विदेश मंत्रालय ने पिछले एक दशक से दुभाषिया कैडर में कोई नई भर्ती नहीं की और अब इसे समाप्त करने का निर्णय लिया है. मंत्रालय का मानना है कि मौजूदा दुभाषिये केवल अनुवाद कर रहे थे, जबकि प्रभावी व्याख्या एक विशिष्ट कौशल है.