गुजरात के मोरबी ज़िले के श्री सोखड़ा प्राइमरी स्कूल का मामला. स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि इस मुद्दे पर स्कूल के अधिकारियों की छात्रों के माता-पिता के साथ दो बैठकें हुई थीं. हालांकि माता-पिता ने अपना रुख बदलने से इनकार कर दिया.
स्कूली बच्चों के लिए मिड-डे मील के मेन्यू से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने और डेयरी फार्म बंद करने संबंधी लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी करके स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करने के लिए कहा है.
उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर ज़िले के रहने वाले पत्रकार पवन जायसवाल मुंह के कैंसर से पीड़ित थे. अगस्त 2019 में ज़िले के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में बच्चों को ‘नमक-रोटी’ परोसे जाने का मामला उजागर करने के बाद वह चर्चा में आए थे. हालांकि इस ख़बर को सामने लाने के बाद ज़िला प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ ही एफ़आईआर दर्ज करा दी थी.
शीर्ष न्यायालय स्कूली बच्चों के लिए मिड-डे मील के मेन्यू से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने और डेयरी फार्म बंद करने संबंधी लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि 23 जून 2021 को केरल हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश जारी रहेगा. शीर्ष अदालत ने भारत संघ और लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को नोटिस भी जारी किया है.
लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह सच है कि हमारे बच्चों के परिवारों की आजीविका को बहुत बुरे संकट का सामना करना पड़ा है. लेकिन अब जैसे-जैसे बच्चे स्कूलों में वापस आ रहे हैं, उन्हें और भी बेहतर पोषण की आवश्यकता है. यही नहीं, मिड-डे मील से उन बच्चों को वापस स्कूल लाने में भी मदद मिलेगी, जो महामारी के दौरान स्कूल छोड़ चुके हैं.
आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच ने कहा कि आम बजट में जनजातीय समुदाय की अनदेखी करते हुए उसके लिए कुल बजट की 8.6 प्रतिशत राशि के बजाय केवल 2.26 प्रतिशत राशि आवंटित की गई है.
राइट टू एजुकेशन फोरम का कहना है कि बजट के आधे-अधूरे और अदूरदर्शी प्रावधान बताते हैं कि सरकार स्कूली शिक्षा को लेकर बिल्कुल संजीदा नहीं है. डिजिटल लर्निंग और ई-विद्या संबंधी प्रस्ताव निराशाजनक हैं, जिनसे वंचित वर्गों समेत अस्सी फीसदी बच्चों के स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर होने का ख़तरा मंडरा रहा है.
चंपावत ज़िले के एक सरकारी स्कूल की दलित रसोइए द्वारा बनाए मध्याह्न भोजन को कथित उच्च जाति के छात्रों के खाने से इनकार के बाद उन्हें काम से हटा दिया गया था. मुख्य शिक्षा अधिकारी ने बताया कि उन्हें नियुक्ति में सही प्रक्रिया का पालन न होने के चलते हटाया गया था. अब उचित प्रक्रिया के बाद उन्हें बहाल कर दिया गया है.
चंपावत ज़िले के सुखीढांग के एक सरकारी स्कूल की दलित रसोइए द्वारा बनाए गए मध्याह्न भोजन को कथित उच्च जाति के छात्रों द्वारा खाने से इनकार के बाद महिला को काम से हटा दिया गया था. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने महिला को हटाने की वजह नियुक्ति में प्रक्रियागत चूक को बताया था.
घटना चंपावत ज़िले के सुखीढांग के एक सरकारी स्कूल की है, जहां 66 छात्रों में से 40 ने इस महीने की शुरुआत में नियुक्त एक दलित महिला द्वारा तैयार खाना खाने से मना कर दिया था. काम से हटाए जाने के बाद महिला ने उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराते हुए आपत्ति जताने वाले छात्रों के माता-पिता के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है.
आठ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में इन कर्मचारियों को साल 2009 से ही महज 1,000 रुपये प्रति माह वेतन मिल रहा है, जबकि कई संसदीय समितियों ने वर्षों से इसमें बढ़ोतरी की सिफ़ारिश की है.
वीडियो: नरेंद्र मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी, लेकिन कोरोना वायरस के दौरान उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के अजगैन गांव के एक स्कूल में ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा का लाभ बच्चे नहीं उठा सके. यह स्कूल राज्य की राजधानी लखनऊ से महज 47 किमी. दूर है, जहां किसी भी बच्चे के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट नहीं है. इतना ही नहीं मिड-डे मील बनाने वाली महिला को पिछले साल जून से वेतन नहीं मिला है.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि यह योजना पांच वर्षों 2021-22 से 2025-26 तक के लिए है, जिस पर 1.31 लाख करोड़ रुपये ख़र्च आएगा. इसमें प्री-स्कूल से लेकर प्राथमिक विद्यालय के स्तर के विद्यार्थियों को कवर किया जाएगा.
घटना बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के गृह ज़िले कटिहार की है, जहां के सरकारी शिक्षक मोहम्मद तमीजुद्दीन एक वायरल वीडियो में मिडडे मील की बोरियां बेचते दिखते हैं. उनका कहना है कि एक सरकारी आदेश के बाद उन्हें ऐसा करना पड़ा था.
कर्नाटक में मिड-डे मील योजना के लगभग 40 लाख लाभार्थी बच्चों में से क़रीब 10 प्रतिशत को अक्षय-पात्र फाउंडेशन नाम की संस्था भोजन मुहैया कराती है. हाल ही में इस संस्था में धांधली के आरोप लगे हैं. साथ ही यह संस्था अंडे जैसे पौष्टिक आहार को भी इस योजना से जोड़ने के ख़िलाफ़ रही है.