तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में घरेलू उपकरण निर्माता कंपनी सैमसंग के एक संयंत्र में 1,723 स्थायी कर्मचारियों समेत क़रीब 5,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से लगभग 1,350 स्थायी कर्मचारी यूनियन गठित करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर बीते 9 सितंबर से हड़ताल पर हैं.
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सरकार से पुष्टि के बाद कोरोना वायरस से संबंधित ख़बरें मीडिया द्वारा चलाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अलग-अलग मायने निकले जा सकते हैं. हो सकता है कि केंद्र इसे मीडिया सेंसरशिप के लिए इस्तेमाल करने लगे या मीडिया सेल्फ सेंसरशिप करने लगे. अगर ऐसा होता है तो यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए गंभीर ख़तरा होगा.
इन दिनों कहा जा रहा है- हाथ धोएं, घरों तक सीमित रहें, सामाजिक दूरी बनाए रखें. यह सारे कदम ज़रूरी हैं, मगर सरकार की अपनी ज़िम्मेदारी का क्या? मिसाल के तौर पर अगर स्वास्थ्य प्रणाली मज़बूत नहीं रखी तो फिर तमाम ध्यान रखने के बावजूद जिन्हें संक्रमण हो जाएं उनके बड़े हिस्से के लिए मरने के अलावा कोई चारा नहीं है.
द वायर के संस्थापक संपादकों ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि यूपी पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर जायज़ अभिव्यक्ति और तथ्यात्मक जानकारी पर हमला करने की कोशिश है.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिकाओं में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों, नर्सों और सहयोगी कर्मचारियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
देश के वैज्ञानिकों के समूह का कहना है कि कोरोना के मद्देनज़र राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन योजना बनाकर प्रत्येक प्रांत में लागू की जानी चाहिए, जिससे कोविड-19 का परीक्षण हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी के लक्षणों की जांच के लिए स्वास्थ्यकर्मियों का भी परीक्षण किए जाने की भी ज़रूरत है.
बीते मंगलवार को केंद्र सरकार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया से कहा था कि वह सरकार से पुष्टि के बाद ही कोरोना वायरस से संबंधित खबरें चलाए.