योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उन्होंने महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान से पहले 29 जनवरी की सुबह हुई भगदड़ को इसलिए उजागर नहीं होने दिया, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इससे दहशत की स्थिति पैदा हो. इससे पहले उनकी सरकार पर भगदड़ में हताहतों की संख्या दबाने का आरोप लगा है.
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मुंबई के मीरा रोड स्थित नयानगर इलाके में 21 जनवरी की रात सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसके बाद भाजपा विधायक नितेश राणे ने 23 जनवरी को क्षेत्र का दौरा किया. दौरे के बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय को खुली धमकी दी. कुछ ही घंटों बाद ही इलाके में दूसरे दौर की हिंसा भड़क उठी थी.
बीते जनवरी में जारी एक परिपत्र में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपने सभी 26 क्षेत्रीय कार्यालयों को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत खाद्यान्न वितरित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांकेतिक लोगो के साथ बुने हुए लैमिनेटेड बैग की ख़रीद के लिए टेंडर जारी करने को कहा है.
महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने एक गजट अधिसूचना में कहा है कि ऐसे निजी स्कूल जो सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में आते हैं, वे वंचित समूह और कमज़ोर वर्ग के छात्रों को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कोटे के तहत एडमिशन देने के लिए बाध्य नहीं होंगे. कुछ लोगों ने नियमों में इस बदलाव के लिए राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं.
फ्रांसीसी पत्रकार वेनेसा डॉनेक 25 साल से भारत में थीं. वह चार फ्रांसीसी प्रकाशनों की दक्षिण एशियाई संवाददाता थीं. गृह मंत्रालय के नोटिस में उन पर लगाए गए आरोपों में भारत के बारे में ‘नकारात्मक धारणा’ बनाने वाली ‘दुर्भावनापूर्ण’ रिपोर्टिंग से लेकर अव्यवस्था भड़काना, प्रतिबंधित क्षेत्रों की यात्रा के लिए अनुमति न लेना और पड़ोसी देशों पर रिपोर्टिंग करना शामिल है.
हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण ने ज़िला प्रशासन की कार्यप्रणाली की कथित ख़ामियों को उजागर किया है. उत्तराखंड की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को भी इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करना है कि जहां तक अल्पसंख्यक अधिकारों का सवाल है, उनके अनुपालन में वह आज तक कितनी चुस्त रही है.
रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मुखर विरोधी 47 वर्षीय एलेक्सी नवेलनी का जेल में निधन हो गया है. पुतिन को वे देश में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का दोषी बताते थे. उनकी मौत रूसी इतिहास में एक नया अध्याय है. देश ने अपना सबसे मज़बूत विपक्षी नेता खो दिया है, जो यह दिखाने में सक्षम था कि जेल से भी क्रेमलिन के ख़िलाफ़ खड़ा होना संभव है.
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