यह साल चुनावों का साल रहा, लेकिन चुनावी रैलियों से मणिपुर की हिंसा गायब रही. बस्तर में मुठभेड़ होते रहे लेकिन दिल्ली बैठी आवाज़ें ख़ामोश रहीं. अन्य देशों में भी यह साल युद्ध के दलदल में फंसा रहा. युद्ध पीड़ितों को खाना देने वाले संस्थाओं तक पर इस्रायल ने हमला किया.
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राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा यथास्थिति बरक़रार रखने के आदेश का मतलब है कि अब विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले पाएंगे. इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि उनके पास बहुमत है और इस बात पर उनके विरोधियों को भी संदेह नहीं है. विधानसभा सत्र बुलाने के लिए उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात भी की.
आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले का आरोप है कि महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जिस एजेंसी को चुनाव आयोग के सोशल मीडिया प्रचार का ज़िम्मा सौंपा था, वह भाजपा की युवा इकाई के आईटी सेल के संयोजक देवांग दवे की है.
बीते दिनों मणिपुर में नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर ब्यूरो की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थोउनाओजम बृंदा ने कहा था कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और राज्य में भाजपा के एक शीर्ष नेता द्वारा उन पर ड्रग्स तस्करी में गिरफ़्तार शख़्स पर लगे आरोप हटाने का दबाव डाला गया था.
राज्य सरकार के इस क़दम से नाखुश गुजरात के लगभग 15,000 स्व-वित्तपोषित स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने ऑनलाइन कक्षाएं रोकने का फैसला किया है.
मध्य प्रदेश के निवाड़ी ज़िले के पुतरीखेरा गांव का मामला. पुलिस ने हत्या की वजह ज़मीन का विवाद बताया है. 21 जुलाई को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में भी एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
घटना बेंगलुरु के डोम्लूर में हुई, जहां एक घरेलू सहायिका के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद दो फ्लैट्स के दरवाजे को बेंगलुरु महानगरपालिका ने टीन की शीट लगाकर सील कर दिया. तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने पर हुई आलोचना के बाद इन्हें हटाया गया.