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कनाडाई खुफिया एजेंसी सीएसआईएस ने विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहे एक संघीय आयोग को सौंपे दस्तावेज में कहा है कि कनाडा में 2019 और 2021 के संघीय चुनावों में भारत सरकार का हस्तक्षेप करने का इरादा था और संभवतः इस उद्देश्य से गुप्त गतिविधियां संचालित की गईं.
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और लद्दाख के नागरिक रविवार को लेह से चांगथंग तक के लिए एक मार्च निकालने वाले थे, जिसे 'पश्मीना मार्च' नाम दिया गया था. हालांकि, इसे मोदी सरकार द्वारा धारा 144 लगाने समेत अन्य कड़े कदम उठाए जाने के चलते रद्द कर दिया गया.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंसा को सार्वजनिक अभिव्यक्ति का लगभग क़ानूनी माध्यम स्वीकार किया जाने लगा है. समाज उसे और उसके फैलाव को लेकर, उसके साथ जुड़े झूठों और घृणा को लेकर विचलित नहीं है. पढ़े-लिखे लोग उसे अवसर मिलते ही, उचित ठहराने लगे हैं.
किसान संघों द्वारा भारतीय जनता पार्टी के विरोध में राज्य के विभिन्न गांवों में जो पोस्टर लगाए गए हैं. उनमें कई पोस्टर युवा किसान शुभकरण सिंह को समर्पित थे, जिनकी फरवरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर सुरक्षा बलों की गोली लगने से मौत हुई थी.
आयुष मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामे से पता चलता है कि उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के ख़िलाफ़ की गई शिकायतों पर चेतावनी देने और कंपनी को विज्ञापन बंद करने के लिए कहने के अलावा दो साल से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव के पक्ष में 28 सदस्य देशों ने मतदान किया, जहां 6 ने विरोध में मतदान किया और 13 सदस्य अनुपस्थित रहे.
बीते 1 अप्रैल को जेएनयू की एक छात्रा ने दो पूर्व छात्रों समेत चार लोगों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी. जेएनयूएसयू अध्यक्ष ने बताया है कि अब पीड़ित छात्रा समेत कुल 21 छात्रों को प्रदर्शन कर यूनिवर्सिटी का गेट बाधित करने का हवाला देकर नोटिस भेजा गया है.
वीडियो: दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद उनके वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी से बात कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
निर्मल वर्मा की 96वीं जयंती पर उनकी असंकलित कहानियों के संग्रह ‘थिगलियाँ’ के लोकार्पण में उनकी जीवनसाथी गगन गिल ने कहा कि अच्छे लेखक की परतें उसके गुज़र जाने के कई वर्ष बीत जाने के बाद खुलती हैं.