जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा शहरी डिपार्टमेंटल स्टोर में बीयर बिक्री को मंज़ूरी देने पर विवाद

शहरी क्षेत्रों में बीयर और रेडी-टू-ड्रिंक पेय बेचने के लिए विभिन्न डिपार्टमेंटल स्टोर को अधिकृत करने के जम्मू कश्मीर प्रशासन के फैसले का ज़िक्र करते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि यह मुसलमानों की भावनाएं आहत करने के लिए किया गया है. भाजपा और कांग्रेस ने भी इस क़दम की आलोचना की है.

गृह मंत्री कश्मीर में हालात सामान्य होने का ढोल पीटते घूम रहे हैं, मैं नजरबंद हूं: महबूबा मुफ़्ती

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि एक शादी में पट्टन जाना चाहती थीं, इसलिए उन्हें नज़रबंद किया गया. उन्होंने जोड़ा कि यदि पूर्व मुख्यमंत्री के मौलिक अधिकारों को इतनी आसानी से निलंबित किया जा सकता है, तो आम लोगों की पीड़ा के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता. पुलिस के उनके दावे का खंडन पर उन्होंने कहा कि पुलिस झूठ बोल रही है.

भाजपा राजनीतिक उद्देश्य के लिए कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को इस्तेमाल कर रही है: महबूबा मुफ़्ती

कश्मीरी प्रवासी कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश आज ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां पर लोगों के पास न तो कोई अधिकार है और न ही उनकी शिकायतों को उठाने के लिए कोई मंच.

हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए तीसरे नागरिक का शव क़ब्र से निकालने की याचिका कोर्ट ने ख़ारिज की

नवंबर 2021 में श्रीनगर के हैदरपोरा में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से एक आमिर लतीफ़ माग्रे भी थे. मुठभेड़ की प्रमाणिकता को लेकर जनाक्रोश के कुछ दिन बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दो मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंपे थे, जिसके बाद माग्रे के परिवार ने भी उनका शव सौंपे जाने की मांग की थी.

जम्मू कश्मीर: ‘ऋग्वेद में मांसाहार खाने की बात लिखी है’ कहने पर सरकारी अधिकारी निलंबित

राजौरी ज़िले में सहायक आयुक्त स्तर के एक अधिकारी ने सहकर्मियों के साथ खाना खाते हुए पूछा था कि जब ऋग्वेद में मांसाहार की अनुमति दी गई है तो वो इससे असहमत क्यों हैं. इसे लेकर एक सहकर्मी ने उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई. ज़िला प्रशासन का कहना है कि इस बयान से क़ानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती थी.

जम्मू कश्मीर सरकार ने हिज़्बुल प्रमुख के बेटे सहित चार कर्मचारियों को बर्ख़ास्त किया

बर्ख़ास्त कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी असबाह-उल-अर्ज़मंद ख़ान भी शामिल हैं, जो टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद फ़ारूक़ अहमद डार की पत्नी हैं. चारों कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्ख़ास्त किया गया है, जिसमें सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारी को निष्कासित करने की शक्ति प्राप्त है.

हैदरपोरा एनकांउटर में मृत तीसरे नागरिक के शव निकालने की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बीते 27 मई को अधिकारियों से मोहम्मद लतीफ़ माग्रे की मौजूदगी में हैदरपोरा एनकाउंटर में मृत उनके बेटे आमिर के अवशेषों को निकालने का आदेश दिया था. हालांकि छह जून को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी थी. आमिर उन चार लोगों में से एक थे, जो नवंबर 2021 को श्रीनगर के हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. इनमें से दो लोगों के शव विरोध के बाद उनके परिजनों

कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का घाटी से स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन जारी

कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर बुधवार को जम्मू में राहत और पुनर्वास आयुक्त के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने कहा कि हमारे ख़ून, बच्चों को अनाथ होने और पत्नियों को विधवा करने की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. एकमात्र समाधान घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरित करना है.

सरकार ने मांग न मानी तो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से अपील करेंगे: कश्मीरी पंडित

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों समेत अल्पसंख्यक समुदाय के ग़ैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के विरोध में लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रधानमंत्री पैकेज के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी घाटी से कहीं और बसाए जाने की मांग कर रहे हैं.

कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से बाहर स्थानांतरित करने की मांग दोहराई

ऑल माइग्रेंट्स एम्प्लॉइज़ एसोसिएशन कश्मीर के बैनर तले सैकड़ों महिला एवं पुरुष कर्मचारी जम्मू स्थित प्रेस क्लब के बाहर जमा हुए. उन्होंने तख्तियां पकड़ी हुई थीं जिन पर लिखा था, ‘हमारे ख़ून की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. हमारे बच्चे अनाथ हो रहे हैं. हमारी पत्नियां विधवा हो रही हैं. और सिर्फ एक ही समाधन है, घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरण.’

जम्मू कश्मीर: तबादले की मांग को लेकर डोगरा और कश्मीरी पंडितों कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी

घाटी में निशाना बनाकर की जा रही हालिया हत्याओं के मद्देनज़र कश्मीर में तैनात डोगरा और कश्मीरी पंडित दोनों समुदायों के कर्मचारियों का तबादला किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि घाटी में सुरक्षा स्थिति सुधरने तक उन्हें अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर देना चाहिए.

कश्मीरी पंडितों को घर छोड़ने को मजबूर किया जा रहा, भाजपा से कश्मीर नहीं संभल रहा: केजरीवाल

जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लगातार हो रही हत्या के विरोध में विभिन्न दलों ने भाजपा नीत केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि घाटी के राजनीतिक दलों को इन हत्याओं के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है. जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ़ बुख़ारी ने कहा कि अगर इन हत्याओं को बंद नहीं किया गया तो यह शर्म की बात होगी. शिवसेना नेता संजय राउत ने

कश्मीर में तैनात डोगरा कर्मचारियों ने जम्मू में किया प्रदर्शन, घाटी में काम पर जाने से इनकार

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले में बीते 31 मई को एक सरकारी स्कूल में आतंकवादियों द्वारा शिक्षक रजनी बाला की हत्या किए जाने के बाद कश्मीर में कार्यरत अधिकतर डोगरा कर्मचारी जम्मू लौट आए हैं. कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें कश्मीर घाटी से स्थानांतरित कर जम्मू क्षेत्र के उनके गृह जिलों में तैनात किया जाए. इस बीच भाजपा ने रविवार को डोगरा और कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे घाटी छोड़कर न जाएं.

अल्पसंख्यकों को सुरक्षित स्थान पर भेजने की मांग लेकर कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति कोर्ट पहुंची

जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या की बढ़ती घटनाओं के मद्देनज़र कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का सरकार को निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. समिति का कहना है कि कश्मीर में रहने वाले हिंदू घाटी छोड़ना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें ऐसा करने नहीं दे रही है.

जम्मू कश्मीर: नागरिकों की हत्याओं के बीच कश्मीरी पंडितों में डर, कई परिवारों ने घाटी छोड़ी

कश्मीर घाटी में लगातार आतंकवादियों द्वारा नागरिकों और ग़ैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं. ख़बरों के अनुसार, कश्मीर में उनके कई रिहायशी शिविरों में उन्हें प्रशासन द्वारा जबरन रोका जा रहा है.

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