 में 29 फीसदी बढ़कर 11,716 हो गई.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में देश में 11,396 बच्चों ने आत्महत्या की, जो 2019 के मुकाबले 18 प्रतिशत अधिक है. 18 साल से कम उम्र के बच्चों की आत्महत्या के मुख्य कारण पारिवारिक समस्याएं, प्रेम प्रसंग, बीमारी थे. सबसे अधिक 4,006 बच्चों की आत्महत्या के पीछे वजह पारिवारिक समस्याएं रहीं.