5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस का आरोप है कि आरोपी क़ानून-व्यवस्था ख़राब करने के लिए हाथरस जा रहा था. कप्पन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.
प्रवर्तन निदेशालय ने एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की गतिविधियां संचालित करने के लिए धन जुटाने का आरोप लगाया है. मुंबई की एक विशेष अदालत ने ईडी को तलोजा जेल में बंद गाडलिंग का बयान 17 से 19 अगस्त तक दर्ज करने की अनुमति दे दी है.
जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति पर जारी 'द फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स इन जम्मू एंड कश्मीर' की रिपोर्ट में अगस्त 2021 से जुलाई 2022 के बीच हुए सूबे के उन घटनाक्रमों की बात की गई है जो मानवाधिकार उल्लंघनों की वजह बने. साथ ही, मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिए कुछ सिफ़ारिशें भी की गई हैं.
5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस का आरोप है कि आरोपी क़ानून-व्यवस्था ख़राब करने के लिए हाथरस जा रहा था. कप्पन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 2018 से 2020 के बीच यूएपीए के तहत सर्वाधिक 1,338 गिरफ़्तारियां उत्तर प्रदेश में हुईं. उसके बाद मणिपुर में 943 और जम्मू कश्मीर में 750 लोगों को इस क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया. इनमें से अधिकांश लोग 18-30 वर्ष की उम्र के थे.
प्रवर्तन निदेशालय ने एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की गतिविधियां संचालित करने के लिए धन जुटाने का आरोप लगाया है. इस संबंध में एक विशेष अदालत के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर गाडलिंग से पूछताछ की अनुमति मांगी गई है.
टेरर फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक ने रुबैया सईद अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का अनुरोध किया था, पर केंद्र से इस पर कोई जवाब न मिलने पर शुक्रवार से उन्होंने भूख हड़ताल शुरू कर दी.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम को दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में वर्ष 2020 में भड़के दंगे के कथित षड्यंत्र के मामले में जनवरी 2020 में गिरफ़्तार किया गया था. तब से वे जेल में हैं.
असम में जोरहाट के डीसीबी कॉलेज में बीएसएस गणित की दूसरे वर्ष की छात्रा को उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) के समर्थन में सोशल मीडिया पर कथित रूप से कविता लिखने को लेकर बीते 18 मई को गिरफ़्तार किया गया था. उसके बाद से वह गोलाघाट केंद्रीय कारागार में बंद थीं.
राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया है कि ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत वर्ष 2016 से 2020 के बीच 24,134 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जिनमें से केवल 212 के ख़िलाफ़ ही दोष सिद्ध हो सके. इसके प्रावधान आरोप झेल रहे लोगों के लिए ज़मानत पाना लगभग असंभव बना देते हैं. परिणामस्वरूप, ज़्यादातर लोग लंबे समय तक जेलों में विचाराधीन क़ैदियों के रूप में पड़े रहते हैं.
झारखंड के रामगढ़ में रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को साल 2021 में सरायकेला खरसावां ज़िले में दर्ज एक मामले में गिरफ़्तार किया गया है, जिसमें भाकपा (माओवादी) का नेता प्रशांत बोस उर्फ किशनदा आरोपी है. जून 2019 में भी बिहार की गया पुलिस ने उन्हें नक्सली बताकर गिरफ़्तार किया था. हालांकि पुलिस द्वारा चार्जशीट दाख़िल न कर पाने के कारण उसी साल दिसंबर में उन्हें ज़मानत मिल गई थी.
झारखंड की एक कंपनी के जनरल मैनेजर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने माओवादियों से जुड़ाव रखने के आरोप में यूएपीए के तहत 2018 में गिरफ़्तार किया था. उन्हें हाईकोर्ट से दिसंबर 2021 में ज़मानत मिलने पर एनआईए ने ज़मानती आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे शीर्ष अदालत ने ख़ारिज कर दिया.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को आठ दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अगवा कर लिया गया था. 13 दिसंबर 1989 को भाजपा द्वारा समर्थित केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार द्वारा जेकेएलएफ के पांच आतंकियों को रिहा किए जाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें रिहा कर दिया था. प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को हाल ही में आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में
कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान नोबेल सम्मानित अर्थशास्त्री ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका अक्सर विखंडन के ख़तरों की अनदेखी करती है, जो डराने वाला है. एक सुरक्षित भविष्य के लिए न्यायपालिका, विधायिका और नौकरशाही के बीच संतुलन होना ज़रूरी है, जो भारत में नदारद है. यह असामान्य है कि लोगों को सलाखों के पीछे डालने के लिए औपनिवेशिक क़ानूनों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने इस सप्ताह की शुरुआत में दिए गए चार आदेशों में ज़ी न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, इंडिया टीवी, आज तक और न्यूज़18 के दिल्ली दंगों, किसान आंदोलन, मुस्लिम आबादी और 'थूक जिहाद' संबंधी प्रसारणों को ग़लत बताते हुए इनके वीडियो हटाने का निर्देश दिया है.