विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन के अगुवा रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की दूसरी सालगिरह यानी 26 नवंबर को पूरे देश में ‘राजभवन मार्च’ निकालने का आह्वान किया है. इस दौरान बिजली विधेयक के मसौदे को वापस लेना, किसानों और कृषि श्रमिकों को पूर्ण ऋण माफ़ी जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे.
सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सभी जन आंदोलनों और विपक्षी राजनीतिक दलों की ऊर्जा को किसान विरोधी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए जोड़ा जाए. इसके लिए वे किसान आंदोलन के अलावा अन्य आंदोलनों के संपर्क में हैं.
अडानी समूह ने 2020 में हिमाचल प्रदेश में प्रीमियम गुणवत्ता वाले सेब के लिए 88 रुपये प्रति किलोग्राम की खरीद दर पेशकश की थी, जिसे दो साल बाद घटाकर 76 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है. यही वजह है कि सेब उत्पादक खरीद क़ीमत में कम से कम 30 प्रतिशत की वृद्धि की मांग कर रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर अपने उन उद्योगपति दोस्तों की मदद करने के लिए एमएसपी पर क़ानून नहीं बनाने का आरोप लगाया, जो कम दरों पर किसानों से फसल ख़रीदते हैं और उच्च कीमतों पर प्रसंस्कृत उत्पाद बेचते हैं.
किसान यूनियनों ने अपनी मांगों के संबंध में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए यह महापंचायत बुलाई है, जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए क़ानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा की संलिप्तता को देखते हुए उनके पिता केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्ख़ास्त करने का मुद्दा शामिल है.
निरस्त हो चुके तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर समिति का गठन किया गया और न ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज फ़र्ज़ी मामले वापस लिए गए हैं.
केंद्र द्वारा रद्द कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि ट्विटर ने केंद्र सरकार के निर्देशों पर आंदोलन से जुड़े लगभग 12 अकाउंट बंद किए हैं. उन्होंने मांग की है कि ऐसे सभी ट्विटर अकाउंट जिन पर अलोकतांत्रिक और अनुचित रूप से रोक लगाई गई है, उन्हें बहाल किया जाए.
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जयपुर में जाट समाज के एक कार्यक्रम को में एमएसपी क़ानून लाने का समर्थन करते हुए कहा कि धरना ख़त्म हुआ है, आंदोलन नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल के बतौर उनके कार्यकाल के चार महीने बाकी हैं, जिसके बाद वे किसानों के लिए काम करेंगे.
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि किसानों ने केवल दिल्ली में अपना धरना समाप्त किया है, लेकिन तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ उनका आंदोलन अभी भी जीवित है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में जिस रफ़्तार से बेरोज़गारी और महंगाई बढ़ रही है उससे देश में संकट खड़ा होने वाला है.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा को ज़मानत मिलने पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि राजनीतिक रूप से शक्तिशाली आरोपी के गवाहों को प्रभावित करने की पक्की संभावना पर विचार किए बिना अदालत का ज़मानत देना बेहद निराशाजनक है.
कृषि क़ानूनों का विरोध करने वाले किसान संगठनों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि संगठन भाजपा के ख़िलाफ़ अपने ‘मिशन यूपी’ अभियान को फिर शुरू करेगा, क्योंकि मोदी सरकार ने उनमें से एक भी मांग पूरी नहीं की है, जिनको पूरा करने का आश्वासन देकर उन्होंने किसान आंदोलन ख़त्म कराया था.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनआईए महानिरीक्षक, चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और पंजाब के अतिरिक्त डीजीपी (सुरक्षा) को समिति का सदस्य नियुक्त करते हुए कहा कि सवालों को एकतरफा जांच पर नहीं छोड़ा जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे पर हुई कथित सुरक्षा चूक की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगा.
पंजाब में हुई कथित सुरक्षा चूक की जांच अवश्य होनी चाहिए, लेकिन यह प्रधानमंत्री के सुरक्षा प्रोटोकॉल में उल्लंघन की पहली घटना नहीं है. पूर्व एसपीजी अधिकारियों का कहना है कि आखिरी फैसला नरेंद्र मोदी ही लेते हैं और अक्सर सुरक्षा के तय कार्यक्रमों को अंगूठा दिखा देते हैं.
प्रधानमंत्री की ख़ासियत है कि जब-जब वे अप्रिय स्थिति में पड़ते हैं किसी न किसी तरह उनकी जान को ख़तरा पैदा हो जाता है. जब से वे मुख्यमंत्री हुए तब से अब तक कुछ समय के बाद उनकी हत्या की साज़िश की कहानी कही जाने लगती है. लोग गिरफ़्तार किए जाते हैं, पर कुछ साबित नहीं होता. फिर एक रोज़ नए ख़तरे की कहानी सामने आ जाती है.