गांधीवादी और वन अधिकार कार्यकर्ता मोहन हीराबाई हीरालाल चार दशकों तक महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और चंद्रपुर जिलों में जंगल और आदिवासी अधिकारों के लिए काम करते रहे. उन्होंने लेखा-मेंढा गांव में ‘मावा नाटे - मावा राज' (हमारे गांव में हमारा शासन) अभियान में प्रमुख भूमिका निभाई थी.