मामला लखीमपुर खीरी ज़िले के मितौली थाने की है, जहां बीते शुक्रवार एक पांच वर्षीय बच्ची की हत्या के केस में पूछताछ के लिए उसके पड़ोस में रहने वाले 50 वर्षीय आसाराम को बुलाया गया था. इसी शाम आसाराम की मौत हो गई. उनके परिजनों द्वारा प्रताड़ित किए जाने के आरोप के बाद दो पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
गुजरात राज्य विधि आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि यह बड़ी सार्वजनिक चिंता का विषय है कि गुजरात में हिरासत में मौत की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं. यह स्वीकार करने की ज़रूरत है कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेह बड़े पैमाने पर उठाया जा रहा है, क्योंकि कई पुलिसकर्मी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
असम के बजाली ज़िले के एक व्यवसायी रबीउल इस्लाम ने आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस ने ग़लत तरीके से हिरासत में लिया और 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए कहा, ऐसा नहीं करने पर उन्हें एनकाउंटर में मारने की धमकी दी और उनकी हत्या को ‘जिहादी तत्वों के साथ संबंध’ बताकर उचित ठहराने की बात कही थी.
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले का मामला. यह घटना बीते 17 अप्रैल को हुई थी. मुस्लिम किशोर की पीट-पीटकर हत्या के आरोप में बिथरी चैनपुर थाने के पांच पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ घटना के चार महीने बाद केस दर्ज किया गया है. किशोर के पिता का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ़ उनके बेटे के साथ बर्बर तरीके से मारपीट की थी, बल्कि उससे 30 हज़ार से अधिक रुपये भी लूट लिए थे.
हैदराबाद पुलिस ने चेन स्नेचिंग के एक मामले में मोहम्मद क़ादिर को पकड़ा था. परिवार का दावा है कि इस घटना से क़ादिर का कोई संबंध नहीं था. मौत से पहले अस्पताल से क़ादिर ने एक वीडियो जारी कर पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के आरोप लगाए थे.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने दक्षिण कन्नड़ ज़िले के 23 वर्षीय अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका पर दिए अपने फैसले में कहा कि जब सरकार या उसके एजेंट लोगों से डरते हैं, तो इसका अर्थ है कि वहां स्वतंत्रता है, और जब लोग सरकार या उसके एजेंटों से डरते हैं, तो समझो उन पर अत्याचार होता है.
महाराष्ट्र के नवी मुंबई शहर का मामला. कलंबोली पुलिस स्टेशन में तैनात एक सहायक पुलिस इंस्पेक्टर पर दलित युवक ने थाने में जातिसूचक गालियां देने का भी आरोप लगाया है. पुलिस ने कहा कि अधिकारी के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि देश भर में साल 2020 में हिरासत में मौत के 1,940 और साल 2021 में 2,544 मामले दर्ज किए गए. सरकारी डेटा के अनुसार, साल 2020 में पुलिस एनकाउंटर में मौत के 82 और साल 2021 में 151 मामले दर्ज किए गए.
उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले के अलापुर थाना क्षेत्र की ककराला पुलिस चौकी में का मामला. युवक की पहचान 22 वर्षीय रेहान शाह के रूप में हुई है. परिजनों का आरोप है कि चौकी के अंदर पूछताछ के दौरान रेहान को करंट का झटका दिया गया और उनके गुप्तांग में प्लास्टिक की पाइप डाल दी गई थी. बाद में पुलिसकर्मियों ने उन्हें छोड़ने के एवज में पांच हज़ार रुपये की रिश्वत भी ली थी.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले की घटना. पुलिस का कहना है वह इस्लामनगर गांव में गोकशी के एक मामले में अब्दुल नाम के व्यक्ति को गिरफ़्तार करने के लिए दबिश देने गई थी. इस बीच ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर हल्ला बोल दिया और पत्थरबाज़ी के साथ-साथ गोली भी चलाई, जिसमें महिला की मौत हो गई. इस महीने यह तीसरी घटना है, जिसमें दबिश के दौरान तीन महिलाओं की जान जा चुकी है.
त्रिपुरा के गोमती ज़िले का मामला. एक नाबालिग लड़की और युवक के बीच प्रेम संबंध था. दोनों के घर छोड़कर चले जाने के बाद लड़की के पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. बताया जाता है कि पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लिए जाने के बाद उनके माता-पिता को ख़बर मिली कि दोनों ने ज़हर खा लिया. चकमा सामाजिक परिषद ने मामले की न्यायिक जांच की मांग के साथ ज़िम्मेदार पुलिसवालों को कड़ी सज़ा देने की मांग की है.
कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले के कोतवाली थाने के भीतर अर्धनग्न अवस्था में खड़े कुछ लोगों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. आरोप है कि स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल के इशारे पर पुलिस ने पत्रकार और अन्य लोगों को सबक सिखाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर उनके कपड़े उतरवाए और लगभग नग्न अवस्था में उनकी तस्वीर सार्वजनिक कर दी.
यह मामला चार फरवरी 2015 का है, जब ग़ैर-अधिसूचित जनजाति से ताल्लुक रखने मनसुख कुमारखानिया, उनकी पत्नी मीना, भाई रसिक और उनकी पत्नी रीना को लूट के प्रयास के एक मामले में गिरफ़्तार किया था. आरोप है कि पुलिस ने इन चार लोगों को तब तक प्रताड़ित किया, जब तक उन्होंने एक कथित अपराध को कबूल नहीं कर लिया.
मार्च 2011 में सुकमा ज़िले के तीन गांवों में आदिवासियों के घरों में आग लगाई गई थी. पांच महिलाओं से बलात्कार हुआ और तीन ग्रामीणों की हत्या हुई थी. इसका आरोप पुलिस पर लगा था. सीबीआई की एक रिपोर्ट में भी विवादित पुलिस अधिकारी एसआरपी कल्लूरी और पुलिस को ज़िम्मेदार बताया गया था, लेकिन हाल ही में विधानसभा में पेश एक रिपोर्ट बताती है कि मामले में पुलिस को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया.
यूपी के कासगंज ज़िले में एक नाबालिग लड़की की गुमशुदगी के सिलसिले में हिरासत में लिए गए अल्ताफ़ की बीते साल नवंबर में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. पुलिस ने इसे ख़ुदकुशी बताया था जबकि मृतक के परिजनों ने पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने से अल्ताफ़ की मौत होने का आरोप लगाया था. अब कोर्ट ने अल्ताफ़ का शव निकालकर दोबारा पोस्टमार्टम करवाने का निर्देश दिया है.