ज़ी न्यूज़ के डीएनए कार्यक्रम में राहुल गांधी के ग़लत वीडियो पर कांग्रेस की आपत्ति के बाद ज़ी न्यूज़ ने तुरंत ही माफ़ी मांगी और इसे मानवीय भूल बताया. फिर ज़ी न्यूज़ ने पुलिस शिकायत क्यों दर्ज कराई कि वीडियो का मामला मानवीय भूल से आगे का है और पुलिस जांच करे? क्या माफ़ी मांगने से पहले जांच नहीं हुई होगी?
तीस्ता का मानना है कि उनकी चुनौती दंड से मुक्ति की संस्कृति से लड़ना है. यही वो वजह है जो उन्हें प्रेरित करती है.
साक्षात्कार: हाल ही में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा की वेबसाइट रैपलर को वहां की सरकार ने बंद करने का आदेश दिया है. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से बातचीत में मारिया ने कहा कि पत्रकारों को लोगों को यह बताने की ज़रूरत है कि अगर वे आज अपने अधिकारों के लिए नहीं लड़ते हैं, तो वे इन्हें हमेशा के लिए गंवा देंगे.
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक मीडिया संस्थान के ख़िलाफ़ दर्ज मानहानि के मुक़दमे की सुनवाई में कहा कि एफआईआर पर आधारित ख़बर पर मानहानि की शिकायत दर्ज कराना रिपोर्टर को चुप कराने और आरोपियों के ख़िलाफ़ छपी ख़बर को जबरन वापस लेने का प्रयास करवाने के अलावा और कुछ नहीं है.
द कारवां पत्रिका से जुड़े मल्टीमीडिया पत्रकार शाहिद तांत्रे ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि कश्मीर के घटनाक्रम पर लिखने के कारण जम्मू कश्मीर पुलिस उन्हें और उनके परिवार को धमका रही है. प्रेस क्लब ने केंद्र और सूबे के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और पत्रकारों को निशाना बनाकर प्रताड़ित करने से रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है.
इस वक़्त गोदी जगत को नए कुमार की ज़रूरत है और अक्षय कुमार से बड़ा कुमार सूझ नहीं रहा है. काम वही करना होगा लेकिन नया चेहरा करेगा तो चेंज लगेगा. वो पत्रकार बनकर आएंगे तो एक ही शो को हर चैनल पर एक साथ चलवाया जाएगा. सीज़न भी आम का है, जितना आम मांगेंगे, उतना खिलवाया जाएगा.
घटना बेगूसराय ज़िले के बखरी थानाक्षेत्र की है, जहां 20 मई की रात एक वैवाहिक आयोजन से लौट रहे 26 साल के पत्रकार सुभाष कुमार महतो को गोली मार दी गई. उनके परिजनों और दोस्तों का कहना है कि इसकी वजह शराब और बालू माफिया को लेकर की गई रिपोर्टिंग है. वहीं, पुलिस ने इस बात से इनकार किया है.
भारत का लोकतंत्र दिनदहाड़े दम तोड़ रहा है. प्रेस को घेरा जा रहा है, लेकिन उसे अडिग होकर खड़े होने के तरीके तलाशने होंगे.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मीडिया घरानों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक अशांति की रिपेार्टिंग करते समय अत्यधिक संयम बरतने तथा ध्रुवीकरण के बड़े खेल में मोहरा न बनने की अपील की है. गिल्ड ने कहा कि तथ्यों, संदर्भ को पूरी तरह समझे बिना किसी निष्कर्ष न पहुंचे क्योंकि इसके दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं.
बंद का आह्वान संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने किया था. इसे व्यापारी, वकील और अन्य संगठनों का भी समर्थन मिला. बता दें कि यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का अंग्रेजी का पेपर 30 मार्च को लीक हो गया था. इस आरोप में पुलिस ने बलिया के तीन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया है. स्थानीय पत्रकार संघों का आरोप है कि पत्रकारों को पेपर लीक होने की ख़बर करने के चलते फंसाया गया.
इंडिया राइटर्स नामक वेबसाइट और मैगज़ीन के संपादक नीलेश शर्मा को एक कांग्रेस नेता की शिकायत पर गिरफ़्तार किया गयाथा. इन नेता का आरोप था कि शर्मा अपने कॉलम में भूपेश बघेल सरकार के ख़िलाफ़ व्यंग्यात्मक लेख लिखते हैं. अब पुलिस ने उनके फोन से अश्लील सामग्री मिलने का दावा करते हुए उन पर वेश्यावृत्ति में शामिल होने का मामला दर्ज किया है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पत्रकारों के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज करने और उन्हें उनका काम करने के लिए गिरफ़्तार करने समेत कई घटनाओं से मीडियाकर्मियों पर हतोत्साहित करने वाला प्रभाव पड़ता है, जिससे वे ज़रूरत से ज़्यादा सावधान होकर काम करने लगते हैं.
स्मृति शेष: इब्राहीम अश्क फ़िल्मी गीतकारों से बहुत अलग थे और साहित्य की हर करवट पर नज़र रखते थे. फ़िल्मी और पेशेवर शायर कहकर उनके क़द को अक्सर ‘कमतर’ बताया गया. शायद इसलिए भी अश्क ने अपनी कई आलोचनात्मक तहरीरों में कथित साहित्यकारों की ख़ूब ख़बर ली.
पत्रकार सज्जाद गुल को मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जन सुरक्षा क़ानून के तहत लगे आरोपों में कहा गया है कि वे हमेशा राष्ट्र-विरोधी ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और सूबे की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं.
पत्रकार सज्जाद गुल को मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जन सुरक्षा क़ानून के तहत लगे आरोपों में कहा गया है कि सज्जाद हमेशा राष्ट्र-विरोधी ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और केंद्रशासित जम्मू कश्मीर की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं. वह लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए बिना तथ्यात्मक जांच के ट्वीट करते हैं.