बीते 1 फरवरी को छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के गंगालूर इलाके में पुलिस ने तोड़का-कोरचेली गांवों के पास जंगल में मुठभेड़ में आठ इनामी माओवादियों को मारने का दावा किया था. अब ग्रामीण और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे फ़र्ज़ी बताते हुए कहा है कि मारे गए लोग ग्रामीण थे.
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एक आरटीआई आवेदन के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने बताया कि 2011-12 से 2020-21 के बीच पंजाब में 15,924 लोग असुरक्षित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एचआईवी संक्रमित हुए. वहीं, देश में पिछले 10 साल के दौरान संक्रमित सुइयों के चलते 45,864 लोग एड्स के मरीज़ बन गए.
पार्टी में अंदरूनी कलह के बीच तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पार्टी पदाधिकारियों की नई टीम का गठन किया और अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को दोबारा पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया. साथ ही नई टीम में अपने पुराने समर्थकों को भी जगह दी. नई टीम में सांसदों- डेरेक ओ ब्रायन, सौगत रॉय और कल्याण बनर्जी को जगह नहीं दी गई है.
एनआईए ने अपने पूर्व पुलिस अधीक्षक और आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य को गोपनीय दस्तावेज़ लीक करने के आरोप में गिरफ़्तार किया है. इसी मामले एनआईए छह लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है. इसमें से एक कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को एनआईए ने पिछले साल गिरफ़्तार किया था.
सीबीआई ने करोड़ों रुपये के व्यापमं घोटाले से संबंधित साल 2013 के प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में धांधली करने के आरोप में 160 और आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र अदालत में दाख़िल किया है. इनमें प्रदेश के तीन निजी मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष भी शामिल हैं. इसके साथ ही इस मामले में अब तक कुल 650 आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र विशेष अदालत में दाख़िल किए जा चुके हैं.
हरिद्वार धर्म संसद मामले में पिछले महीने गिरफ़्तार कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने जेल से रिहा होने के बाद कहा कि जितेंद्र नारायण त्यागी के बिना उनकी रिहाई का कोई मतलब नहीं है और उनकी रिहाई के लिए वह भूख हड़ताल फिर शुरू करने जा रहे हैं. जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी इस मामले के सह-अभियुक्त हैं.
इतिहासकार ऑड्रे ट्रुश्के व उनके दो सहयोगियों ने लेखक विक्रम संपत पर साहित्यिक चोरी के आरोप लगाए हैं. इसके ख़िलाफ़ संपत की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इन इतिहासकारों को किसी भी प्लेटफॉर्म पर इस बारे में कोई सामग्री प्रकाशित करने से अस्थायी तौर पर रोक दिया है. कोर्ट ने इस बारे में इतिहासकारों द्वारा लंदन की रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी को लिखे पत्र को भी साझा करने पर पाबंदी लगाई है.
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