एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ़्तार 34 वर्षीय ज्योति जगताप द्वारा दायर अपील को बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि एनआईए का मामला प्रथमदृष्टया सच है. अपील में विशेष एनआईए अदालत के फरवरी 2022 में जारी एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें जगताप समेत मामले के तीन आरोपियों को ज़मानत देने से इनकार किया गया था.
खालिस्तान के अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के भारतीय अनुरोध को ख़ारिज करते हुए इंटरपोल ने कहा कि जिस यूएपीए के तहत नोटिस जारी करने के लिए कहा गया, उस क़ानून की आलोचना अल्पसंख्यक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ दुरुपयोग किए जाने को लेकर होती रही है.
दिवंगत हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद एवं कश्मीरी अलगाववादी नेता अल्ताफ़ अहमद शाह को छह अन्य लोगों के साथ आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में 2017 में गिरफ़्तार किया गया था. तब से वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद थे.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ का एक अध्ययन बताता है कि वर्ष 2009 से 2022 के बीच एनआईए ने यूएपीए के कुल 357 मामले दर्ज किए. इनमें से 238 मामलों की जांच में पाया गया कि 36 फीसदी में आतंकवाद की कुछ घटनाएं हुई थीं, पर 64 फीसदी मामलों में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं हुई जिनमें हथियार शामिल थे.
2016 में इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के एक कर्मचारी को एनआईए ने आईएसआईएस में युवाओं को भर्ती के लिए प्रेरित करने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. एनआईए कोर्ट ने उन्हें बरी करते हुए कहा कि केवल दावा सबूत का स्थान नहीं ले सकता.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के वकील ने अदालत को बताया कि वे कैंसर से जूझ रहे हैं और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत है. इसके अलावा वे दांत और त्वचा संबंधी एलर्जी से पीड़ित हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि चिकित्सकीय इलाज एक क़ैदी का मौलिक अधिकार है.
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल ही में प्रतिबंधित किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ पिछले कुछ वर्षों में 1,400 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा मुंबई की तलोजा जेल में पर्याप्त चिकित्सा और मूलभूत सुविधाओं की कमी का हवाला देते हुए नज़रबंदी के अनुरोध वाली उनकी याचिका ख़ारिज किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
फैक्ट चेक: कई चैनलों, पत्रकारों और भाजपा नेताओं का दावा है कि एनआईए, ईडी और पुलिस की संयुक्त छापेमारी में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सौ से अधिक नेताओं की गिरफ़्तारी के विरोध में पुणे में हुए एक प्रदर्शन में 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगाए गए थे. हालांकि पड़ताल में पाया गया कि यह दावा ग़लत है.
एल्गार परिषद मामले के आरोपियों में से एक 83 वर्षीय वरवरा राव ने विशेष एनआईए अदालत से मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए हैदराबाद जाने देने की अनुमति मांगी थी. अगस्त में उन्हें मिली स्थायी ज़मानत की शर्तों के अनुसार, वे कोर्ट की इजाज़त के बिना मुंबई से बाहर नहीं जा सकते हैं.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू पर एनआईए ने प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के नेताओं के निर्देश पर माओवादी गतिविधियों व विचारधारा के प्रचार के षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया है.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता 65 वर्षीय वर्णन गोंजाल्विस के वकील ने बताया कि वह लगभग 10 दिनों से बीमार हैं. हालांकि तलोजा केंद्रीय जेल के कर्मचारी उन्हें केवल दवा देते रहे और उचित इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया था.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने आरोप लगाया है कि भाजपा अपने युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या के मामले में एनआईए का दुरुपयोग कर रही है, ताकि पीएफआई के नेताओं और सदस्यों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के बहाने मुसलमानों को निशाना बनाया जा सके. नेत्तारू की 26 जुलाई को हत्या कर दी गई थी.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका को ख़ारिज करते हुए एनआईए की विशेष अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया आवेदक के ख़िलाफ़ मौजूद सबूत के मद्देनज़र वह ज़मानत के हक़दार नहीं हैं.
एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के आरोपियों में से एक 83 वर्षीय वरवरा राव को बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर ज़मानत दी थी. अब एनआईए से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने उनकी ज़मानत शर्तें तय की हैं, जिनमें उन्हें अदालत की अनुमति के बिना शहर नहीं छोड़ने के लिए कहा गया है.