एक जनहित याचिका में कहा गया था कि रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों को स्कूल में प्रवेश देने से इनकार करना भारतीय संविधान और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में उल्लिखित शिक्षा के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. हालांकि, अदालत ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए याचिका रद्द कर दी.