पुस्तक अंश: आज जनतंत्र के आवरण में जो कुछ हो रहा है, वह केवल सत्ता के लिए नहीं है, वह नागरिकों के जीवन के हर पहलू पर राज्य के नियंत्रण के लिए है. राज्य यह तय कर रहा है कि आपको क्या खाना है, क्या पहनना है, क्या पढ़ना-लिखना है, किस देवता की उपासना करनी है, आप किससे प्यार कर सकते हैं, किससे शादी कर सकते हैं. यह तानाशाही से भी आगे की अवस्था है.