इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जान की सुरक्षा की मांग करने वाले आठ हिंदू-मुस्लिम जोड़ों द्वारा दायर याचिकाओं को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया है कि उनकी शादियां उत्तर प्रदेश ग़ैरक़ानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम के अनुपालन में नहीं थीं. याचिकाकर्ता पांच मुस्लिम पुरुषों ने हिंदू महिलाओं और तीन हिंदू पुरुषों ने मुस्लिम महिलाओं से शादी की थी.
ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि संस्था एएसआई सर्वे रिपोर्ट का अध्ययन कर विशेषज्ञों से परामर्श करेगी और फिर अगले कदम पर कोई फैसला लेगी.
यह पता लगाने के लिए कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद किसी मंदिर पर किया गया था, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मस्जिद का अदालत के निर्देश पर सर्वेक्षण किया है. हिंदू पक्ष ने एक याचिका में यहां मंदिर होने दावा किया था. उन्होंने मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी की पूजा के लिए प्रवेश की मांग की है.
अयोध्या में बीते 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जेएस खेहर, पूर्व सीजेआई जस्टिस वीएन खरे, पूर्व सीजेआई एनवी रमना और पूर्व सीजेआई यूयू ललित शामिल हुए. इसके अलावा जस्टिस (सेवानिवृत्त) अरुण मिश्रा समेत एक दर्जन से अधिक पूर्व न्यायाधीश भी मौजूद थे.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार और राज्य बार काउंसिल को निर्देश दिया है कि जिस व्यक्ति के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हैं, उसे प्रैक्टिस का लाइसेंस न मिले. यह आदेश एक शिकायत पर आया, जहां आरोप है कि 14 मामलों में नामजद और चार मामलों में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को वकालत का लाइसेंस मिला है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन दाह संस्कार स्थलों पर बुनियादी ढांचे का विकास कछुआ गति से किया जा रहा है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आम लोग उचित सुविधाएं पाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते हैं और अंतिम सांस के बाद भी उचित दाह संस्कार की सुविधा पाने से वंचित रह जाते हैं.
ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिकाएं ख़ारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की मस्जिद परिसर में मंदिर बहाली की याचिकाएं उपासना स्थल क़ानून के आधार पर ख़ारिज नहीं की जा सकतीं. हालांकि, एक सच यह है कि उपासना स्थल अधिनियम इसी तरह के मामलों से बचने के लिए लाया गया था.
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बीते 21 जुलाई को वाराणसी की एक अदालत ने यह पता लगाने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था कि क्या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद एक मंदिर की संरचना पर किया गया था. रिपोर्ट सौंपने के लिए एएसआई को आठ बार समय विस्तार दिया गया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते गुरुवार को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की मांग करने वाली एक याचिका को मंज़ूरी दे दी थी, जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. हिंदू याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली ‘कृष्ण जन्मस्थान’ पर बनाई गई थी.
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मैरिटल रेप: हाईकोर्ट ने कहा- पुरुष पर आरोप नहीं लगाया जा सकता, जहां पत्नी की उम्र 18 वर्ष या अधिक हो
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पति को अपनी पत्नी के साथ कथित तौर पर ‘अप्राकृतिक यौन संबंध’ बनाने के आरोप में आईपीसी की धारा 377 के तहत बरी करते हुए यह टिप्पणी की. हालांकि अदालत ने आरोपी के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 498ए (दहेज के लिए उत्पीड़न) और 323 के तहत आरोपों में उसकी दोषसिद्धि और सज़ा की पुष्टि की है.
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दलील दी है कि उन अभिनेताओं और गणमान्य व्यक्तियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्हें उच्चस्तरीय पुरस्कार दिए गए हैं, लेकिन वे गुटखा कंपनियों के लिए विज्ञापन कर रहे हैं. अभिनेता अक्षय कुमार, अजय देवगन और शाहरुख़ ख़ान एक गुटका कंपनी के विज्ञापन में प्रमुखता से नज़र आते हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संसद और विधायकों के ख़िलाफ़ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटान से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रधान ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश इन विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुविधा सुनिश्चित करेंगे और इन्हें ऐसी तकनीक अपनाने के लिए भी सक्षम बनाएंगे, जो प्रभावी कामकाज के लिए व्यवहारिक हो.