इंडिया गठबंधन ने झारखंड की 81 सीटों की विधानसभा में कुल 56 सीटें जीती हैं. यह परिणाम महज़ एक पार्टी की हार और दूसरी की जीत नहीं है. यह जनादेश बढ़ती तानाशाही, हिंदुत्व की राजनीति और जन अधिकारों को कमज़ोर करने वाली कॉर्पोरेट नीतियों के विरुद्ध एक संदेश है.
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चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रति सीट औसतन 2 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस बार जिन 19 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, वहां उसका मत प्रतिशत बढ़कर औसतन 6.76 प्रतिशत हो गया है.
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी भले ही पूर्ण बहुमत के साथ रिकॉर्ड तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही हो, लेकिन उसके 10 में से 8 मंत्री चुनाव हार गए. वहीं, कांग्रेस ने निर्दलीय चुनाव लड़े पार्टी के बाग़ियों की बग़ावत से खासा नुकसान झेला है.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस सरकारी आवास में रहते थे, मौजूदा सीएम आतिशी भी वहीं रहने पहुंच गई थीं. उनके पहुंचने के दो ही दिनों बाद पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने दावा किया कि उनके पास इस बंगले से संबंधित आधिकारिक आवंटन पत्र नहीं था, इसलिए उनसे घर की चाबियां लेकर इसे सील कर दिया गया है.
कांग्रेस ने जम्मू क्षेत्र की 43 में से 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वह इस क्षेत्र में केवल एक सीट जीत पाई. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर राज्य में 1967 में पहला चुनाव लड़ने के बाद से यह जम्मू क्षेत्र में पार्टी का अब तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा.
रतन टाटा, टाटा समूह को नियंत्रित करने वाले टाटा संस के मानद अध्यक्ष थे. वर्ष 1991 में जेआरडी टाटा द्वारा अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामित किए जाने के बाद उन्होंने टाटा संस के अध्यक्ष का पद संभाला था. 2012 में साइरस मिस्त्री के अध्यक्ष बनने पर टाटा ने पद छोड़ दिया था.
पिछली बार भाजपा ने जिन पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी- 2014 में कश्मीर की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और 2019 में हरियाणा की जननायक जनता पार्टी- इस चुनाव में उन दोनों का सफाया हो गया है.