हिंदुत्व के ‘विचारधारात्मक पुरखों’ का स्याह अतीत: अंग्रेज़ों की हिमायत और मुस्लिम लीग का समर्थन

कांग्रेस का घोषणा पत्र सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे मुस्लिम लीग से जोड़ा था. क्या यह बेतुकी तुलना भाजपा की उस ग्रंथि को दर्शाती है जब आज़ादी से पहले जिन्ना की अगुआई वाली इसी लीग के साथ मिलकर उसके ‘विचारधारात्मक पुरखों’ ने गुल खिलाए थे!

क्या सनातन धर्म को पूरे हिंदू समुदाय से जोड़ा जा सकता है?

'सनातन धर्म' को लेकर हालिया विवाद में भाजपा के रवैये के विपरीत हिंदुत्व के सबसे प्रभावशाली विचारक विनायक दामोदर सावरकर ने शायद ही कभी 'सनातन धर्म' को पूरे हिंदू समुदाय से जोड़ा. 

अनंत विजय भले जो कहें, गीता प्रेस और गांधी के रिश्ते कटु थे

'कल्याण' के 1948 के अंक में महात्मा गांधी के गुज़रने पर कोई श्रद्धांजलि प्रकाशित न करने पर दैनिक जागरण के पत्रकार अनंत विजय के तर्क पर लेखक अक्षय मुकुल का जवाब.

मध्य प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में सावरकर की जीवनी पढ़ाई जाएगी: मुख्यमंत्री

मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि सावरकर महान क्रांतिकारियों में से एक हैं. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया. दुर्भाग्य से कांग्रेस ने भारत के सच्चे क्रांतिकारियों के बारे में नहीं सिखाया. विदेशी क्रांतिकारियों को महान कहा गया, लेकिन हमारे अपने देशभक्त को नहीं.

गांधी शांति पुरस्कार: ‘गीता प्रेस हमेशा आरएसएस-भाजपा के साथ खड़ी रही है’

वीडियो: बीते दिनों गोरखपुर की गीता प्रेस को केंद्र सरकार द्वारा गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी. कांग्रेस ने इसे 'सावरकर को पुरस्कृत करने जैसा बताया था. इस बारे में गीता प्रेस का वृहद इतिहास लिखने वाले लेखक अक्षय मुकुल से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार गांधी और पुरस्कार दोनों को कमतर करने की कोशिश है

आधुनिक भारत में हिंदू धर्म के संबंध में गांधी जो करने की कोशिश कर रहे थे, गीता प्रेस उसके ठीक उलट लड़ाई लड़ रही थी और लड़ रही है.

गोवा: वीडी सावरकर के पौत्र ने मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया

गोवा में आयोजित 'वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव' में वीडी सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने लोगों से ‘हिंदुओं के हितों को बढ़ावा देने वाली’ पार्टियों को वोट देने का आग्रह करते हुए मुस्लिम समुदाय के आर्थिक बहिष्कार करने और हिंदुओं से केवल ‘हिंदू-से-हिंदू’ व्यापार करने का आह्वान किया.

कर्नाटक: पाठ्यपुस्तक से हेडगेवार और सावरकर से जुड़े अध्याय हटाए गए

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा शासन में किए संशोधनों को ‘पाठ्यक्रम के भगवाकरण’ को सुधारने का प्रयास बताते हुए स्कूलों में कक्षा 6 से 10 तक कन्नड और सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन को मंज़ूरी दी है. सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून में पारित संशोधनों को भी रद्द करने की योजना पर काम कर रही है.

सावरकर ने दया की अपील नहीं की थी, भीख मांगी थी: निरंजन टाकले

वीडियो: वीडी सावरकर भारतीय इतिहास में बहस और विवाद का विषय रहे हैं. कुछ उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं, तो कुछ अन्य उन्हें संदेह की दृष्टि से देखते हैं. पत्रकार निरंजन टाकले ने सावरकर पर अध्ययन किया है और उनका मानना है कि सावरकर की आलोचना करना ही देशहित में है.

नेताजी के पौत्र का सावरकर पर तंज़, कहा- अंग्रेज़ों से दया चाहने वाले का म्यूज़ियम क्यों होना चाहिए

बीते दिनों संस्कृति मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर देश में कोई संग्रहालय नहीं है. इस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र चंद्र कुमार बोस ने कहा कि क्या ब्रिटिश सरकार से दया की गुहार लगाने वाला शख़्स किसी सम्मान या संग्रहालय का हक़दार है.

‘जिस बर्बर ने किया तुम्हारा ख़ून पिता… वह नहीं मूर्ख या पागल, वह प्रहरी है स्थिर-स्वार्थों का’

गांधी की हत्या पर नागार्जुन की लिखी कविता 'तर्पण' में गोडसे को जिन्होंने तैयार किया था, वे कवि की निगाह से छिप नहीं सके. गोडसे अकेला न था. वह उन स्वार्थों का प्रहरी था जिन्हें गांधी की राजनीति से ख़तरा था. वे कौन-से स्थिर स्वार्थ थे जो गांधी को रास्ते से हटाना चाहते थे?

कर्नाटक विधानसभा में सावरकर की तस्वीर लगाए जाने पर हंगामा

भाजपा शासित कर्नाटक विधानसभा में कई महापुरुषों की तस्वीरों के साथ हिंदुत्ववादी विचारक वीडी सावरकर की तस्वीर लगाई गई है, जिसके विरोध में विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने कहा कि सावरकर न तो कर्नाटक से संबंधित हैं और न ही भारतीय राजनीति से. वह एक विवादास्पद शख़्सियत हैं.

सावरकर पर हमारी चर्चाओं को अतीत में अटके न रहकर वर्तमान में आगे बढ़ना होगा

'माफ़ीवीर' कहकर सावरकर की खिल्ली उड़ाने की जगह सावरकरवाद के आशय पर बात करना हमारे लिए आवश्यक है. अगर वह कामयाब हुआ तो हम सब चुनाव के ज़रिये राजा चुनते रहेंगे और आज्ञाकारी प्रजा की तरह उसका हर आदेश मानना होगा.

बिखराव के बीज बोते हुए सद्भाव का खेल खेलते रहने में संघ को महारत हासिल है

संघ की स्वतंत्रतापूर्व भूमिकाओं की याद दिलाते रहना पर्याप्त नहीं है- उसके उन कृत्यों की पोल खोलना भी ज़रूरी है, जो उसने तथाकथित प्राचीन हिंदू गौरव के नाम पर आज़ादी के साझा संघर्ष से अर्जित और संविधान द्वारा अंगीकृत समता, बहुलता व बंधुत्व के मूल्यों को अपने कुटिल मंसूबे से बदलने के लिए बीते 75 वर्षों में किए हैं.

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