मध्य प्रदेश के अनूपुर ज़िले का मामला. पिचरवाही गांव के निवासी आदिवासी बरनू सिंह बीते 18 सितंबर को अपने दोस्त भोमा सिंह के साथ बाइक पर अनूपपुर जा रहे थे, तभी एक वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी. आदिवासी व्यक्ति से मारपीट की इस घटना को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने नाराज़गी जताई और सत्तारूढ़ भाजपा पर ‘आदिवासी विरोधी’ होने का आरोप लगाया.
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद इस फैसले को मंज़ूरी दे दी है. वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग और भीड़ द्वारा हिंसा से निपटने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी करते हुए निर्देश दिया था कि राज्य सरकारें ‘लिंचिंग/भीड़ द्वारा हिंसा पीड़ित मुआवज़ा योजना’ तैयार करेंगी.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उनकी पार्टी प्रदेश में जाति आधारित जनगणना कराएगी और संत रविदास के नाम पर एक विश्वविद्यालय स्थापित करेगी.
कांग्रेस नेताओं- कमलनाथ, प्रियंका गांधी वाड्रा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सोशल मीडिया पर ठेकेदार संघ के एक कथित पत्र का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश सरकार पर '50% कमीशन वसूलने' का आरोप लगाया था. एक भाजपा कार्यकर्ता ने पत्र के 'फ़र्ज़ी' होने की बात कहते हुए नेताओं के ख़िलाफ़ केस दर्ज करवाया है.
मध्य प्रदेश के सीधी से भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला ने कहा कि आदिवासी पर पेशाब करने के आरोपी का घर उनकी पैतृक संपत्ति थी. इसे अधिकारियों द्वारा ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए था. चाहे आरोपी कोई भी हो, उसके परिवार को परेशानी नहीं उठानी चाहिए. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि आरोपी, विधायक केदारनाथ शुक्ला का प्रतिनिधि था.
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर ज़िले में 50 वर्ष से अधिक समय से वन क्षेत्र में रह रहे आदिवासी समुदाय के लोगों को वन अधिकार प्राप्त नहीं हैं. इससे भी बुरी स्थिति यह है कि वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण एवं सरकारी आदेशों की अवज्ञा करने का हवाला देते हुए उनके ख़िलाफ़ कई मामले दर्ज कर लिए हैं.
जाति, धर्म, पैसे व पहुंच के आधार पर बरते जा रहे भेदभाव नागरिकों के एक समूह को निरंतर अमर्यादित शक्ति से संपन्न और उद्दंड बनाते जा रहे हैं, जबकि दूसरे विशाल समुदाय को लगातार निर्बल, असमर्थ और सब कुछ सहने को अभिशप्त. यह दूसरा समुदाय बार-बार सरकारें बदलकर भी अपनी नियति नहीं बदल पा रहा है.
शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से किए गए पोस्ट में आरएसएस के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर को लेकर ग़लत टिप्पणियां की गई हैं. पोस्ट में कहा गया है कि गोलवलकर दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को समान अधिकार देने के ख़िलाफ़ थे.
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का मामला. पुलिस ने बताया कि भारी बारिश के कारण दो आदिवासी भाइयों की बाइक फिसल गई थी, जिससे पास के एक टाउनशिप के कुछ सुरक्षा गार्डों के साथ उनकी बहस हो गई. इसके बाद दोनों भाइयों को पकड़कर उनके साथ गाली-गलौच और बर्बरतापूर्वक मारपीट की गई.
मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले का मामला. पुलिस ने बताया कि एक 17 वर्षीय नाबालिग और तीन अन्य लोगों ने एक लड़ाई का बदला लेने के लिए 19 वर्षीय मुस्लिम युवक का अपहरण कर लिया था. इसके बाद चलती कार में उनकी चप्पल से पिटाई की गई और नाबालिग आरोपी का पैर चाटने को मजबूर किया गया.
शुक्ला और त्यागी के ख़िलाफ़ बुलडोज़र की मांग करने के पहले यह सोच लेना चाहिए कि यह मुसलमानों के ख़िलाफ़ फ़ौरी कार्रवाई का औचित्य बन जाएगा. अब खुलकर बुलडोज़र का इस्तेमाल होगा. सरकारें यह करके कह सकेंगी कि वे कोई भेदभाव नहीं करतीं.
घटना मध्य प्रदेश के छतरपुर की है. दलित समुदाय के एक युवक की बीते 28 जून को शादी थी, लेकिन उसे अपनी बारात में घोड़ी पर बैठने के लिए स्थानीय पुलिस की मदद के लिए आवेदन देना पड़ा था, जिसमें बारात में बाधा डालने की धमकियों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसमें सीधी के भाजपा विधायक का प्रतिनिधि एक आदिवासी युवक पर पेशाब कर रहा है. वीडियो को लेकर विवाद होने पर मुख्यमंत्री द्वारा आरोपी पर रासुका के तहत कार्रवाई के निर्देश देने के बाद उसे गिरफ़्तार किया गया है.
मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि सावरकर महान क्रांतिकारियों में से एक हैं. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया. दुर्भाग्य से कांग्रेस ने भारत के सच्चे क्रांतिकारियों के बारे में नहीं सिखाया. विदेशी क्रांतिकारियों को महान कहा गया, लेकिन हमारे अपने देशभक्त को नहीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर परिसर में करोड़ों की लागत से बने 'महाकाल लोक कॉरिडोर' के लोकार्पण के समय इसकी तुलना सैकड़ों साल पुराने दक्षिण भारतीय मंदिरों से की थी. विडंबना यह है कि इसी परिसर में लगी मूर्तियां लोकार्पण के महज़ सात महीने बाद आंधी में गिर गईं.