अर्थ सेंटर फॉर रैपिड इनसाइट्स (एसीआरआई) द्वारा पिछले साल 11-13 नवंबर के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के 60% से ज़्यादा लोगों ने प्रदूषण के कारण सांस संबंधी समस्याओं की शिकायत की है. राष्ट्रीय राजधानी में सांस संबंधी बीमारी सबसे गंभीर थी.
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विधानसभा चुनाव राउंड-अप: रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि उन्होंने भाजपा द्वारा दिए न्योते को गंभीरता से नहीं लिया है. पंजाब की धुरी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार व मौजूदा विधायक दलवीर सिंह गोल्डी ने आप के मुख्यमंत्री चेहरे भगवंत मान को खुली बहस की चुनौती दी है. वहीं, गोवा में टीएमसी उपाध्यक्ष पवन वर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी ‘असली हिंदुत्व’ के लिए खड़ी है, जबकि भाजपा अल्पकालिक राजनीतिक लाभ पाने के लिए हिंदुओं का इस्तेमाल करती है.
भारत में, विशेषकर उत्तर भारत में छात्रों की जगह टेस्टार्थियों ने ले ली है. टेस्टों की राह इतनी जटिल बना दी गई है कि इनमें शामिल होने वालों की सारी ऊर्जा इसी भूलभुलैया में बाहर का रास्ता खोजते हुए चुक जाती है. आज छात्र नहीं टेस्टार्थियों की भीड़ खड़ी है. भीड़ का ग़ुस्सा ज़रूर फूट सकता है, पर वह आंदोलन नहीं कर सकती.
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कहा है कि उनका उद्देश्य स्कूली शिक्षा के संकट और आपातकालीन उपायों के लिए बजट की ज़रूरत की ओर ध्यान आकर्षित करना है. उन्होंने यह भी लिखा कि राज्य के प्राथमिक स्कूलों को सबसे लंबे समय तक बंद रखने का विश्व रिकॉर्ड है. इस दौरान कुछ चुनिंदा विशेषाधिकार प्राप्त बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सके.
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में एंटीबायोटिक दवा एजिथ्रोमाइसिन का सीरप निशुल्क बांटा जा रहा है, जिसके लिए क़रीब पांच लाख सीरप मंगाए गए थे. आधे से अधिक बंट जाने के बाद पता लगा कि वे मानकों पर खरे नहीं उतरे, जिसके बाद बाकी दवा को वापस मंगाया जा रहा है.
नगालैंड में दिसंबर माह में सेना की गोलीबारी में हुई आम नागरिकों की मौतों की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. जांच के दौरान एसआईटी के सामने बयान देने वाले सेना के 37 जवान इस बात पर अड़े हैं कि उन्हें जो ख़ुफ़िया जानकारी मिली थी, वह ग़लत साबित हुई जिसके चलते 13 आम नागरिक मारे गए.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि न का मतलब न है, फिर बेशक शुरुआत में हामी क्यों न रही हो. सहमति नहीं होना पूर्व में दी गई सहमति को ख़त्म कर देता है. जबरन यौन संबंध असहमति से बने संबंध कहलाएंगे, जो आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत दंडात्मक है.
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