मनमोहन सिंह अल्पभाषी थे, विनम्र थे पर वे जानते थे कि कब, कहां और कितना बोलना है. न उन्होंने कभी मीडिया से मुंह छिपाया और न बेवजह के नारे उछाले. जब मौक़ा हुआ और जब ज़रूरत हुई, प्रेस कॉन्फ्रेंस की और हर सवाल का जवाब दिया.