यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अतीक़ अहमद और उनके भाई की हत्या में पुलिस की ग़लती नहीं

उत्तर प्रदेश सरकार ने विकास दुबे समेत पुलिस एनकाउंटर में हुईं मौतों और गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ की हत्या की जांच से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल कर कहा है कि वह इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. याचिका में सरकार के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे और अनुचित हैं.

इंटरव्यू में मूल दस्तावेज़ न पेश कर पाना रोज़गार से इनकार का आधार नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एक दलित महिला सहित तीन उम्मीदवारों को अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया है, जिन्हें इंटरव्यू के दौरान मूल दस्तावेज़ पेश नहीं कर पाने पर नौकरी देने से इनकार कर दिया गया था. अदालत ने 23 मई, 2022 के अपने एक पूर्व फैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि मूल दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है.

लखीमपुर हिंसा: आरोपी आशीष मिश्रा को बीमार मां और बेटी की देखभाल के लिए दिल्ली में रहने की अनुमति

केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा पर उन चार किसानों की हत्या का आरोप है, जो 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे. आरोप है कि आशीष मिश्रा से संबंधित और कथित तौर पर उनके द्वारा चलाए जा रहे एक वाहन ने प्रदर्शनकारी किसानों सहित अन्य को कुचल दिया था.

हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति और तबादलों से संबंधित 70 सिफ़ारिशें सरकार के पास लंबित: सुप्रीम कोर्ट

देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति में सरकार द्वारा की जा रही कथित देरी पर अवमानना की कार्यवाही की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1 नवंबर 2022 से कॉलेजियम द्वारा की गईं 70 सिफारिशें वर्तमान में सरकार के पास लंबित हैं. जब तक इनका समाधान नहीं हो जाता, हर 10 से 12 दिन में सुनवाई होगी.

मुज़फ़्फ़रनगर स्कूल केस: सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में विफल

मुज़फ़्फ़रनगर के निजी स्कूल में मुस्लिम छात्र को साथी छात्रों द्वारा पीटने के लिए कहने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए और सरकार को आरोपी अध्यापिका के ख़िलाफ़ दर्ज मामले की निगरानी के लिए फ़ौरन एक आईपीएस अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है.

मणिपुर: सुप्रीम कोर्ट की समिति ने लावारिस शवों की शिनाख़्त कर सम्मानपूर्वक निपटान की सलाह दी

मणिपुर में हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन शवों के परिजनों की पहचान करने के प्रयास करे जो 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से राज्य के मुर्दाघरों में लावारिस पड़े हुए हैं.

आपराधिक जांच के ख़राब स्तर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के लिए ‘जांच संहिता’ लाने को कहा

एक मामले में हत्या के आरोपियोंं को संदेह के लाभ के आधार पर बरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले की पुलिस जांच पर कई सवाल खड़े किए और कहा कि पुलिस की घटिया जांच के कारण उसके पास अपीलकर्ताओं को संदेह का लाभ देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार, उदयनिधि स्टालिन को नोटिस भेजा

बीते दिनों तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा आयोजित 'सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन' में उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया की तरह है, जिसे ख़त्म करने की ज़रूरत है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में टिप्पणियों और उक्त सम्मेलन की सीबीआई जांच की मांग की गई है.

अडानी-हिंडनबर्ग केस: याचिकाकर्ता का सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति पर हितों के टकराव का आरोप

अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह पर ‘स्टॉक हेरफेर और ऑडिट धोखाधड़ी’ के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति मई में अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप चुकी है. अब समिति सदस्यों पर हितों के टकराव के आरोप लगाते हुए इसके पुनर्गठन की मांग की गई है.

टीवी न्यूज़ चैनलों को बेहतर अनुशासन की ज़रूरत: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली एनबीडीए की याचिका सुन रही है, जिसमें टीवी चैनलों के स्व-नियमन के अप्रभावी होने के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैनलों के लिए स्व-नियामक तंत्र सख़्त होना चाहिए, साथ ही उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए. 

भारत में लोकतंत्र की गिरावट का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा

जो लोग यक़ीन करते हैं कि भारत अब भी एक लोकतंत्र है, उनको बीते कुछ महीनों में मणिपुर से लेकर मुज़फ़्फ़रनगर तक हुई घटनाओं पर नज़र डालनी चाहिए. चेतावनियों का वक़्त ख़त्म हो चुका है और हम अपने अवाम के एक हिस्से से उतने ही ख़ौफ़ज़दा हैं जितना अपने नेताओं से.

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