यूएन की फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना और वरिष्ठ नेताओं पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि हसीना के सत्ता से हटने के बाद बने राजनीतिक शून्य ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा को बढ़ावा दिया, हालांकि इसके धार्मिक, जातीय और राजनीतिक कारण भी थे.
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केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ का लाइसेंस रद्द करने की वजह से बीते 31 जनवरी को इसका प्रसारण बंद हो गया था. इसके ख़िलाफ़ चैनल के प्रबंधन ने हाईकोर्ट का रुख़ किया था. चैनल माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड के स्वामित्व में है और इसके कई निवेशक कथित तौर पर जमात-ए-इस्लामी की केरल इकाई के सदस्य हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद में भाषण देते हुए महाराष्ट्र और दिल्ली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा था कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने प्रवासियों को पलायन के लिए उकसाया था, जिससे कोरोना संक्रमण फैला.
इज़रायल के एक समाचार पत्र ‘कैलकलिस्ट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि स्पायवेयर का इस्तेमाल पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बेटे एवनर, दो संचार सलाहकारों और मामले में एक अन्य प्रतिवादी की पत्नी के ख़िलाफ़ किया गया. वे लोग उन कई प्रमुख हस्तियों में शामिल हैं, जिन्हें स्पायवेयर के ज़रिये निशाना बनाया गया. उनमें प्रमुख कारोबारी, कैबिनेट मंत्रालयों के पूर्व निदेशक, मेयर और प्रदर्शन के आयोजक शामिल थे.
सोशल मीडिया पर केएफसी के पाकिस्तान स्थित फ्रेंचाइज़ी की अकाउंट से एक संदेश पोस्ट किया गया था, जिसमें कथित तौर पर कश्मीर के अलगाववादियों का समर्थन किया गया था. विवाद के बाद केएफसी इंडिया ने एक बयान में कहा कि हम भारत का सम्मान करते हैं और सभी भारतीयों की सेवा करने के अपने संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध हैं.
पाकिस्तान हर साल पांच फरवरी को ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ मनाता है. हुंडई की पाकिस्तान इकाई ने ट्विटर हैंडल से इसका समर्थन किया था, जिसके बाद हुंडई इंडिया को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. सोमवार को कई ट्विटर यूज़र्स हुंडई का बहिष्कार कर मारुति या टाटा से वाहन खरीदने की बात कहते नज़र आए.
बीते जनवरी माह में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर कथित रूप से ‘ग़ैरक़ानूनी और भ्रामक’ फतवा प्रकाशित करने के मामले की जांच करने को कहा था, जिसके बाद सहारनपुर के ज़िलाधिकारी ने वेबसाइट तक पहुंच पर रोक लगा दी है.
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